Parenting Tips: छोटे बच्चे को खेलते समय सिखाएं काम की बातें, अपनाएं ये मजेदार तरीके

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Parenting Tips: बच्चे के जन्म के बाद माता पिता की चिंता उसके लालन पालन से लेकर भविष्य को संवारने में बनी रहती है। बच्चा स्वस्थ रहे और उसका विकास हो, इसके साथ ही समाज में रहने योग्य भी बन सके, इसके लिए माता पिता बचपन से ही बच्चे को सीख देने लगते हैं। जब बच्चा बोलना शुरू कर देता है, तो अभिभावक उसे रिश्ते को संबोधित करना सिखाते हैं। धीरे धीरे दैनिक जीवन से जुड़ी बातें सिखाते हैं। जैसे ब्रश करना, बड़ों को प्रणाम करना, गलती पर माफी मांगना, किसी चीज को पकड़ना, लोगों से संवाद करना आदि। 4-5 साल की आयु के बाद बच्चे को सिखाना आसान होता है, क्योंकि वह आपकी बाते समझने लगता है। लेकिन जब बच्चा महज 1 डेढ़ साल का होता है, तो उसे कुछ सिखाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे में छोटे बच्चे को कुछ सिखाने के लिए आसान और मजेदार तरीके अपनाएं। खेल-खेल में उन्हें जीवन का पाठ पढ़ाएं। यहां अभिभावकों के लिए मजेदार तरीके बताए जा रहे हैं, जिसे अपनाकर छोटे बच्चे को खेल खेल में काम की बात सिखा सकते हैं।
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बात करना सिखाएं
एक साल का बच्चा बोलना शुरू कर देता है। बोलना सिखाने के लिए यह सबसे सही समय है। बच्चे दूसरे की बातों को सुनकर उसके बोलने की कोशिश करने लगते हैं। आसपास की चीजों को अपनी तोतली आवाज में अलग अलग नामों से पुकारते हैं। ऐसे में अभिभावकों को बच्चे को बोलना सिखाने के लिए साधारण और सरल शब्दों का उपयोग करना चाहिए। जो आप उन्हें बोलना सिखाना चाहते हैं, उसे खुद भी बोलें ताकि बच्चा आपको कॉपी करके बोलना सीखें।
घुलना-मिलना सिखाएं
जब तक बच्चा माता पिता की गोद में होता है, वह सिर्फ अपने परिवार को ही पहचानता है। किसी बाहरी के गोद में लेने या सामने आने पर अक्सर बच्चे रोना शुरू कर देते हैं। 1 साल का बच्चा समझने लगता है और उसे अपने परिवार व बाहरी लोगों का फर्क पता चलने लगता है। इस उम्र में बच्चे को दूसरों से घुलना मिलना सिखाएं। इसके लिए उन्हें पार्क लेकर जाएं ताकि वह अन्य बच्चों के संपर्क में आए और समाज में कैसे रहना है, ये सीखे। इससे बच्चे के बर्ताव में भी परिवर्तन आएगा।
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खाना सिखाएं
छोटा बच्चा मां के दूध से पेट भरता है। धीरे धीरे वह हल्का भोजन भी करने लगता है। लेकिन आप बच्चे को खुद से खाना खिलाते हैं। हालांकि इस उम्र के बाद बच्चे को स्वयं भोजन करना सीखना चाहिए। इसके लिए उन्हें चम्मच पकड़ना सिखाएं। कैसे रोटी तोड़ कर खाई जाती है या दाल व चावल किस तरह से मुंह तक लाया जाता है, यह सिखाएं। उनके सामने खुद खाना खाएं और उन्हें भी खाने का तरीका कॉपी करने के लिए कहें।
अपनी बात कहना सिखाएं
छोटा बच्चा भूख प्यास लगने पर भी रोने लग जाता है और मल मूत्र होने पर भी रोता है। लेकिन जब वह समझने लगे तो उसे सिखाएं कि भूख लगने पर उसे खाना मांगना है। वहीं अगर उसे मल मूत्र त्याग करना है तो किस तरह वह अपने माता पिता को बता सकता है। इसके लिए उन से थोड़ी थोड़ी देर में पूछें कि क्या उन्हें भूख लगी है, या क्या उन्हें टॉयलेट जाना है। इस पर बच्चे की प्रतिक्रिया आने दें। धीरे धीरे वह खुद आपको बताना शुरू कर देंगे।
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