सरकार की नई गाइडलाइन्स: ट्रांसजेंडर गे और सेक्स वर्कर नहीं कर सकते रक्तदान

  
Blood

Aapni News, Lifesytle

ट्रांसजेंडर, गे, सेक्स वर्कर्स को रक्तदान से दूर रखा जाता है। यानी इन लोगों को रक्तदान करने की अनुमति नहीं है।

परिवार कल्याण मंत्रालय, केंद्र सरकार के ब्लड डोनर सिलेक्शन गाइडलाइंस में इसका जिक्र किया गया है।

ट्रांसजेंडर समुदाय के एक सदस्य थंगजाम संता सिंह ने डोनर सिलेक्शन और डोनर रेफरल गाइडलाइंस, 2017 का विरोध करते हुए एक याचिका दायर की थी।

मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। अब केंद्र सरकार ने हलफनामे के जरिए कोर्ट में कुछ वैज्ञानिक सबूत दिए हैं, जिससे यह साबित करना आसान हो जाए कि ऐसा क्यों किया गया है.

आज जरूरत की खबर में बात करते हैं ब्लड डोनेशन की। केंद्र सरकार के वैज्ञानिक प्रमाण को विस्तार से समझिए और जानिए क्या हैं रक्तदान की शर्तें और भी बहुत कुछ..

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प्रश्न: ट्रांसजेंडर, समलैंगिक और समलैंगिक या LGBTQ में क्या अंतर है?
उत्तर: एलजीबीटीक्यू 5 शब्दों एल-लेस्बियन, जी-गे, बी- बाइसेक्शुअल, टी-ट्रांसजेंडर और क्यू-क्वीर से मिलकर बना है।

लेस्बियन (एल): महिला + महिला संबंध

गे (G): पुरुष + पुरुष का संबंध

उभयलिंगी (बी): एक व्यक्ति जो लड़के और लड़कियों दोनों के साथ संबंध रखता है।

ट्रांसजेंडर (टी): जिसका लिंग जन्म के समय निर्दिष्ट लिंग से मेल नहीं खाता है।

ट्रांसजेंडर (टी): जिसका लिंग जन्म के समय निर्दिष्ट लिंग से मेल नहीं खाता है।

Queer (Q): जो लोग नहीं जानते कि वे पुरुष हैं या महिला। जो यह भी नहीं जानते कि वे किसकी ओर आकर्षित होते हैं।

समलैंगिक: समान लिंग के लोगों के प्रति यौन रूप से आकर्षित होना।

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सवाल: ट्रांसजेंडर, समलैंगिक और यौनकर्मी रक्तदान क्यों नहीं कर सकते?
जवाब
: सरकार का तर्क है कि जरूरतमंदों और बीमारों को सुरक्षित खून पहुंचाना उनका अधिकार है।

स्वास्थ्य की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण। इसलिए किसी खास व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाने का मकसद सुरक्षित रक्त आधान प्रणाली को लागू करना है।

यह समझना अधिक महत्वपूर्ण है कि सुरक्षित रक्त देना रक्त देने के अधिकार से अधिक महत्वपूर्ण है।

ट्रांसजेंडर, सेक्स वर्कर बने ब्लड डोनर तो बढ़ जाएगा इन बीमारियों का खतरा

HIV।
एड्स
हेपेटाइटिस बी या सी
मलेरिया
एसटीआई (यौन संचारित संक्रमण)

प्रश्न: यह कौन तय करता है कि कौन रक्तदान करेगा और कौन नहीं?
उत्तर:
जैसा कि पहले बताया गया है कि इस संबंध में केंद्र सरकार के परिवार कल्याण मंत्रालय की गाइडलाइन है। जिसके आधार पर ट्रांसजेंडर, समलैंगिक पुरुषों और महिलाओं, सेक्स वर्कर्स को रक्तदान करने पर रोक लगा दी गई है.

इस गाइडलाइन को नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल ने 2017 में डॉक्टरों और वैज्ञानिक विशेषज्ञों की सलाह और रिसर्च से तैयार किया था।

सवालः केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि उनकी रक्तदान की गाइडलाइन वैज्ञानिक है, इसके पीछे क्या आधार है?
उत्तर:
केंद्र सरकार ने वैज्ञानिक कारण बताने के लिए सुप्रीम कोर्ट को 8 शोध साक्ष्य दिए

  1. इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ का शोध 2019 में प्रकाशित हुआ था। यह शोध वडोदरा शहर में किया गया था। इसमें बताया गया कि एमएसएम यानी पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाने वाले पुरुषों में एचआईवी, एसटीआई होने का खतरा ज्यादा होता है। अनुसंधान ने साबित किया कि एमएसएम के 37% ट्रांसजेंडर थे और सेक्स करते समय कंडोम का इस्तेमाल नहीं करते थे। इस वजह से उन्हें STI, HSV-2, HBsAg हुआ।
  2. कर्नाटक में 2011 में कमर्शियल सेक्स वर्कर्स पर एक स्टडी की गई थी। इसमें राज्य के 6 जिलों को शामिल किया गया था। क्लाइंट की वजह से वह एचआईवी और एसटीआई की शिकार हो रही थी। जाहिर सी बात है कि उन्हें अपने मुवक्किल के और कितनी लड़कियों के साथ संबंध होने की जानकारी नहीं थी. उन्हें इस बात की भी जानकारी नहीं थी कि ग्राहक को कोई यौन रोग है या नहीं।
  3. 2021 में चेन्नई और मुंबई के ऐसे पुरुषों पर स्टडी की गई, जिनके दूसरे मर्दों से शारीरिक संबंध थे। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि देश में एमएसएम की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे रिश्ते में सावधानी नहीं बरती जाती है, इसलिए एसटीआई और क्लैमाइडिया संक्रमण जैसी बीमारियां फैल रही हैं।
  4. लोक नायक अस्पताल दिल्ली ने माइक्रोबायोलॉजिस्ट विभाग, मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज दिल्ली और त्वचा विज्ञान विभाग, मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज दिल्ली के साथ मिलकर MSM यानी पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाने वाले पुरुषों पर दो साल तक शोध किया। यौन रोग व चर्म रोग के इलाज के लिए 738 पुरुष मरीज पहुंचे थे। इनमें से 64% ने स्वीकार किया कि उनके पुरुष और महिला दोनों के साथ संबंध थे। 36% ने कहा कि उन्होंने कभी किसी महिला से शारीरिक संबंध नहीं बनाए, उनका पार्टनर पुरुष ही रहा।
  5. दूसरों की तुलना में ट्रांसजेंडर को एचआईवी का खतरा अधिक होता है। इससे बचने के लिए वे कोई उपाय नहीं करते हैं। 2021 में हुई एक स्टडी में यह बात सामने आई थी। यह अपने आप में एक अनोखी स्टडी थी। इसमें 34 देशों के 98 अध्ययनों को एक साथ लिया गया। इन 78 अध्ययनों में यह बात सामने आई कि ट्रांसजेंडर पुरुषों और महिलाओं दोनों में एचआईवी और एसटीडी का खतरा अधिक है।

सातवां शोध 2020 में इंडियन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ का था और आठवां शोध 2012 में लैंसेट का था।

इसके साथ ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए हलफनामे में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की सालाना रिपोर्ट (2020-2021) का हवाला दिया.

इस रिपोर्ट के अनुसार, ट्रांसजेंडर/ट्रांसजेंडर (एच/टीजी), पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पुरुषों (एमएसएम) और महिला यौन कर्मियों (एफएसडब्ल्यू) के बीच एचआईवी संचरण का जोखिम 6 से 13 गुना अधिक है।

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सवाल: कौन सा ब्लड ग्रुप सभी को खून दे सकता है?
जवाब: 

  • O+ ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति A+, B+, AB+ और O+ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को खून दे सकता है।
  • O- ब्लड ग्रुप वाला डोनर किसी भी ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को डोनेट कर सकता है।
  • AB+ ब्लड ग्रुप वाला व्यक्ति सिर्फ AB+ ब्लड ग्रुप वाले लोगों को ब्लड दे सकता है।

सवाल: ब्लड डोनेट करने से शरीर को कोई फायदा होता है क्या?

जवाब: हां, बिल्कुल। इससे दिल की सेहत यानी हार्ट हेल्थ में सुधार होता है। वेट कंट्रोल में रहता है और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी कम होता है।

ब्लड डोनेट करने से न सिर्फ आपकी बॉडी पर बल्कि दिमाग पर भी पॉजिटिव इफेक्ट पड़ता है।

और सबसे जरूरी कि ब्लड डोनेशन से आप किसी जरूरतमंद की जान बचा सकते हैं।

सवाल: अच्छा तो फिर क्या खून देने से कोई नुकसान नहीं होता है?
जवाब:
थोड़ी बहुत कमजोरी लगती है। लेकिन अच्छी डाइट लेने से ये प्रॉब्लम भी जल्दी सही हो जाती है।

सवाल: कब-कब ब्लड डोनेट कर सकते हैं?
जवाब:
एक हेल्दी पर्सन कम से कम 6 महीने में एक बार ब्लड डोनेट कर सकता है।

अगर किसी को इससे पहले जरूरत पड़ती है तो एक महीने बाद भी रक्तदान किया जा सकता है ताकि जरूरतमंद की जान को बचाया जा सके।

इन 10 परिस्थिति में आप ब्लड डोनेट नहीं कर सकते हैं

  • वैक्सीन लेने के बाद
  • खसरा यानी मिजिल्स होने पर
  • चिकन पॉक्स के बाद
  • शारीरिक रूप से कमजोर व्यक्ति
  • किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति
  • डायबिटीज पेशेंट
  • स्किन डिजीज
  • 6 महीने पहले टैटू बनवाया है तब
  • वो महिलाएं जो बच्चे को दूध पीला रही हैं
  • अगर आपने 1 साल पहले रैबीज का टीका लिया हो तब

सवाल: अच्छा अगर हम 1 यूनिट ब्लड डोनेट करते हैं तो उतना ब्लड कितने दिनों में बनता है?
जवाब:
बॉडी में एक यूनिट ब्लड की कमी 24 घंटे में पूरी हो जाती है। बस अच्छी क्वांटिटी में हेल्दी डाइट के साथ फ्रूट, जूस और दूध लेना चाहिए।

सवाल: यह बताएं कि क्या खाने से खून तेजी से बढ़ता है, अगर हां तो कैसे?
जवाब:
शरीर में हीमोग्लोबिन के लेवल को बढ़ाने के लिए चीजों को अपनी डाइट में करें शामिल

  • तिल के बीज
  • कद्दू के बीज
  • तरबूज के बीज
  • सूरजमुखी के बीज
  • काजू
  • अलसी के बीज
  • अंडा
  • दूध
  • चीज
  • मीट
  • मछली
  • सोयाबीन
  • चावल
  • हरी पत्तेदार सब्जियां

एक्सपर्ट डॉ. राकेश कुमार सिंह, सुपरिटेंडेंट, रामपुरा जिला अस्पताल, कोटा, राजस्थान, वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. बीके गुप्ता।

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