Bitter Gourd Farming: इस तकनीक से करें करेले की खेती, कम समय में मिलेगा दोगुना मुनाफा

Aapni News, Agriculture
आज के इस दौर में अगर आप अपने बंजर खेत में भी उन्नत तकनीकों के साथ मेहनत करेंगे, तो उसमें सफलता जरूर मिलेगी. इसी तरह आज हम आपको करेले की उन्नत तकनीक के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे अगर सही तरीके से किया जाए तो किसानों को अधिक लाभ मिलेगा।
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अगर आप किसान हैं और अपनी खेती में सफल होना चाहते हैं, तो आपको नई-नई तकनीकों को अपनाना चाहिए. ये बता दें कि किसानों के लिए वर्टिकल फार्मिंग कमाई करने का शानदार तरीका है. देश के कुछ किसान इस फार्मिंग से हर महीने हजारों-लाखों रुपए कमा रहे हैं. इसी तकनीक की सहायता से आप करेले की खेती भी कर सकते हैं. आइए जानते हैं कि वर्टिकल फार्मिंग करने से किसानों को क्या फायदा पहुंचेगा और करेले की भारत में उन्नत किस्में (Improved Varieties of bitter Gourd in India) कौन-कौन सी हैं, जिसे वह अपने खेत में उगाकर कम समय में अच्छी कमाई कर सकते हैं।
देश में करेले की उन्नत किस्में
पूसा हाइब्रिड 1 (Pusa Hybrid 1)
पूसा हाइब्रिड 2 (Pusa Hybrid 2)
पूसा विशेष (Pusa special)
अर्का हरित (Arka Harit)
ग्रीन लांग (Green long)
फैजाबाद स्माल (Faizabad Small)
जोनपुरी (Jonpuri)
झलारी (Jhalari)
सुपर कटाई (Super Harvesting)
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सफ़ेद लांग (White long)
ऑल सीजन (All Season)
हिरकारी (Hitkari)
भाग्य सुरुचि (Bhagya Suruchi)
मेघा-एफ 1 (Megha-F1)
वरून -1 पूनम (Varun-1 Poonam)
तीजारावी (Tijaravi)
अमन नं.- 24 (Aman No.- 24)
नन्हा क्र. -13 (Nanha No. -13)
वर्टिकल फार्मिंग से करेले की खेती
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आपकी जानकारी के लिए ये बता दें कि वर्टिकल फार्मिंग 1 उच्च उत्पादक प्रणाली की अच्छी खेती मानी जाती है. इसमें करेलों को ऊंचाई के साथ उगाया जाता है. इस तकनीक के माध्यम से करेले के पौधे सीधे उगते हैं. यह तकनीक सिर्फ करेले की खेती ही नहीं बल्कि अन्य फल-सब्जियों की खेती में भी इस तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है.
वर्टिकल फार्मिंग से किसानों को फायदा
इस फार्मिंग से किसान जमीन से अधिक मात्रा में उपज प्राप्त कर सकता है.
वर्टिकल फार्मिंग में उगाई गई फसल पर मौसम की मार नहीं पड़ती है.
इसके अलावा इसमें फसल खराब होने का खतरा न के बराबर होता है.
फसल की सिंचाई के लिए पानी की आवश्यकता भी बहुत ही कम होती है.
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