Farming: कंटेनर में खेती कर लाखों रूपये कमा रहा ये शख्स, आप भी कर सकते हैं शुरुआत

शैलेश मोदक ने तापमान को नियंत्रित कर शिपिंग कंटेनर में केसर की खेती करने का फैसला किया है। शैलेश मोदक ने कहा कि उन्होंने हाइड्रोपोनिक विधि से कई अन्य चीजों की भी कंटेनर में खेती कर उसे उगाया है.
  
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पुणे के इंजीनियर शैलेश मोदक ने 1 कंटेनर में केसर की खेती शुरू की  है. अब तक केसर की खेती कश्मीर के कुछ इलाकों में ही होती थी लेकिन 13 साल तक कॉरपोरेट बिजनेस में काम करने के बाद पुणे के शैलेश ने केसर की खेती करने का फैसला किया। अब शैलेश केसर की खेती कर साल में लाखों रुपए कमा रहे हैं।

शैलेश मोदक ने तापमान को नियंत्रित कर शिपिंग कंटेनर में केसर की खेती करने का फैसला किया है। शैलेश मोदक ने कहा कि उन्होंने हाइड्रोपोनिक विधि से कई अन्य चीजों की भी कंटेनर में खेती कर उसे उगाया है. इसमें विदेश में बिकने वाली कई सब्जियां शामिल हैं. शैलेश ने कई सालों तक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम किया है. शैलेश मोदक माल डिब्बे के अंदर के तापमान को नियंत्रित कर केसर की खेती कर रहे हैं. भारत में केसर की कीमत ₹3,00,000 प्रति किलो है. शैलेश ने यह भी कहा कि वह कंटेनर के 160 स्क्वायर फीट के एरिया में 5 से 6 किलो तक केसर का उत्पादन कर सकते हैं.

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13 साल तक सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम करने के बाद शैलेश ने नौकरी छोड़कर केसर की खेती करने का फैसला किया है. शैलेश को लगा कि केसर की खेती देश के कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है लेकिन इसे अन्य क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है. उन्होंने 8*40 वर्ग फीट के क्षेत्र में तापमान नियंत्रण द्वारा केसर की खेती करने का निर्णय लिया है. केसर के बीज से लेकर उसकी हार्वेस्टिंग तक का सारा काम शैलेश खुद करते हैं. उन्होंने कश्मीर से केसर के बीज लिए और अपने छोटे से सेटअप में ही उसे उगाने का फैसला किया. शैलेश इस समय कंटेनर में जितने केसर की खेती कर रहे हैं, उतना केसर उगाने के लिए आधे एकड़ की जगह चाहिए.

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करीब 6 साल पहले शैलेश मोदक ने केसर की खेती शुरू की थी. इससे पहले उन्हें उन्होंने मधुमक्खी के बक्से बांटकर कमाई करने का नुस्खा निकाला था. इससे पहले शैलेश ने इंपोर्ट एक्सपोर्ट बिजनेस भी किया है जिसमें उन्हें कंटेनर का आइडिया मिला और उनके पास जब एक बेकार कंटेनर आया तब उन्होंने उसका प्रयोग कर खेती करने की बात सोची. शैलेश ने कहा कि खुले खेत में खेती करने से कभी भी धूप या कभी भी बारिश की वजह से खेती को बहुत नुकसान होता है, इसलिए वे कंट्रोल टेंपरेचर वाले माहौल में खेती करना चाहते थे. भारत में केसर की मौजूदा जरूरत एक 100 टन है जबकि यहां सिर्फ 4 टन केसर का प्रोडक्शन होता है. भारत में केसर की खपत के लिए ईरान, अफगानिस्तान और नीदरलैंड जैसे देश से आयात किया जाता है. शैलेश ने भारत को केसर के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पुणे में ही केसर की खेती करने का फैसला किया है.

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