Aapni News, New Delhi
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर स्पष्ट कहा है कि किसी को जबरन कोविड-19 नहीं लगवाया जा सकता। दरअसल ऐसा कह कर या तो केंद्र सरकार झूठ बोल रही है और या फिर राज्य सरकारें और कई केंद्रीय संस्थान केंद्र सरकार से अपने आप को ऊपर समझ रही हैं। दरअसल गैर सरकारी संगठन NGO एवारा फाउंडेशन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित अर्जी दायर कर रखी है। जिसमें एनजीओ की तरफ से कहा गया कि दिव्यांग जनों का टीकाकरण घर-घर प्राथमिकता के आधार पर करने का अनुरोध किया गया है। इस पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार से जवाब मांगा गया था।
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सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि किसी भी व्यक्ति की मर्जी के बगैर उसका टीकाकरण नहीं किया जा सकता। इसका मतलब यह हुआ कि कोविड-19 टीकाकरण देश में कंपलसरी नहीं है। लेकिन बावजूद इसके कई राज्यों में कोविड-19 वैक्सीनेशन की रफ्तार को बढ़ाने के लिए कुछ सुविधाएं सीमित करने तक का फैसला ले रखा है। जिसकी वजह से मजबूरी में लोग कोविड-19 टीकाकरण करवा रहे हैं। कई जगह प्रशासनिक आदेश यह है कि यदि कोरोना इंजेक्शन नहीं लगा तो सैलरी रोक दी जाएगी या फिर एग्जाम में नहीं बैठने दिया जाएगा।
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हाल ही में हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि यदि 15 से 18 साल तक के बच्चे कोरोना का टीका नहीं लगवाते हैं तो उन्हें स्कूल में एंट्री नहीं दी जाएगी। अब देखना यह होगा कि केंद्र सरकार द्वारा आज दिए हलफनामे का धरातल पर कितना असर दिखाई देता है।