5th Navratri Skandamata Devi : राक्षस का वध करने के लिए लिया था मां दुर्गा ने स्कंदमाता का स्वरूप धारण किया, यहां पढ़ें पौराणिक कथा

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चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व 22 मार्च से शुरू हो गया है। नवरात्रि का पावन पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। आज यानी 26 मार्च और नवरात्रि का पांचवां दिन। नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को स्कंद के नाम से भी जाना जाता है। भगवान स्कंद को माता पार्वती ने प्रशिक्षित किया था, इस प्रकार मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कंदमाता कहा जाता है।
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स्कंदमाता का इतिहास
एक पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर नामक एक राक्षस का अस्तित्व बताया जाता है। जिसका अंत शिव पुत्र के हाथ से ही संभव हो पाया था। माता पार्वती ने तब अपने पुत्र स्कंद (कार्तिकेय) को युद्ध के लिए प्रशिक्षित करने के लिए माता स्कंद का रूप धारण किया। स्कंदमाता से युद्ध का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया।
स्कंदमाता को इन नामों से भी जाना जाता है-
स्कंदमाता और हिमालय की पुत्री पार्वती। माहेश्वरी और गौरी के नाम से भी जानी जाती हैं। पार्वती इसलिए कहलाती हैं क्योंकि वह हिमालय पर्वत के राजा की पुत्री हैं। इसके अलावा महादेव की पत्नी होने के कारण वह महेश्वरी कहलाईं और गौरी होने के कारण गौरी कहलाईं। माता का अपने पुत्र पर अत्यधिक प्रेम होता है। यही कारण है कि मां अपने बच्चे के नाम पर मेमना पसंद करती है। ऐसा माना जाता है कि स्कंदमाता की कथा पढ़ने या सुनने वाले भक्तों को मां संतान सुख और धन की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद देती हैं।
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