विदाई रस्म की थाली में रखे 15 लाख रुपए ना लेकर शगुन के रूप में मात्र 1 रुपया व नारियल किया स्वीकार

रायपुर निवासी धर्मपाल बैनीवाल की पुत्री दीक्षा और राजस्थान के बडबिराना निवासी सुभाष चंद्र की बिना दहेज की शादी बनी चर्चा का विषय Aapni News Chopta (Sirsa) राजस्थान की सीमा से सटे सिरसा जिले के पैंतालिसा क्षेत्र में दहेज प्रथा रूपी दानव को खत्म करने की मुहिम लगातार जारी है।...
  
विदाई रस्म की थाली में रखे 15 लाख रुपए ना लेकर शगुन के रूप में मात्र 1 रुपया व नारियल किया स्वीकार

रायपुर निवासी धर्मपाल बैनीवाल की पुत्री दीक्षा और राजस्थान के बडबिराना निवासी सुभाष चंद्र की बिना दहेज की शादी बनी चर्चा का विषय

Aapni News Chopta (Sirsa)

राजस्थान की सीमा से सटे सिरसा जिले के पैंतालिसा क्षेत्र में दहेज प्रथा रूपी दानव को खत्म करने की मुहिम लगातार जारी है। इसी कड़ी में बुधवार को गांव रायपुर निवासी धर्मपाल बैनीवाल की पुत्री दीक्षा की शादी बडबिराना नोहर राजस्थान के आईटी प्रोफेशनल सुभाष चंद्र सिंवर के साथ धूमधाम से संपन्न हुई। शादी में सभी परंपरागत रस्में अदा की गई। जब विदाई के समय वधू पक्ष की ओर से 15 लाख रुपए थाली में रखे गए तो वर के पिता महावीर सिंवर ने मात्र 1 रुपया और नारियल यह कहकर स्वीकार किया कि  दुल्हन ही दहेज है। शादी समारोह में नाथूसरी चौपटा ब्लाक समिति के चेयरमैन वीरेंद्र साहू , जमाल के सरपंच नंदलाल बैनीवाल, जिला पार्षद हरपाल कासनियां, सुरेंद्र बैनीवाल, महेंद्र बाना सहित क्षेत्र के कई गणमान्य व्यक्तियों ने शिरकत की और बिना दहेज की शादी हरियाणा व राजस्थान में चर्चा का विषय बनी हुई है ।

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16 फरवरी को सिरसा जिले के रायपुर के धर्मपाल बैनीवाल की पुत्री दीक्षा की शादी राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के गांव बडबिराना निवासी सुभाष चंद्र पुत्र महावीर सिंव के साथ पूरे रस्मो रिवाज से संपन्न हुई। सुबह  विदाई के समय धर्मपाल बैनीवाल ने विदाई की रस्म अदा करते हुए सुमठनी की थाली में 15 लाख रुपए नगद रखें तो लड़के के पिता महावीर सिंवर ने दहेज में लेने से मना कर दिया और रस्म के मुताबिक शगुन का  मात्र 1रुपया व नारियल ही स्वीकार किया। इस मौके पर महावीर सिंवर ने कहा कि वह पेशेे से अध्यापक हैं और हमेशा से ही समाज में फैली कुरीतियों के खिलाफ रहे हैं। इसी के तहत दहेज प्रथा तो बिल्कुल ही बंद करने के पक्ष में है । उन्होंने बताया कि उसके दो बेटे हैं सुभाष चंद्र और अनिल दोनों की पढ़ाई-लिखाई अच्छी तरह से करवाई है और उन्होंने बताया कि वधू पक्ष की ओर से गाड़ी देने की बात कही गई और वह तो उन्होंने पहले से ही अस्वीकार कर दिया तथा आज विदाई के समय उन्होंने जो  15 लाख रुपए राशि देनी चाही तो उन्होंने उनका मान रखते हुए शगुन के रूप में मात्र 1 और नारियल ही लेकर दुल्हन को ही दहेज के रूप में स्वीकार किया है। उन्होंने कहा कि समाज  अन्य लोगों को भी सबक लेकर दहेज प्रथा रूपी दानव को खत्म करना चाहिए।

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विदाई रस्म की थाली में रखे 15 लाख रुपए ना लेकर शगुन के रूप में मात्र 1 रुपया व नारियल किया स्वीकारउधर दीक्षा के माता-पिता समेस्ता और धर्मपाल बैनीवाल ने कहा कि  दीक्षा ने एमएससी मैथ और बीएड तक पढ़ाई की हुई है और उन्होंने शादी भी धूमधाम से संपन्न की है उनका कहना है कि वह बहुत खुश हैं कि उनकी पुत्री को ऐसा परिवार मिला जो दहेज के लोभी नहीं है और वह अन्य लोगों से अपील करते हैं कि अपनी बेटी को दहेज से पहले ही शिक्षित कर अपना फर्ज निभाना चाहिए। और समाज में फैली कुरीतियों को खत्म करने में  योगदान देना चाहिए। इस अवसर पर शादी में  शतीश बैनीवाल, बलवंत सिंह, दिलीप सिंह, सुभाष चंद्र , मुखराम , विजय, हनुमान, रमेश, सीएम बैनीवाल, अरविंद सहित कई लोगों ने शिरकत की व वर पक्ष द्वारा दहेज प्रथा को खत्म करने में की मुहिम में अहम योगदान की सराहना की। जहां 15लाख रुपए एक बहुत बड़ी रकम मानी जाती है वही दहेज के रूप में 15 लाख रुपए ना ले करके मात्र 1रुपया व नारियल लेना हरियाणा व निकटवर्ती राजस्थान के लोगों में पूरी तरह चर्चा का विषय बना हुआ है। हर तरफ ग्रामीणों द्वारा शादी समारोह की तारीफ की जा रही है ।

विदाई रस्म की थाली में रखे 15 लाख रुपए ना लेकर शगुन के रूप में मात्र 1 रुपया व नारियल किया स्वीकार

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