पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित जसराज का पीलीमंदौरी कनैक्शन व पूरा जीवन-परिचय

पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित जसराज का 90 वर्ष की उम्र में निधनः राष्ट्रपति ने जताया शोक Aapni News Fatehabad Hanuman Poonia पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित जसराज का 90 वर्ष की आयु में सोमवार को निधन हो गया है। उनका निधन अमेरिका के न्यू जर्सी में हुआ। प्रख्यात शास्त्रीय...
  
पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित जसराज का पीलीमंदौरी कनैक्शन व पूरा जीवन-परिचय

पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित जसराज का 90 वर्ष की उम्र में निधनः राष्ट्रपति ने जताया शोक

Aapni News Fatehabad

Hanuman Poonia
पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित जसराज का 90 वर्ष की आयु में सोमवार को निधन हो गया है। उनका निधन अमेरिका के न्यू जर्सी में हुआ। प्रख्यात शास्त्रीय गायक पंडित जसराज की बेटी दुर्गा जसराज ने ये दी जानकारी। पंडिज जसराज के निधन से संगीत जगत शोक में डूब गया है। परिवार के मुताबिक, दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। पंडिज जसराज के निधन पर राष्ट्रपति ने ट्वीट कर शोक व्यक्त किया। राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, “संगीत विभूति व अद्वितीय शास्त्रीय गायक पंडित जसराज के निधन से दुख हुआ. पद्म विभूषण से सम्मानित पंडितजी ने आठ दशकों की अपनी संगीत यात्रा में लोगों को भावपूर्ण प्रस्तुतियों‌ से आनंद विभोर किया। उनके परिवार, मित्रगण व संगीत‌-पारखी लोगों के प्रति मेरी शोक संवेदनाएं!” तो चलिये अब आपको पंडित जसराज के जीवन के संबंध में पूरी विस्तार से जानकारी देते है।

पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित जसराज का पीलीमंदौरी कनैक्शन व पूरा जीवन-परिचयजीवन-परिचय

पण्डित जसराज भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायकों में से एक हैं। जसराज जब चार वर्ष उम्र में थे तभी उनके पिता पण्डित मोतीराम का देहान्त हो गया था और उनका पालन पोषण बड़े भाई पण्डित मणीराम के संरक्षण में हुआ। अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने 11 नवंबर, 2006 को खोजे गए हीन ग्रह 2006 VP32 (संख्या -300128) को पण्डित जसराज के सम्मान में ‘पण्डितजसराज’ नाम दिया है। जसराज ने संगीत दुनियाँ में 80 वर्ष से अधिक बिताए और कई प्रमुख पुरस्कार प्राप्त किए। शास्त्रीय और अर्ध-शास्त्रीय स्वरों के उनके प्रदर्शनो को एल्बम और फिल्म साउंडट्रैक के रूप में भी बनाया गया हैं। जसराज ने भारत, कनाडा और अमेरिका में संगीत सिखाया है। उनके कुछ शिष्य उल्लेखनीय संगीतकार भी बने हैं। उनकी मृत्यु 17 अगस्त 2020 को अमेरिका के न्यू जर्सी में हुई।
परिवारः पंडित जसराज का जन्म 28 जनवरी 1930 को हरियाणा के हिसार जिला के गांव पीलीमंदौरी में हुआ था जो कि अब फतेहाबाद जिला में पड़ता है। पण्डितजी के परिवार में उनकी पत्नी मधु जसराज, पुत्र सारंग देव और पुत्री दुर्गा हैं। 1962 में जसराज ने फिल्म निर्देशक वी. शांताराम की बेटी मधुरा शांताराम से विवाह किया, जिनसे उनकी पहली मुलाकात 1960 में मुंबई में हुई थी।

पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित जसराज का पीलीमंदौरी कनैक्शन व पूरा जीवन-परिचयजीवन-यात्रा

प्रशिक्षणः जसराज को उनके पिता पंडित मोतीराम ने मुखर संगीत में दीक्षा दी और बाद में उनके बड़े भाई पंडित प्रताप नारायण ने उन्हे तबला संगतकार में प्रशिक्षित किया। वे अपने सबसे बड़े भाई, पंडित मनीराम के साथ अपने एकल गायन प्रदर्शन में अक्सर शामिल होते थे। बेगम अख्तर द्वारा प्रेरित होकर उन्होने शास्त्रीय संगीत को अपनाया। जसराज ने 14 साल की उम्र में एक गायक के रूप में प्रशिक्षण शुरू किया, इससे पहले तक वे तबला वादक ही थे। जब उन्होने तबला त्यागा तो उस समय संगतकारों द्वारा सही व्यवहार नहीं किया गया। उन्होंने 22 साल की उम्र में गायक के रूप में अपना पहला स्टेज कॉन्सर्ट किया। मंच कलाकार बनने से पहले, जसराज ने कई वर्षों तक रेडियो पर एक ‘प्रदर्शन कलाकार’ के रूप में काम किया।

पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित जसराज का पीलीमंदौरी कनैक्शन व पूरा जीवन-परिचयतकनीक और शैली

शास्त्रीय संगीत: हालाँकि जसराज मेवाती घराने से ताल्लुक रखते हैं, जो संगीत का एक स्कूल है और ‘ख़याल’ के पारंपरिक प्रदर्शनों के लिए जाना जाता है। जसराज ने ख़याल गायन में कुछ लचीलेपन के साथ ठुमरी, हल्की शैलियों के तत्वों को जोड़ा है। जसराज के करियर के शुरुआती दौर में उन्हें संगीत के अन्य विद्यालयों या घरानों के तत्वों को अपनी गायकी में शामिल किए जाने पर उनकी आलोचना की गई थी। हालांकि, संगीत समीक्षक एस॰ कालिदास ने कहा कि घरानों में तत्वों की यह उधारी अब आम तौर पर स्वीकार कर ली गई है। जसराज ने जुगलबंदी का एक उपन्यास रूप तैयार किया, जिसे ‘जसरंगी’ कहा जाता है, जिसे ‘मूर्छना’ की प्राचीन प्रणाली की शैली में किया गया है जिसमें एक पुरुष और एक महिला गायक होते हैं जो एक समय पर अलग-अलग राग गाते हैं। उन्हें कई प्रकार के दुर्लभ रागों को प्रस्तुत करने के लिए भी जाना जाता है जिनमें अबिरी टोडी और पाटदीपाकी शामिल हैं।
अर्ध-शास्त्रीय और लोकप्रिय संगीत: शास्त्रीय संगीत के प्रदर्शन के अलावा, जसराज ने अर्ध-शास्त्रीय संगीत शैलियों को लोकप्रिय बनाने के लिए भी काम किया है, जैसे हवेली संगीत, जिसमें मंदिरों में अर्ध-शास्त्रीय प्रदर्शन शामिल हैं।

पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित जसराज का पीलीमंदौरी कनैक्शन व पूरा जीवन-परिचयपुरस्कार व सम्मान

वे अन्य कई पुरस्कारों के अतिरिक्त प्रतिष्ठित पद्मभूषण से भी सम्मानित हो चुके हैं।
मंगल और बृहस्पति के बीच एक हीन ग्रह का नाम पंडित जसराज के सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा रखा गया है।
सुमित्रा चरत राम अवार्ड फॉर लाइफटाइम अचीवमेंट (2014)
मारवाड़ संगीत रत्न पुरस्कार (2014)
संगीत नाटक अकादमी फैलोशिप (2010)
स्वाति संगीता पुरस्करम् (2008)
पद्म विभूषण (2000)
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (1987)
पद्म श्री (1975)
संगीत काला रत्न
मास्टर दीनानाथ मंगेशकर पुरस्कार
लता मंगेशकर पुरस्कार
महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार

पद्म विभूषण से सम्मानित पंडित जसराज का पीलीमंदौरी कनैक्शन व पूरा जीवन-परिचय

Text Example

Disclaimer : इस खबर में जो भी जानकारी दी गई है उसकी पुष्टि Aapninews.in द्वारा नहीं की गई है। यह सारी जानकारी हमें सोशल और इंटरनेट मीडिया के जरिए मिली है। खबर पढ़कर कोई भी कदम उठाने से पहले अपनी तरफ से लाभ-हानि का अच्छी तरह से आंकलन कर लें और किसी भी तरह के कानून का उल्लंघन न करें। Aapninews.in पोस्ट में दिखाए गए विज्ञापनों के बारे में कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है।