परमहंस अनमोल वचन 04: जब आप सब कुछ छोड़ने का निर्णय करते हैं, तब आपको सब कुछ मिलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है

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कंपनी से कोई नई गाड़ी आप खरीदते हैं उसमें बहुत सी अशुद्धियां भी साथ आती है।
कंपनी गाड़ी की तीन सर्विस यानी संस्कार फ्री करके देती है।
लोगों की अशुद्धियों के संस्कार के लिए समय-समय पर 16 शुद्धि यानी संस्कार अति आवश्यक है वरना टकराव निश्चित है।
आपकी जीवन में कितनी सर्विस हुई है।
परमहंस अनमोल वचन 02: दो विपरीत ध्रुव में होता है अट्रेक्शन या रीपेल
जिसका चिंतन होता है, समझो आप वहीं से जुड़े हो। चिंतन का बड़ा महत्व है। आपका इस जन्म का अंतिम चिंतन अगले जन्म का पहला चिंतन होगा।
इसलिए संसार में प्रीति सोच समझ कर करिए। ईश्वर का चिंतन आपको सबसे मुक्त करता है।
जब आप सब कुछ छोड़ने का निर्णय करते हैं, तब आपको सब कुछ मिलने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।
अस्तित्व आपको अकेला नहीं छोड़ता है, आप अस्तित्व का भरोसा नहीं करते।
खुद का भरोसा करने से आप उतना ही कर पाते है।
अस्तिव आपको बहुत देना चाहता है लेकिन भरोसा करने पर।
परमहंस अनमोल वचन 01: कान निंदा-चुगली या गाने सुनने के लिए नहीं दिए हैं
आपको जो संसार में इन आंखो से दिखता है वो इन्द्रियों के माध्यम से दिखता है।
माध्यम से कोई भी कार्य हो वो स्पष्ट नहीं होता।
ये आपके अहंकार की वजह से भिन्न-भिन्न दिखता है।
शिव के भक्त को भक्ति की टेक्नीक ऐसी होनी चाहिए जिसमें कोई माध्यम न हो, इन्द्रिय भी नहीं।
वो भक्त असल में शिव भक्त है।
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