Guru Chandal Yog: राहु के साथ आने के कारण देवगुरु बृहस्पति की शक्ति होती है कम, देखें देश-दुनिया पर क्या पड़ेगा प्रभाव

  
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गुरु चांडाल योग: अपनी मीन राशि के देव गुरु बृहस्पति 21 अप्रैल 2023 शुक्रवार की रात 1:10 के बाद वैशाख शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि को अपनी मित्र राशि मंगल का मेष राशि में प्रवेश करेंगे। देव गुरु बृहस्पति अपना प्रभाव स्थापित करता है जो लगभग 13 महीने तक एक राशि में रहता है। यह 22 अप्रैल 2023 से 1 मई 2024 तक मेष राशि में रहेगा। यह 22 अप्रैल से मेष राशि में अपना प्रभाव स्थापित करेगा जहां राहु का गोचर होगा। गुरु के मेष राशि में परिवर्तन से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी प्रकार की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक व्यवस्थाओं में परिवर्तन हो सकता है। वहीं अपनी मीन राशि में रहते हुए जहां बृहस्पति अपना पूर्ण प्रभाव दे सकता है। वहीं, मेष राशि में पहुंचकर यह अपना पूरा प्रभाव नहीं दे पाएगा। इतना ही नहीं 30 अक्टूबर 2023 तक राहु के साथ रहने से कई तरह के नकारात्मक प्रभाव भी दिखाई देंगे। देव गुरु बृहस्पति को ज्ञान, अध्यात्म, धार्मिकता, धर्म, कर्मकांड, गुरु, यज्ञ, धार्मिक संस्थान, विद्यालय, विश्वविद्यालय, जीवन शक्ति आदि का कारक ग्रह माना जाता है। राहु के पीड़ित होने पर सभी कारक तत्वों का व्यापक प्रभाव देखने को मिलेगा।

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मेष राशि अथवा तुला राशि से नाम राशि वाले राष्ट्रों विशेषकर चु, के, ला, अ, आ, र, रा, रु, रे, ता, तू, ते से आरम्भ नाम राशि वाले राष्ट्रों  ज्यादा तनाव पूर्ण हो सकता है। इन रास्तों में प्राकृतिक दुर्घटनाओं के साथ-साथ आंतरिक अशांति की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। धार्मिक अशांति, धार्मिक विवाद के साथ-साथ जातीय विद्रोह की स्थिति नकारात्मक रूप में सामने आ सकती है।

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स्वतंत्र भारत की कुंडली वृषभ लग्न एवं कर्क राशि की है। ऐसे में लग्न के अनुसार देखा जाए तो देव गुरु बृहस्पति का गोचरीय परिवर्तन द्वादश भाव अर्थात व्यय भाव पर होने जा रहा है । लाभेश का व्यय भाव में जाना लाभ भंग योग का निर्माण कर देता है परंतु अष्टमेश भी होने के कारण विपरीत राजयोग का भी निर्माण करेंगे। ऐसे में बृहस्पति का शुभ तथा अशुभ दोनों प्रकार का प्रभाव भारत भूमि पर दिखाई देगा । बृहस्पति के साथ राहु का भी गोचरीय परिवर्तन 30 अक्टूबर 2023 तक मेष राशि में होगा। परिणाम स्वरूप गुरु चांडाल योग का निर्माण हो जाएगा । फलतः राष्ट्र के अन्तर्राष्ट्रीय कोष में वृद्धि होगा। भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि होगा। भारत के आंतरिक सामाजिक, राजनीतिक आर्थिक एवं धार्मिक व्यवस्था में भी परिवर्तन दिखाई देगा । 

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बृहस्पति की दृष्टि चतुर्थ भाव सिंह राशि पर होगा परिणाम स्वरूप गृह एवं वाहन सुख , कंस्ट्रक्शन, रीयल स्टेट, इंफ्रास्ट्रक्चर, सुख के संसाधनों पर सकारात्मक प्रभाव होता दिखाई देगा परंतु 30 अक्टूबर तक यह परिवर्तन ज्यादा शुभ फल प्रदान नहीं होगा । अपितु नकारात्मक प्रभाव ज्यादा दिखाई देगा। 22 अप्रैल से लेकर 30 अक्टूबर के बीच में सामाजिक स्तर पर ज्यादा नकारात्मक प्रभाव दिखाई देगा। बृहस्पति के पीड़ित हो जाने से अचानक सामाजिक विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकता है। आम जन मानस के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। विषाणु अथवा जीवाणु के कारण आम जन मानस को कष्ट का सामना करना पड़ सकता है। आम जनमानस के स्वास्थ्य में सुधार के लिए सरकार को ज्यादा मात्रा में धन खर्च करना पड़ सकता है। इस अवधि में साधु संतों को लेकर भी नकारात्मक स्थिति उत्पन्न हो सकती है विशेषकर साधु-संतों के विरुद्ध विवाद अथवा हत्याओं में वृद्धि। 22 अप्रैल से 30 अक्टूबर के बीच में धर्म एवं धार्मिक क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बड़ी नकारात्मक स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है। 

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इस अवधि में राजनैतिक क्षेत्र में भी परिवर्तन होता दिखाई देगा। राजनीतिक विवाद राजनीतिक संघर्ष राजनैतिक उथल-पुथल की स्थिति इस बीच में ज्यादा दिखाई देगी। बड़े राष्ट्रीय राजनीतिक व्यक्तित्व की क्षति की भी संभावना बन सकती है। आर्थिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह समय भारतीय दृष्टिकोण से सकारात्मक फल प्रदायक होगा। भारत के अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में वृद्धि होगी । आम जनमानस के लिए संसाधनों के प्राप्ति सहज रूप से हो सकेंगे। 30 अक्टूबर के बाद से आम जनमानस के मध्य बड़े सकारात्मक परिवर्तन दिखाई देंगे। उससे पूर्व निश्चित और की आवश्यकता है।

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