Fake Gang:13 साल मे बैंकों को लगाया 23 करोड़ का चूना फर्जी कंपनियां बनाकर, पुलिस ने आठ लोगों को दबोचे

एसटीएफ के एएसपी राजकुमार मिश्रा ने बताया कि जालसाज किसी न किसी तरह से बैंकिंग और मोबाइल आदि के काम से जुड़े हुए रहे। इसके बाद सभी ने मिलकर फर्जीवाड़ा गिरोह बना लिया। जालसाज सबसे पहले कागज पर फर्जी दस्तावेज के आधार पर कंपनी बनाते थे। इसमें डायरेक्टर से लेकर कर्मचारी सभी फर्जी होते थे।
  
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 फर्जी कंपनियां बनाकर बैंकों से 23 करोड़ रुपये से अधिक का लोन लेकर गबन करने वाले एक गिरोह का खुलासा हुआ है। नोएडा एसटीएफ और नोएडा पुलिस की टीम ने सरगना समेत आठ जालसाजों को गिरफ्तार किया है। जालसाज 13 अलग-अलग फर्जी कंपनी बनाकर इनमें फर्जी कर्मचारी के नाम पर वेतन डालते थे और सिबिल स्कोर अच्छा कर बैंक से लोन ले लेते थे। पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के खाते में 80 लाख रुपये फ्रीज कराए हैं और अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है।

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एचडीएफसी बैंक के क्रेडिट एंड इंटेलिजेंस कंट्रोल के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट की तरफ से मिली शिकायत के बाद नोएडा एसटीएफ और नोएडा पुलिस की टीम ने आठ जालसाजों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान जैतपुर, बिजनौर निवासी मोहसिन खान, चंदननगर दिल्ली निवासी अनुराग चटकारा उर्फ अनुराग अरोड़ा, लालकुआं, गाजियाबाद निवासी अमन शर्मा, सेक्टर-20 निवासी दानिश छिब्बर, न्यू अशोक नगर निवासी वसीम अहमद, जैतपुर, दिल्ली निवासी जीतू उर्फ जितेन्द्र, कन्नौज निवासी रविकांत मिश्रा और ग्रेटर नोएडा निवासी तनुज शर्मा के रूप में हुई है। जालसाज फर्जी आधार, डीएल और पैन कार्ड के आधार पर फर्जी कंपनियां बनाते थे और बैंकों से लोन लेकर गबन कर जाते थे।
नोएडा जोन के डीसीपी हरीश चंदर ने बताया कि जालसाज तीन साल से लगातार इस तरह के फ्रॉड कर रहे थे। गिरोह का सरगना मोहसिन खान करीब 13 साल से इस तरह का काम कर रहा है। गिरोह के चार आरोपी फरार हैं। इनको भी गिरफ्तार किया जाएगा।

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इस तरह से करते थे जालसाजी
एसटीएफ के एएसपी राजकुमार मिश्रा ने बताया कि जालसाज किसी न किसी तरह से बैंकिंग और मोबाइल आदि के काम से जुड़े हुए रहे। इसके बाद सभी ने मिलकर फर्जीवाड़ा गिरोह बना लिया। जालसाज सबसे पहले कागज पर फर्जी दस्तावेज के आधार पर कंपनी बनाते थे। इसमें डायरेक्टर से लेकर कर्मचारी सभी फर्जी होते थे। डायरेक्टर से लेकर कर्मचारी के नाम पर फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड लगाए जाते थे। कार्ड या तो फर्जी होते थे या किसी गरीब शख्स का कार्ड होता था। इन फोटो भी उनके होते थे लेकिन मोबाइल नंबर इन जालसाजों का होता था। इसके बाद आरोपी कंपनी के पांच से छह सौ फर्जी कर्मचारियों के नाम पर हर महीने वेतन खाते में डालते थे, फिर उसमें से निकालकर अगले महीने का वेतन डालते थे। इस तरह करीब एक से डेढ़ साल तक ऐसा करते थे। इससे बैंक में सिबिल स्कोर अच्छा हो जाता था, फिर कर्मचारियों के नाम पर बैंक से ऑनलाइन लोन ले लेते थे। इस तरह अब तक 23 करोड़ रुपये लोन लेने की बात सामने आई है।

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फर्जी कर्मचारियों के ईपीएफओ भी कटवाते थे
जांच में पता चला है कि फर्जी कंपनियों में जितने कर्मचारी के नाम पर वेतन डाला जाता था। इनके नाम पर ईपीएफओ भी कटवाया जाता था, ताकि किसी एजेंसी या बैंक को फर्जीवाड़े का शक न हो। अब पुलिस बैंक के साथ-साथ भविष्य निधि कार्यालय से भी इसकी जानकारी लेकर जांच आगे बढ़ाएगी।

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यह हुई बरामदगी
518 चेकबुक (विभिन्न बैंकों की), 327 डेबिट कार्ड, 278 पैन कार्ड, 361 एक्टिव सिम कार्ड, 187 मोबाइल, दो कार, दो बाइक, तीन लैपटॉप, एक हार्ड डिस्क, 93 आधार कार्ड, 23 आईडी कार्ड, एक नोट गिनने की मशीन, एक आईकार्ड बनाने की मशीन, 103 फर्जी कागजों की छायाप्रति, विभिन्न कंपनियों की 30 मोहर, 15 ड्राइविंग लाइसेंस, एक लाख 9 हजार रुपये नकद, अकाउंट में 80 लाख फ्रीज।

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