Varanasi: सामाजिक कार्यकर्ता का छोटा भाई फांसी के फंदे से झूला, वजह जान चोंक जाएंगे

कणाद की पत्नी मंगलवार को किसी काम से दौलतपुर स्थित मकान पर आई थी। रात लगभग साढ़े 10 बजे कणाद फेसबुक पर लाइव आया। करीब एक मिनट तक बोलने के बाद लाइव होकर ही दुपट्टे के सहारे पंखे से लटक गया।
  
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वाराणसी के दौलतपुर (पांडेयपुर) निवासी सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. लेनिन रघुवंशी के छोटे भाई कणाद रघुवंशी (32) ने मंगलवार रात साढ़े दस बजे फेसबुक पर लाइव होकर फंदे से झूलकर खुदकुशी कर ली। फेसबुक पर लाइव वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें कणाद खुदकुशी से पहले अपनी पत्नी से माफी मांग रहा है तो वहीं पिता को नहीं रोने की सलाह दे रहा है।

कणाद ने पिछले साल प्रेम विवाह किया था। बताया जा रहा है कि वह नशे का आदी था। परिजनों के अनुसार उसमें सुधार लाने के लिए उसे परिवार सहित पुस्तैनी मकान धरहरा में रखा गया था। इधर,वह गांव में अपना अलग हिस्सा मांग रहा था, लेकिन परिवार के लोग पिता के रहते हिस्सा देने के लिए राजी नहीं हुए।

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फेसबुक लाइव में कणाद को देख परिजनों में कोहराम
कणाद की पत्नी मंगलवार को किसी काम से दौलतपुर स्थित मकान पर आई थी। रात लगभग साढ़े 10 बजे कणाद फेसबुक पर लाइव आया। करीब एक मिनट तक बोलने के बाद लाइव होकर ही दुपट्टे के सहारे पंखे से लटक गया।
ऐसा करते देख घर में कोहराम मच गया। परिवार के लोग धरहरा के लिए रवाना हो गए। कणाद पांच भाइयों में सबसे छोटा था। छह माह पहले उसकी मां का निधन हो गया था।

अपने घर से हार गया। अपने भाइयों से हार गया। कुछ लोग, जिन्हें मैं अपना मानता था उनसे हार गया। मैं अपनी पत्नी से माफी मांगूगा, अपने परिवार से और पिता से माफी मांगूगा। पिता जी मैं आपके लायक कभी नहीं बन पाया। जैसा आप चाहते थे वैसा बेटा नहीं बन पाया। लेकिन शायद वैसा बेटा था । एक रुपया भी नहीं कमा पाया लेकिन एक लाख की इज्जत करता हूं मैं। अब सब खत्म। फिर बनारसी लहजे में बोला-डरियेगा नहीं पापा, रोइयेगा नहीं पापा। इतना बोलकर वो उठा और पंखे के सहारे फंदे से झूल गया।

फेसुबक लाइव में क्या बोला कणाद
अपने घर से हार गया। अपने भाइयों से हार गया। कुछ लोग, जिन्हें मैं अपना मानता था उनसे हार गया। मैं अपनी पत्नी से माफी मांगूगा, अपने परिवार से और पिता से माफी मांगूगा। पिता जी मैं आपके लायक कभी नहीं बन पाया। जैसा आप चाहते थे वैसा बेटा नहीं बन पाया। लेकिन शायद वैसा बेटा था । एक रुपया भी नहीं कमा पाया लेकिन एक लाख की इज्जत करता हूं मैं। अब सब खत्म। फिर बनारसी लहजे में बोला-डरियेगा नहीं पापा, रोइयेगा नहीं पापा। इतना बोलकर वो उठा और पंखे के सहारे फंदे से झूल गया।

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