दिग्विजय की सगाई से 'ताऊ' और अभय ने बनाई दूरी... ऐसे शुरू हुई थी अनबन, चौटाला परिवार की पूरी समझिए महाभारत
Wed, 15 Mar 2023 1678864741816

Aapni News
ताऊ की विरासत को चौटाला ने संभाला
विवाद की तह में जाएं उससे पहले चौटाला परिवार का थोड़ा सा इतिहास जानते हैं। सिरसा जिले के चौटाला गांव से ताल्लुक रखने वाले चौधरी देवीलाल के परिवार का हरियाणा की सियासत में कभी दबदबा हुआ करता था। 25 सितंबर 1914 को पैदा हुए चौधरी देवीलाल को हरियाणा के लोग ताऊ के नाम से अब भी याद करते हैं। देवीलाल ने स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया। लाला लाजपत राय के साथ वह विरोध प्रदर्शनों में शामिल हुआ करते थे। देश आजाद हुआ और 1952 में पहली बार देवीलाल कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। आपातकाल में देवीलाल ने जनता पार्टी का दामन थामा और दिल्ली तक उनकी मजबूत सियासी दस्तक रही। 80 के दशक के आखिरी सालों में वह देश की राजनीति में किंगमेकर भी बने। वीपी सिंह की राष्ट्रीय मोर्चा सरकार में वह 19 अक्टूबर 1989 से 21 जून 1991 तक देश के उपप्रधानमंत्री रहे। 1977 से 1979 और 1987 से 1989 तक वह दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे। देवीलाल की विरासत को आगे बढ़ाते हुए ओमप्रकाश चौटाला भी तीन बार हरियाणा के सीएम की कुर्सी तक पहुंचे। हरियाणा के जूनियर बेसिक ट्रेनिंग टीचर्स भर्ती घोटाले में चौटाला ने 10 साल जेल की सजा भी काटी।
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ओमप्रकाश चौटाला के दो बेटे हैं- अजय सिंह चौटाला बड़े हैं और अभय सिंह चौटाला छोटे। अजय चौटाला की पत्नी नैना चौटाला और उनके दो बेटे हैं- दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला। वहीं अभय चौटाला के भी दो बेटे हैं। एक का नाम करण है और दूसरे का नाम अर्जुन। अब आते हैं चौटाला परिवार की महाभारत पर। जब टीचर भर्ती घोटाले में ओमप्रकाश चौटाला और अजय चौटाला जेल में थे तो पार्टी में अभय चौटाला दूसरा पावर सेंटर बन गए थे। पार्टी से जुड़े ज्यादातर फैसलों में उन्हीं का दखल था। वहीं अजय के साथ ही दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला पार्टी में कमजोर पड़ते जा रहे थे। दो नवंबर 2018 को ओमप्रकाश चौटाला ने अजय चौटाला के बेटों दुष्यंत और दिग्विजय को इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) से निकाल दिया। इसके ठीक 12 दिन बाद यानी 14 नवंबर 2018 को अजय चौटाला की पार्टी से सदस्यता भी रद्द कर दी गई। बाकायदा ओमप्रकाश चौटाला की जेल से लिखी चिट्ठी पढ़कर मीडिया को सुनाई गई। फैसले का ऐलान करते वक्त अजय के छोटे भाई अभय चौटाला मौजूद थे। इस खत में अजय चौटाला की आईएनएलडी से सदस्यता रद्द करने का फरमान था।
गोहाना की रैली ने तय कर दिया आईएनएलडी का विभाजन
दरअसल अजय चौटाला के परिवार को पार्टी से निकालने की जमीन 7 अक्टूबर 2018 को ही तैयार हो गई थी। सोनीपत के गोहाना में आईएनएलडी की इस रैली में ओमप्रकाश चौटाला भी मौजूद थे। वह दो हफ्ते की परोल पर बाहर आए थे। इसी दौरान भीड़ में से कुछ लोगों ने अभय चौटाला के खिलाफ नारे लगाने शुरू कर दिए। 22 अक्टूबर 2018 को जब दुष्यंत जींद आए तो बड़ा जनसमूह उनके समर्थन में था। इसके बाद ओमप्रकाश चौटाला ने दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। यही नहीं आईएनएलडी की उस यूथ विंग को भी भंग कर दिया गया, जिसकी अगुआई दिग्विजय चौटाला कर रहे थे। दुष्यंत और दिग्विजय ने इस फैसले को खारिज करते हुए पूरे हरियाणा में जनसमर्थन जुटाना शुरू कर दिया। अलग-अलग बैठकों में वे सवाल पूछने लगे कि पार्टी का कौन सा अनुशासन उनकी तरफ से तोड़ा गया? इन सबके बीच अभय चौटाला सफाई देते रहे कि भतीजों से कोई विरोध नहीं है और दोनों ही उनके बच्चे हैं।
आईएनएलडी में मचे घमासान के बीच 17 नवंबर 2018 को अजय चौटाला ने जींद में एक बड़ी रैली बुला ली। इस रैली के मंच से भी अभय चौटाला के खिलाफ भड़ास निकाली गई। इस घटनाक्रम के साथ ही आईएनएलडी का टूटना तय हो गया था। 9 दिसंबर 2018 को दुष्यंत चौटाला ने जींद से ही जननायक जनता पार्टी के नाम से एक नए दल का ऐलान कर दिया। दुष्यंत ने इस दौरान कहा कि देवीलाल के नाम पर ही पार्टी का नाम जननायक रखा जा रहा है, क्योंकि हरियाणा में समर्थक उन्हें जननायक के नाम से भी पुकारते थे। जेजेपी ने देवीलाल के सिद्धांतों के आधार पर पार्टी की विचारधारा और सियासत आगे बढ़ाने की घोषणा की।
2019 के चुनाव में ताऊ की तरह दुष्यंत बन गए किंगमेकर
हरियाणा में 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले यह एक बड़ा घटनाक्रम था। 2014 के विधानभा चुनाव में आईएनएलडी को 24 प्रतिशत वोटों के साथ हरियाणा की 90 में से 18 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन 2019 के चुनाव में आईएनएलडी के सामने परिवार से ही निकली पार्टी जेजेपी सबसे बड़ी चुनौती बन गई। इस चुनाव में आईएनएलडी के वोट शेयर पर पूरी तरह से जेजेपी का कब्जा हो गया। जेजेपी ने 87 सीटों पर चुनाव लड़ा। उसे 15.32 प्रतिशत वोटों के साथ 10 सीटों पर जीत मिली। वहीं आईएनएलडी सिर्फ एक सीट और 2.71 प्रतिशत वोट ही हासिल कर सकी। इन नतीजों ने दुष्यंत चौटाला को हरियाणा की सियासत में उनकी पार्टी के नाम की तरह जननायक बना दिया। विधानसभा में 40 सीटों के साथ बीजेपी भी बहुमत से दूर रह गई। ऐसे में दुष्यंत चौटाला किंगमेकर बने। जेजेपी के समर्थन से बीजेपी ने हरियाणा में सरकार बना ली। 25 अक्टूबर 2019 को दुष्यंत चौटाला ने डेप्युटी सीएम पद की शपथ ली। आईएनएलडी में बिखराव के साथ ही अजय और अभय चौटाला के परिवार में दूरियां बढ़ती ही चली गईं। इसी का नतीजा दिग्विजय की सगाई में भी देखने को मिला है। उनके दादा ओमप्रकाश चौटाला और चाचा अभय चौटाला ने सगाई समारोह में मौजूदगी तक नहीं दर्ज कराई।
ओमप्रकाश चौटाला के दो बेटे हैं- अजय सिंह चौटाला बड़े हैं और अभय सिंह चौटाला छोटे। अजय चौटाला की पत्नी नैना चौटाला और उनके दो बेटे हैं- दुष्यंत चौटाला और दिग्विजय चौटाला। वहीं अभय चौटाला के भी दो बेटे हैं। एक का नाम करण है और दूसरे का नाम अर्जुन। अब आते हैं चौटाला परिवार की महाभारत पर। जब टीचर भर्ती घोटाले में ओमप्रकाश चौटाला और अजय चौटाला जेल में थे तो पार्टी में अभय चौटाला दूसरा पावर सेंटर बन गए थे। पार्टी से जुड़े ज्यादातर फैसलों में उन्हीं का दखल था। वहीं अजय के साथ ही दुष्यंत और दिग्विजय चौटाला पार्टी में कमजोर पड़ते जा रहे थे। दो नवंबर 2018 को ओमप्रकाश चौटाला ने अजय चौटाला के बेटों दुष्यंत और दिग्विजय को इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) से निकाल दिया। इसके ठीक 12 दिन बाद यानी 14 नवंबर 2018 को अजय चौटाला की पार्टी से सदस्यता भी रद्द कर दी गई। बाकायदा ओमप्रकाश चौटाला की जेल से लिखी चिट्ठी पढ़कर मीडिया को सुनाई गई। फैसले का ऐलान करते वक्त अजय के छोटे भाई अभय चौटाला मौजूद थे। इस खत में अजय चौटाला की आईएनएलडी से सदस्यता रद्द करने का फरमान था।
गोहाना की रैली ने तय कर दिया आईएनएलडी का विभाजन
दरअसल अजय चौटाला के परिवार को पार्टी से निकालने की जमीन 7 अक्टूबर 2018 को ही तैयार हो गई थी। सोनीपत के गोहाना में आईएनएलडी की इस रैली में ओमप्रकाश चौटाला भी मौजूद थे। वह दो हफ्ते की परोल पर बाहर आए थे। इसी दौरान भीड़ में से कुछ लोगों ने अभय चौटाला के खिलाफ नारे लगाने शुरू कर दिए। 22 अक्टूबर 2018 को जब दुष्यंत जींद आए तो बड़ा जनसमूह उनके समर्थन में था। इसके बाद ओमप्रकाश चौटाला ने दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। यही नहीं आईएनएलडी की उस यूथ विंग को भी भंग कर दिया गया, जिसकी अगुआई दिग्विजय चौटाला कर रहे थे। दुष्यंत और दिग्विजय ने इस फैसले को खारिज करते हुए पूरे हरियाणा में जनसमर्थन जुटाना शुरू कर दिया। अलग-अलग बैठकों में वे सवाल पूछने लगे कि पार्टी का कौन सा अनुशासन उनकी तरफ से तोड़ा गया? इन सबके बीच अभय चौटाला सफाई देते रहे कि भतीजों से कोई विरोध नहीं है और दोनों ही उनके बच्चे हैं।
JJP नेता दिग्विजय चौटाला की लगन रंधावा संग सगाई, चाचा अभय ही नहीं, दादा ओमप्रकाश चौटाला भी नहीं पहुंचे
जींद में जननायक जनता पार्टी का हुआ जन्मआईएनएलडी में मचे घमासान के बीच 17 नवंबर 2018 को अजय चौटाला ने जींद में एक बड़ी रैली बुला ली। इस रैली के मंच से भी अभय चौटाला के खिलाफ भड़ास निकाली गई। इस घटनाक्रम के साथ ही आईएनएलडी का टूटना तय हो गया था। 9 दिसंबर 2018 को दुष्यंत चौटाला ने जींद से ही जननायक जनता पार्टी के नाम से एक नए दल का ऐलान कर दिया। दुष्यंत ने इस दौरान कहा कि देवीलाल के नाम पर ही पार्टी का नाम जननायक रखा जा रहा है, क्योंकि हरियाणा में समर्थक उन्हें जननायक के नाम से भी पुकारते थे। जेजेपी ने देवीलाल के सिद्धांतों के आधार पर पार्टी की विचारधारा और सियासत आगे बढ़ाने की घोषणा की।
2019 के चुनाव में ताऊ की तरह दुष्यंत बन गए किंगमेकर
हरियाणा में 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले यह एक बड़ा घटनाक्रम था। 2014 के विधानभा चुनाव में आईएनएलडी को 24 प्रतिशत वोटों के साथ हरियाणा की 90 में से 18 सीटों पर जीत मिली थी। लेकिन 2019 के चुनाव में आईएनएलडी के सामने परिवार से ही निकली पार्टी जेजेपी सबसे बड़ी चुनौती बन गई। इस चुनाव में आईएनएलडी के वोट शेयर पर पूरी तरह से जेजेपी का कब्जा हो गया। जेजेपी ने 87 सीटों पर चुनाव लड़ा। उसे 15.32 प्रतिशत वोटों के साथ 10 सीटों पर जीत मिली। वहीं आईएनएलडी सिर्फ एक सीट और 2.71 प्रतिशत वोट ही हासिल कर सकी। इन नतीजों ने दुष्यंत चौटाला को हरियाणा की सियासत में उनकी पार्टी के नाम की तरह जननायक बना दिया। विधानसभा में 40 सीटों के साथ बीजेपी भी बहुमत से दूर रह गई। ऐसे में दुष्यंत चौटाला किंगमेकर बने। जेजेपी के समर्थन से बीजेपी ने हरियाणा में सरकार बना ली। 25 अक्टूबर 2019 को दुष्यंत चौटाला ने डेप्युटी सीएम पद की शपथ ली। आईएनएलडी में बिखराव के साथ ही अजय और अभय चौटाला के परिवार में दूरियां बढ़ती ही चली गईं। इसी का नतीजा दिग्विजय की सगाई में भी देखने को मिला है। उनके दादा ओमप्रकाश चौटाला और चाचा अभय चौटाला ने सगाई समारोह में मौजूदगी तक नहीं दर्ज कराई।
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