गजब! इस देश में गरीबी की अलग परिभाषा, 29 लाख सालाना कमाने वाला परिवार भी गरीब

  
गजब! इस देश में गरीबी की अलग परिभाषा, 29 लाख सालाना कमाने वाला परिवार भी गरीब

Aapni News, Amazing

पूरी दुनिया में गरीबी एक बड़ी समस्या है, खासकर कुछ देशों में गरीब लोग हर बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष करते हैं। विभिन्न देशों में कमजोर परिवारों को आय के आधार पर गरीबी रेखा के नीचे रखा गया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि एक देश ऐसा भी है जहां सालाना 29 लाख रुपये से कम कमाने वाले परिवार गरीबी रेखा के नीचे आते हैं। आप सोच रहे होंगे कि यह कैसे संभव है? आइए जानते हैं उस देश का नाम और वहां गरीबी को लेकर क्या नियम हैं?

गजब! इस देश में गरीबी की अलग परिभाषा, 29 लाख सालाना कमाने वाला परिवार भी गरीब

अमेरिका दुनिया का सबसे ताकतवर और विकसित देश है, लेकिन यहां भी गरीबी एक समस्या है। अमेरिका ने पिछले 50 सालों में काफी तरक्की की है और कई युद्ध जीते हैं, फिर भी गरीबी को पूरी तरह खत्म नहीं कर सका।

गजब! इस देश में गरीबी की अलग परिभाषा, 29 लाख सालाना कमाने वाला परिवार भी गरीब

अमेरिकी सरकार के मुताबिक 1970 में देश की 12.6 फीसदी आबादी गरीब थी, लेकिन 1990 में 13.5 फीसदी और 2010 में 15.1 फीसदी, 2019 में यह आंकड़ा घटकर 10.5 फीसदी रह गया है.

गजब! इस देश में गरीबी की अलग परिभाषा, 29 लाख सालाना कमाने वाला परिवार भी गरीब

दरअसल, अमेरिका में अगर 5 सदस्यीय परिवार की सालाना आय 35,801,29 लाख डॉलर से कम है तो उन्हें गरीबी रेखा के नीचे रखा जाता है। डॉलर की गणना रुपये में की जाए तो यह राशि 29 लाख होती है।

गजब! इस देश में गरीबी की अलग परिभाषा, 29 लाख सालाना कमाने वाला परिवार भी गरीब

ऐसे में 29 लाख से कम कमाने वाले परिवार का गरीबी रेखा से नीचे आना भारतीयों के लिए बड़े आश्चर्य की बात है।

गजब! इस देश में गरीबी की अलग परिभाषा, 29 लाख सालाना कमाने वाला परिवार भी गरीब

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के एक पेपर के अनुसार, अत्यधिक गरीबी, जिसे विश्व बैंक द्वारा क्रय शक्ति समानता (पीपीपी) के मामले में 1.9 अमेरिकी डॉलर या उससे कम पर रहने के रूप में परिभाषित किया गया है।

वहीं, विश्व बैंक के अनुसार प्रतिदिन 2.15 डॉलर या इससे कम कमाने वाले लोगों को बेहद गरीब माना जाएगा। भारतीय रुपये में यह रकम 167 रुपये के बराबर है। पहले 145 रुपये प्रतिदिन तक कमाने वालों को बेहद गरीब माना जाता था। अगर इसकी गणना सालाना आधार पर भी की जाए तो यह रकम 60 हजार रुपए बनती है।

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