Sports:सोनीपत की लाडलियों मंजू चौरसिया, प्रीति और साक्षी राणा का भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम में चयन हुआ है। प्रीतम सिवाच हॉकी अकादमी की खिलाड़ियों का चयन होने से अकादमी में खुशी की लहर बनी हुई है। लाडलियों की उपलब्धि पर परिजन फूले नहीं समा रहे, कोच प्रीतम सिवाच ने भी बधाई दी।
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चिली की राजधानी सैंटियागो में 29 नवंबर से 10 दिसंबर तक फीफा विश्व जूनियर महिला हॉकी कप के लिए टीम इंडिया ने भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम की घोषणा की है। टीम में डिस्ट्रिक्ट्स की तीन बेटियां प्रीति, साक्षी राणा और मंजू चौरसिया का चयन किया गया है।
जूनियर महिला हॉकी विश्व कप में टीम इंडिया को पूल सी में जर्मनी, बेल्जियम और कनाडा के साथ रखा गया है। भारतीय टीम का पहला मैच 29 नवंबर को कनाडा के साथ है। इसके बाद पहले पूल सी के मुकाबलों में 30 नवंबर व 2 दिसंबर को यूरोपीय टीमों जर्मनी और बेल्जियम से भिड़ेंगी।
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विश्व कप के लिए भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम में प्रीतम सिवाच हॉकी अकादमी की तीन खिलाड़ियों का चयन होने पर हरियाणा हॉकी के सचिव सुनील मलिक, कोच प्रीतम सिवाच, अकादमी के चेयरमैन प्रेम सिंह दहिया, अरविंद डबास व अन्य ने खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दी।
प्रीति के नेतृत्व में जीता था एशिया कप
जूनियर महिला हॉकी एशिया कप में भारतीय टीम का नेतृत्व करते हुए प्रीति ने देश की झोली में एशिया कप का खिताब डाला था। यह प्रतियोगिता जापान के काकामिगाहारा में 2 से 11 जून तक हुई थी। एशिया कप जीतने के साथ ही भारतीय जूनियर महिला हॉकी टीम ने जूनियर महिला हॉकी विश्वकप के लिए क्वालिफाई कर लिया था।
उधार की हॉकी लेकर अभ्यास करती थीं प्रीति
सोनीपत के भगत सिंह कॉलोनी निवासी प्रीति का सफर संघर्ष भरा रहा है। प्रीति 10 साल की उम्र में ही पड़ोस की लड़कियों के साथ ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया स्थित हॉकी मैदान में खेलने जाती थीं। वहीं से हॉकी में दिलचस्पी जगी। परिवार को बिना बताए हॉकी स्टिक थाम ली। माता-पिता नहीं चाहते थे कि बेटी बाहर खेलने जाए, इसलिए झूठ बोलकर खेलने जाती रहीं।
आर्थिक स्थिति कमजोर थी और माता-पिता मुश्किल से पढ़ा पा रहे थे। हालांकि प्रीति की मंजिल और सपने अलग थे। उन्होंने मेहनत और लगन से हर परिस्थिति में उधार की हॉकी से अपना अभ्यास जारी रखा। प्रीति में हॉकी खेलने का जुनून तो था, लेकिन डाइट के लिए पैसे नहीं थे। हॉकी के प्रति बेटी का समर्पण देख पिता ने उनका साथ दिया। प्रीति ने भी मुश्किलों का सामना करते हुए खुद को साबित कर दिखाया।
देश को विश्व कप दिलाना ही मंजू का सपना
ब्रह्म नगर निवासी मंजू चौरसिया का परिवार मूलरूप से बिहार का रहने वाला है जो करीब 40 साल पहले सोनीपत में आकर बस गया था। मंजू के पिता पहले फैक्टरी में काम कर परिवार का गुजारा करते थे। 3 भाई-बहनों में सबसे छोटी मंजू ने साल 2010 में हॉकी पर बनी फिल्म चक दे इंडिया देखी। जिसके बाद उन्होंने हॉकी में कुछ कर दिखाने को स्टिक थामी। उनका सपना हॉकी में देश को विश्व कप दिलाना है। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण मंजू के पास हॉकी के किट खरीदने तक के पैसे नहीं होते थे, लेकिन परिवार ने हमेशा उसे खेलने के लिए प्रेरित किया और उसकी मदद की। अब वह रेलवे में कार्यरत है।