अमेरिका, रूस और चीन... क्या वाकई भारत-पाकिस्तान की ताकत बढ़ा रहे हैं?

  
अमेरिका, रूस और चीन... क्या वाकई भारत-पाकिस्तान की ताकत बढ़ा रहे हैं

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स्वीडिश संस्था SIPRI की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है. हथियारों की खरीद में भारत की हिस्सेदारी 11 फीसदी से ज्यादा है। वहीं, 2013-17 की तुलना में 2018-22 के बीच हथियारों की खरीद में 14 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. पाकिस्तान को सबसे ज्यादा हथियार चीन देता है। वहीं, भारत के ज्यादातर हथियार रूस से आते हैं।
युद्ध की असली वजह क्या है? 'डर।' यही 'डर' दो देशों के बीच युद्ध का कारण बनता है। और कई देशों के बाजार को बढ़ाता है। जिस तरह रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध हुआ था। रूस को 'डर' था कि यूक्रेन नाटो में शामिल हो सकता है। जबकि यूक्रेन रूस से 'डर' रहा था।

लेकिन युद्ध के इस 'डर' को दूर करने का सबसे बड़ा उपाय क्या है? तो वह है - 'हथियार'। जिस देश का शस्त्र भंडार जितना बड़ा होता है, वह उतना ही शक्तिशाली होता है। यही 'डर का बाजार' दुनिया में 'हथियारों का बाजार' बन जाता है।

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इस 'डर' यानी 'हथियारों' का बाजार लगातार बढ़ता जा रहा है। दुनियाभर में हथियारों के आयात-निर्यात पर नजर रखने वाली स्वीडिश संस्था स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी SIPRI की रिपोर्ट आई है। इस रिपोर्ट में 2013-17 और 2018-22 के बीच हथियारों की खरीद-बिक्री की तुलना की गई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2013-17 से 2018-22 के बीच दुनियाभर में हथियारों की खरीद-बिक्री में 5 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
हथियारों के इस बाजार में अमेरिका सबसे बड़ा डीलर है। 2018 से 2022 के बीच दुनिया भर में बिकने वाले सभी हथियारों में से 40 फीसदी अमेरिका बेच चुका है। जबकि, 2013 से 2017 के बीच दुनियाभर के हथियारों के निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 33 फीसदी थी। हालांकि, इसी अवधि में रूस की हिस्सेदारी 22 फीसदी से घटकर 16 फीसदी रह गई।
SIPRI से जुड़े सीनियर रिसर्चर पीटर वेजमैन ने बताया कि दुनियाभर में हथियारों की खरीद में कमी आई है, लेकिन यूरोपीय देशों में यह बढ़ी है. इसका कारण रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद यूरोपीय देश ज्यादा से ज्यादा हथियार जल्द से जल्द खरीद रहे हैं।

अमेरिका, रूस और चीन... क्या वाकई भारत-पाकिस्तान की ताकत बढ़ा रहे हैं

दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार भारत खरीद रहा है

SIPRI की रिपोर्ट बताती है कि भारत दुनिया में हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है। हथियारों की खरीद में भारत की हिस्सेदारी 11 फीसदी से ज्यादा है। हालांकि इस शेयर में थोड़ी कमी भी आई है। 2013 से 2017 के बीच हथियारों की खरीद में भारत की हिस्सेदारी 12 फीसदी थी।

रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार विक्रेता है। हालांकि, इसमें रूस की हिस्सेदारी घटी है। 2013 से 2017 के बीच भारत के हथियारों के आयात में रूस की हिस्सेदारी 64% थी, जो 2018 और 2022 के बीच घटकर 45% रह गई। हालांकि, इसके बावजूद रूस भारत के लिए सबसे बड़ी दुकान है।
इतना ही नहीं, पहले अमेरिका भारत के लिए हथियारों की दूसरी सबसे बड़ी दुकान था, लेकिन अब फ्रांस ने उसकी जगह ले ली है।

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रिपोर्ट के मुताबिक 2013-17 की तुलना में 2018-22 के बीच भारत ने फ्रांस से 489 फीसदी ज्यादा हथियार खरीदे हैं. इनमें 62 लड़ाकू विमान और चार पनडुब्बी शामिल हैं। भारत के हथियारों के आयात में फ्रांस की हिस्सेदारी 29 फीसदी है। वहीं, अमेरिका की हिस्सेदारी 11 फीसदी हो गई।

इसे ऐसे समझिए कि अगर भारत ने 2018 से 2022 के बीच 100 हथियार खरीदे हैं, तो उनमें से 45 रूस से, 29 फ्रांस से और 11 अमेरिका से आए हैं.

किसे कहां से मिल रही ताकत?

पाकिस्तान को ताकत कहां से मिल रही है?
भारत, पाकिस्तान और चीन। तीनों पड़ोसी देशों भारत का पाकिस्तान और चीन से तनाव है।
यही वजह है कि पाकिस्तान भी जमकर हथियार खरीद रहा है। 2013-17 की तुलना में 2018-22 में पाकिस्तान के हथियारों के आयात में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसी वजह से दुनिया के हथियारों के आयात में पाकिस्तान की हिस्सेदारी भी 3 फीसदी से बढ़कर 3.7 फीसदी हो गई है.
पाकिस्तान की ताकत बढ़ाने में सबसे बड़ा हाथ चीन का है। 2018 से 2022 के बीच पाकिस्तान ने अपने 77 फीसदी हथियार चीन से खरीदे। इतना ही नहीं चीन ने अपने 54 फीसदी हथियार भी पाकिस्तान को बेचे।
पाकिस्तान दुनिया के सबसे बड़े हथियार खरीदारों में सातवें नंबर पर है। पाकिस्तान चीन के अलावा सबसे ज्यादा हथियार स्वीडन (5.1%) और रूस (3.6%) से खरीदता है।
अमेरिका, रूस और फ्रांस के बाद चीन दुनिया का चौथा सबसे बड़ा हथियार डीलर है। दुनिया के हथियारों के निर्यात में चीन की हिस्सेदारी 5.2 फीसदी है। जबकि, अमेरिका में 40%, रूस में 16% और फ्रांस में 11% हैं।

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वहीं, चीन अपने ज्यादातर हथियार रूस से खरीदता है। 2018 से 2022 के बीच चीन ने जितने हथियार खरीदे उनमें से 83 फीसदी रूस से आए। इसके बाद फ्रांस से 8.1 फीसदी और यूक्रेन से 5.6 फीसदी हथियार खरीदे गए।

भारत ने कितने हथियार बेचे?
पिछले महीने एयरो इंडिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि जो देश कभी सबसे बड़ा रक्षा आयातक था, वह अब दुनिया के 75 देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है. उन्होंने कहा था कि वर्तमान में रक्षा निर्यात 1.5 अरब डॉलर का है, जिसे 2025 तक बढ़ाकर 5 अरब डॉलर करना है।
रक्षा मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ सालों में भारत का रक्षा निर्यात बहुत तेजी से बढ़ा है। सोमवार को रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट रक्षा निर्यात के आंकड़े राज्यसभा में पेश किए गए।
उन्होंने बताया कि 2017-18 में भारत ने 4,682 करोड़ रुपए के हथियार और रक्षा उपकरण बेचे थे। जो तीन हजार से ज्यादा बढ़ गया

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