केंद्र सरकार के अध्यादेश जारी करने पर भड़के दिल्ली CM, किया पीएम मोदी का पुराना ट्वीट शेयर

  
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दिल्ली में नौकरशाहों के तबादले औऱ तैनाती को लेकर केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी किया तो इसपर हंगामा मच उठा है। आम आदमी पार्टी पूरे जोर-शोर से इस अध्यादेश का लगातार विरोध जता रही है। रविवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल जी ने एक ट्वीट किया। इस ट्वीट में केजरीवाल ने पीएम मोदी द्वारा साल 2013 में किये गये एक ट्वीट का जिक्र किया और व्यंग्य के अंदाज में कहा कि अध्यादेश क्यों सर? दरअसल केजरीवाल ने पीएम के जिस ट्वीट का जिक्र किया है वो साल 2013 का है और उस वक्त नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी। उस वक्त केंद्र सरकार के एक अध्यादेश पर मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि संसद तो वैसे भी बैठक कर रही है। केंद्र सरकार एक अच्छे बिल को लाने के लिए संसद को कॉन्फिडेंस में क्यों नहीं लेती? अध्यादेश क्यों जारी करती है 

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क्या है इस अध्यादेश में जिसपर है बवाल

केंद्र सरकार की तरफ से जो अध्यादेश जारी किया गया है उसमें कहा गया है कि राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्रधिकरण नाम का एक प्राधिकरण होगा, जो उसे प्रदान की गई शक्तियों का उपयोग करेगा और उसे सौंपी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा। प्राधिकरण में दिल्ली के मुख्यमंत्री उसके अध्यक्ष होंगे। साथ ही, इसमें मुख्य सचिव और प्रधान सचिव (गृह) सदस्य होंगे। अध्यादेश में कहा गया है, ''प्राधिकरण द्वारा तय किए जाने वाले सभी मुद्दों पर फैसले उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से होगा। प्राधिकरण की सभी सिफारिशों का सदस्य सचिव सत्यापन करेंगे।'' अध्यादेश में कहा गया है कि प्राधिकरण उसके अध्यक्ष की मंजूरी से सदस्य सचिव द्वारा तय किए गए समय और स्थान पर बैठक करेंगे। 

अध्यादेश में कहा गया है, ''प्राधिकरण की सलाह पर केन्द्र सरकार जिम्मेदारियों के निर्वहन हेतु इसके (प्राधिकरण के) लिए आवश्यक अधिकारियों की श्रेणी का निर्धारण करेगी और प्राधिकरण को उपयुक्त अधिकारी और कर्मचारी उपलब्ध कराएगी...।'' इसमें कहा गया है, ''वर्तमान में प्रभावी किसी भी कानून के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण 'ग्रुप-ए' के अधिकारियों और दिल्ली सरकार से जुड़े मामलों में सेवा दे रहे 'दानिक्स' अधिकारियों के तबादले और पदस्थापन की सिफारिश कर सकेगा...लेकिन वह अन्य मामलों में सेवा दे रहे अधिकारियों के साथ ऐसा नहीं कर सकेगा।''

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सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने दी है याचिका

इस अध्यादेश को लाने के बाद केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है कि वह दिल्ली में सेवा विवाद के मुद्दे पर 11 मई के अपने फैसले पर पुनर्विचार करे। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि दिल्ली सरकार के पास सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि मामलों को छोड़कर सेवाओं से संबंधित मामलों में विधायी और कार्यकारी शक्तियां हैं। पुनर्विचार याचिका में केंद्र ने तर्क दिया कि न्यायालय का 11 मई का निर्णय इस तथ्य की अनदेखी करता है कि राजधानी में सरकार का कामकाज पूरे देश को प्रभावित करता है।

शीर्ष अदालत के आदेश के बाद केंद्र ने शुक्रवार को सेवा शर्तों, अधिकारियों के स्थानांतरण और पदस्थापना संबंधी मुद्दों से निपटने के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए एक अध्यादेश लागू किया।  सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि निर्णय में त्रुटियां हैं और इसमें समीक्षा याचिकाकर्ता द्वारा प्रस्तुत मामले पर विचार नहीं किया गया है तथा यह निर्णय इस तथ्य की अनदेखी करता है कि राजधानी में सरकार का कामकाज पूरे देश को प्रभावित करता है।

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