गेहूं की कीमतें बढ़ने की जांच क्या है सरकार की रणनीति
गेहूं की कीमतें बढ़ रही हैं, जो कि बंपर उत्पादन और पर्याप्त सरकारी स्टॉक के बावजूद आश्चर्यजनक है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार, तीन साल में गेहूं का मंडी भाव 37.79% बढ़ चुका है ¹। इसका मतलब है कि किसानों को तो फायदा हो रहा है, लेकिन उपभोक्ता परेशान हैं।
गेहूं की कीमतें बढ़ने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि व्यापारी और किसान अच्छे दाम की उम्मीद में गेहूं को स्टॉक कर रहे हैं ¹। इसके अलावा, गेहूं आयात पर 40% ड्यूटी होने से आयात महंगा हो जाता है, जिससे घरेलू कीमतें बढ़ जाती हैं
गेहूं की कीमतें बढ़ने के कारण:
- व्यापारी और किसानों द्वारा स्टॉकिंग: व्यापारी और किसान अच्छे दाम की उम्मीद में गेहूं को स्टॉक कर रहे हैं ¹।
- आयात पर उच्च ड्यूटी: गेहूं आयात पर 40% ड्यूटी होने से आयात महंगा हो जाता है ¹।
- मांग और आपूर्ति की असमानता: गेहूं की मांग और आपूर्ति में असमानता के कारण कीमतें बढ़ सकती हैं
सरकार के लिए समाधान:
- आयात पर ड्यूटी कम करना: सरकार आयात पर ड्यूटी कम करके घरेलू कीमतें कम कर सकती है ¹।
- स्टॉक लिमिट लगाना: सरकार व्यापारियों और किसानों पर स्टॉक लिमिट लगाकर कीमतें नियंत्रित कर सकती है ¹।
- उत्पादन बढ़ाना: सरकार गेहूं का उत्पादन बढ़ाकर घरेलू मांग को पूरा कर सकती है ¹।

