आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में ऐसे लोगों का वर्णन किया है जो मृत्यु के बाद नर्क की आग भोगते हैं.
कोई न कोई संकट घेरे रखता है.
जो व्यक्ति दुष्ट और नीच प्रवृत्ति का होता है वह नर्क भोगने का अधिकारी होता है.
अगर वह अहंकार में डूबा होता है तो नर्क का भोगी होता है.
अपने कर्मों से माता-पिता या बुजुर्गों का दिल दुखाते हैं वह भी नर्क जाते हैं.
किसी कारण नुकसान करते हैं उन्हें भी नर्क भोगना पड़ता है.
वह मृत्यु के बाद सीधा नर्क जाता है.
बालिकाओं को लेकर मन में गलत विचार रखने वाले व्यक्ति को मृत्यु के बाद नर्क में ही जगह मिलती है.