त्योहारों में महंगाई नियंत्रण के लिए सरकार ने कसी कमर, चीनी, चावल, दाल के लिए ये योजना बनाई है
Oct 26, 2023, 19:15 IST
Aapni News, Agriculture देश में चावल का स्टॉक बढ़ाने के लिए भी सरकार ने कई कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि चावल की अवधि अगले साल मार्च महीने तक बढ़ी है। सरकार को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से देश में चावल के भंडार में बढ़ोतरी होगी, जिससे खेती कम हो जाएगी। खास बात यह है कि इस देश में सबसे ज्यादा चावल की खपत होती है। वहीं, कुछ सब्जियों के साथ बासमती चावल के मिश्रण पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। Also Read:ये हैं दुनिया की 5 सबसे ज्यादा नापसंद की जाने वाली मिर्च, इन्हें खाना तो दूर, छूने से भी लगता है डर त्योहारी सीजन में बढ़ती महंगाई को कंट्रोल करने के लिए केंद्र सरकार ने कमर कस ली है. इसके लिए अभी से ही ताबड़तोड़ फैसले ले रही है, ताकि दशहरा और दिवाली पर खाद्य पदार्थों की कीमतों को बढ़ने से रोका जा सके. यही वजह है कि सरकार ने चीनी पर लगे प्रतिबंध को अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया गया है. सरकार को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से त्योहारी सीजन में चीनी की सप्लाई प्रभावित नहीं होगी, जिससे कीमतें नियंत्रित रहेंगी. Also Read:बिहार के लाल ने किया कमाल, गांव में ही इस बिजनेस से कमाता है 3 लाख दरअसल, घरेलू मार्केट में चीनी की प्रयाप्त उपलब्धता बनी रहे, इसके लिए 31 अक्टूबर 2023 तक के लिए चीनी के निर्यात पर बैन लगा दिया था. ताकि देश में चीनी की कमी नहीं हो. जबकि, दिवाली 31 अक्टूबर के बाद है और हम जानते हैं कि इस त्योहार पर सबसे अधिक चीनी की खपत होती है. लोग तरह- तरह के मीठे पकवान बनाकर खाते हैं. साथ ही एक- दूसरे को गिफ्ट के रूप में मिठाइयां भी देते हैं. यही वजह है कि दिवाली पर एकाएक चीनी की डिमांड काफी अधिक बढ़ जाती है. यदि ऐसे में मार्केट में चीनी की सप्लाई प्रभावित होती है तो कीमतें भी बढ़ सकती हैं. यही वजह है कि सरकार ने चीनी पर लगे बैन का 31 अक्टूबर से अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया है. इसकी कीमत में और बढ़ोतरी हो सकती है
दरअसल, घरेलू मार्केट में चीनी की प्रयाप्त उपलब्धता बनी रहे, इसके लिए 31 अक्टूबर 2023 तक के लिए चीनी के निर्यात पर बैन लगा दिया था. ताकि देश में चीनी की कमी नहीं हो. जबकि, दिवाली 31 अक्टूबर के बाद है और हम जानते हैं कि इस त्योहार पर सबसे अधिक चीनी की खपत होती है. लोग तरह- तरह के मीठे पकवान बनाकर खाते हैं. साथ ही एक- दूसरे को गिफ्ट के रूप में मिठाइयां भी देते हैं. यही वजह है कि दिवाली पर एकाएक चीनी की डिमांड काफी अधिक बढ़ जाती है. यदि ऐसे में मार्केट में चीनी की सप्लाई प्रभावित होती है तो कीमतें भी बढ़ सकती हैं. यही वजह है कि सरकार ने चीनी पर लगे बैन का 31 अक्टूबर से अगले आदेश तक के लिए बढ़ा दिया है.
इसकी कीमत में और बढ़ोतरी हो सकती है वहीं, बात अगर दलहन की करें तो खास कर अरहर की कीमत में आग लगी हुई है. एक साल के अंदर इसकी कीमत में 45 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इससे गरीब आदमी की थाली से अरहर की दाल गायब हो गई है. अभी मार्केट में अरहर दाल 180 से 200 रुपये किलो के बीच मिल रही है. इसी तरह मसूर दाल भी काफी महंगी हो गई है. एक महीन के अंदर इसकी कीमत में भी 10 रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. अगस्त तक रिटेल मार्केट में 80 रुपये किलो बिकने वाली मसूर दाल अब 90 रुपये किलो हो गई है. ऐसे में कहा जा रहा है कि दशहरा और दिवाली आते- आते इसकी कीमत में और बढ़ोतरी हो सकती है.
अरहर का आयात दोगुने से ज्यादा हो गया है हालांकि, दालों की बढ़ती कीमत पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकर ने कई कदम उठाए हैं. बीते 3 मार्च से ही अरहर दाल पर 10 प्रतिशत की इंपोर्ट ड्यूटी हटा दी गई है. इससे अरहर दाल के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल-जुलाई महीने के बीच 1.72 लाख टन अरहर का आयात किया गया. जबकि पिछले साल की इसी अवधि में 83,742 टन अरहर दाल का आयात हुआ था. ऐसे में हम कह सकते हैं कि अरहर का आयात दोगुने से ज्यादा हुआ है.