जगह बदलने के साथ-साथ मिट्टी का रंग और गुणवत्ता भी बदल जाती है, क्या वाकई रंग से हमें सटीक जानकारी मिल सकती है?

 
जगह बदलने के साथ-साथ मिट्टी का रंग और गुणवत्ता भी बदल जाती है, क्या वाकई रंग से हमें सटीक जानकारी मिल सकती है?
Aapni News ; Agriculture मिट्टी के तथ्य:भारत कई राज्यों में बंटा हुआ देश है, जहां बोली-भाषा, पहनावे और खानपान में बड़े बदलाव होते हैं, उतना ही बदलाव हर राज्य की मिट्टी के रंग में भी होता है, क्या रंग बदलने के कारण मिट्टी के गुण प्रभावित होते हैं?   Interesting Facts Of Soil: साइंस के मुताबिक मिट्टी को निर्माण में हजारों-लाखों वर्षों का समय लगता है. मिट्टी का स्वरूप भी पूरी पृथ्वी पर एक सा नहीं होता है. हर जगह की मिट्टी के रंग और गुणों में बड़ा अंतर होता है. साइंटिस्ट्स और कृषि विशेषज्ञ आदि मिट्टी का वर्गीकरण उसके रंगों के आधार पर करते हैं, लेकिन अहम सवाल यह है कि आखिर मिट्टी का रंग कैसे बदलता है, क्या रंग के कारण मिट्टी के गुण प्रभावित होते हैं? आज जानेंगे मिट्टी से जुड़े कुछ ऐसे ही सवालों के दिलचस्प जवाब... Also Read: करवा चौथ 2023: 100 साल बाद करवा चौथ पर बन रहा है महासंयोग, जानिए इस बार क्या है शुभ मुहूर्त कई कारकों का असर मिट्टी का रंग बदलने की मुख्य वजह उसकी रासायनिक संरचना होती है. जगह के कारण भी मिट्टी के रंग में फर्क देखने को मिलता है.  इस पर कारकों का प्रभाव होता है. इनमें  तापमान, बारिश जैसे जलवायु कारकों के अलावा मिट्टी के मौजूद जैविक तत्व भी मिट्टी के रंग को प्रभावित करते हैं. Also Read: Peas Varieties : मटर की ये उन्नत किस्में, पैदावार जानकर रह जाएँगे दंग   लाल रंग का कारक लाल मिट्टी कई क्षेत्रों में पाई जाती है, जिसमें कई बार कत्थई रंग होने का भी आभास होता है. मिट्टी में लाल के होने का कारण उसमें आयरन ऑक्साइड की उपस्थिति का संकेत है, जिसे जंग भी कहते हैं. मिट्टी जितने ज्यादा गहरे लाल रंग की होती है, उतनी ही ज्यादा पुरानी होती है. इसके अलावा कई जगह कोकोनीनो बलुआ पत्थर मौजूद होने के कारण भी मिट्टी का रंग लाल होता, जो एरिजोना के सेडोना के पास की चट्टानों में मिलता है. वहीं, कई बार धूल में मिला लोहा आक्सीकृत होने के कारण मिट्टी में लाल रंग की लालिमा आ जाती है. ऐसी मिट्टी में समय के साथ आयरन ऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है और वह लाल होती रहती है.       पीले रंग का कारक कई इलाकों में पीले रंग की मिट्टी बहुत ज्यादा पाई जाती है. जब भी मिट्टी में आयरन ऑक्साइड की मात्रा थोड़ी कम मात्रा में होती है तब मिट्टी का रंग लाल होने की वजह से पीला हो जाता है. इसका मिट्टी की अन्य विशेषताओं पर भी बहुत असर होता है.     गहरे या काले रंग की मिट्टी गहरे या काले रंग की मिट्टी में जैविक पदार्थ होने की मात्रा ज्यादा होने की संभावना होती है. दरअसल, जिन शीतोष्ण जलवायु में पर्याप्त बारिश होती है, वहां कि मिट्टी में ह्यूमस या खाद (मृत पौधों का विखंडित पदार्थ) होने के कारण वह गहरे रंग की होती है. ऐसी मिट्टी खेती के लिए बहुत उपयोगी और उपजाऊ होती हैं.     हलके रंग की मिट्टी हल्के रंग की मिट्टी वर्षावनों या रेगिस्तान में पाई जाती है. इसमें कम ह्यूमस या खाद होती है, जिससे पता चलता है कि मिट्टी में पोषण की कमी है. लाल और पीले रंग की मिट्टी में भी ह्यूमस नहीं होने के कारण वे खेती के लिहाज से बहुत अच्छी नहीं मानी जाती हैं.     सफेद मिट्टी  इससमें चूना या फिर नमक बहुत ज्यादा मात्रा में होता है. कई जगह पर सफेद रंग क्वार्ट्जाइट जैसे पदार्थों के कारण भी आ जाता है. ऐसी मिट्टी रेगिस्तान में दिखती है. जब पानी के साथ आ जाता है तो वह सूख कर नमक छोड़ जाता है, जिससे मिट्टी सफेद दिखती है. ऐसी मिट्टी खेती के लिए बहुत खराब होती है.

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