Farmers protest : आखिर क्यों बार-बार हो रहा है किसान आंदोलन, क्या है मांग? सब कुछ जानिए
Feb 13, 2024, 09:20 IST
Farmers protest : किसानों ने एक बार फिर दिल्ली को घेरने की तैयारी कर ली है. पंजाब-हरियाणा के साथ-साथ कई अन्य राज्यों के किसान दिल्ली कूच की तैयारी में हैं. हालांकि, किसानों ने इसे 'चलो दिल्ली मार्च' नाम दिया है, लेकिन इसे किसान आंदोलन 2.0 भी कहा जा रहा है. दरअसल, इस किसान आंदोलन का पैटर्न 2020-2021 के किसान आंदोलन से काफी मिलता-जुलता है. पिछली बार की तरह इस बार भी अलग-अलग राज्यों से किसान इस आंदोलन में शामिल होने जा रहे हैं. Farmers protest : इस बार किसान अपने साथ ट्रैक्टर-ट्रॉली और राशन भी लेकर आने वाले हैं. यानी पिछली बार की तरह इस बार भी किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे हैं. हालांकि, इस आंदोलन को पिछली बार की तरह सभी किसान संगठनों का समर्थन नहीं है. किसानों का यह आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले नहीं हो रहा है. अलग-अलग किसान संगठन मिलकर इसका आयोजन कर रहे हैं. किसानों की मांगों को लेकर सरकार के साथ कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अंतिम सहमति नहीं बन पा रही है. आइए आपको बताते हैं कि किसान संगठन किन मांगों को लेकर बार-बार आंदोलन कर रहे हैं। Farmers protest : ट्रैक्टरों में लगाए गए हाइड्रोलिक उपकरण, किसानों ने भी बनाई आंदोलन की रणनीति केंद्र के साथ किसानों की अहम बैठक आज, इन दिग्गज मंत्रियों के साथ होगी पहले दौर की बैठक Farmers protest : किसान आंदोलन 2.0 में क्या हैं किसानों की मांगें? Farmers protest : उत्तर पूर्वी दिल्ली में क्यों लागू की गई धारा 144? Farmers protest : किसान इन मांगों पर अड़े हुए हैं 1. किसानों की सबसे अहम मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून बनाना है. 2. किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने की भी मांग कर रहे हैं. 3. आंदोलन में शामिल किसान कृषि ऋण माफी की भी मांग कर रहे हैं. 4. किसान लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं 5. भारत को WTO से बाहर निकाला जाए. 6. कृषि वस्तुओं, दुग्ध उत्पादों, फलों, सब्जियों और मांस पर आयात शुल्क कम करने के लिए भत्ता बढ़ाया जाए। 7. 58 वर्ष से अधिक उम्र के किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन योजना लागू कर 10,000 रुपये प्रति माह पेंशन दी जाए. 8. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को बेहतर बनाने के लिए बीमा प्रीमियम का भुगतान सरकार द्वारा स्वयं करना, सभी फसलों को योजना का हिस्सा बनाना और नुकसान का आकलन करते समय खेत की एकड़ को इकाई मानकर नुकसान का आकलन करना। 9. भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 को उसी प्रकार लागू किया जाए और भूमि अधिग्रहण के संबंध में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को दिए गए निर्देशों को रद्द किया जाए. 10. कीटनाशक, बीज और उर्वरक अधिनियम में संशोधन करके कपास सहित सभी फसलों के बीजों की गुणवत्ता में सुधार किया जाना चाहिए।