Gyanvapi Mosque: ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के व्यासजी तहखाने में 31 साल बाद फिर से पूजा-अर्चना शुरू होगी। वाराणसी की एक अदालत ने हिंदू पक्ष की याचिका स्वीकार करते हुए तहखाने में पूजा करने की अनुमति दे दी है।
Gyanvapi Mosque: ऐतिहासिक फैसला
यह ऐतिहासिक फैसला 31 जनवरी, 2024 को वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने सुनाया। उन्होंने जिला प्रशासन को एक सप्ताह के भीतर इस आदेश का पालन करने का निर्देश दिया है।
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ज्ञानवापी स्थित नंदी के मुख के सामने दक्षिणी दीवार के पास मौजूद तहखाने में वर्ष 1551 से व्यास पीठ स्थापित रहा। इसी व्यास पीठ से मां शृंगार गौरी की पूजा, भोग, आरती की जाती रही। वर्ष 1993 में राज्य सरकार व जिला प्रशासन के मौखिक आदेश के जरिये पूजा-पाठ और परंपराओं को बंद करा दिया था। ज्ञानवापी परिसर के चारों ओर लोहे की बैरिकेडिंग भी करा दी गई थी।
Gyanvapi Mosque: पूजा-पाठ पर रोक लगा दी थी
दिसंबर 1993 में ही तत्कालीन जिलाधिकारी ने व्यास पीठ के तत्कालीन पुजारी पंडित सोमनाथ व्यास के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाते हुए पूजा-पाठ पर रोक लगा दी। तहखाने में भी ताला लगा दिया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह तहखाना भगवान शिव का मंदिर हुआ करता था और यहां प्राचीन शिवलिंग स्थापित है।
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अदालत ने अपने फैसले में कहा कि तहखाने में पूजा करने का हिंदुओं का अधिकार है। यह फैसला ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष की एक बड़ी जीत मानी जा रही है। यह घटना देश भर में चर्चा का विषय बन गई है। कुछ लोग इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं। यह फैसला ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर के बीच विवाद को और जटिल बना सकता है।