सिरसा में पिता की डांट से रूठ घर से निकली नाबालिग से 3 दिन तक गैंगरेप
* सिरसा रेलवे स्टेशन पर रोते हुए मिली तो युवक ने भरोसा जीतकर झांसे में लिया
* गुरुग्राम फ्लैट में रिश्तेदार के साथ तीन दिन तक किया गैंगरेप
* झगड़े के बाद लड़की को दिल्ली रेलवे स्टेशन पर छोड़ा, पुलिस ने बरामद किया
* सीसीटीवी और पीड़िता के बयान से दोनों आरोपी पकड़े गए
* घटना से सीख: बच्चों को प्यार और संवाद से समझाना जरूरी, डांट कभी-कभी बड़ा खतरा बन जाती है
पिता की डांट बनी घर छोड़ने की वजह
पुलिस के अनुसार, पीड़िता एक जुलाई 2025 को किसी घरेलू काम को लेकर पिता की डांट से नाराज़ हो गई। गुस्से और आहत मन से वह घर से बिना बताए स्कूल बैग लेकर निकल गई। पहले तो बाजार में भटकती रही, लेकिन आगे का रास्ता तय न कर पाने के कारण वह सिरसा रेलवे स्टेशन पहुंच गई। यही उसकी जिंदगी का सबसे खतरनाक मोड़ साबित हुआ।
स्टेशन से शुरू हुई गलत संगत की कहानी
नाबालिग जब ट्रेन में चढ़ी तो घबराहट और अकेलेपन के कारण रोने लगी। उसी दौरान रोहतक निवासी छात्र अमन उससे मिला। उसने पहले पानी पिलाकर भरोसा जीता और फिर बड़े-बड़े सपने दिखाकर उसे गुरुग्राम ले गया। वहां अपने रिश्तेदार अमित के फ्लैट पर ठहराया, जहां तीन दिन तक दोनों ने धमकाकर उसके साथ दुष्कर्म किया।
तीन दिन की कैद और दर्दनाक खुलासे
पीड़िता के अनुसार, गुरुग्राम पहुंचने के बाद दोनों आरोपियों ने उसे मॉल और रेस्टोरेंट घुमाया ताकि विश्वास जमा सकें। लेकिन रात होते ही असलियत सामने आ गई। आरोप है कि दोनों ने बारी-बारी से उसके साथ रेप किया और धमकाकर चुप रहने पर मजबूर किया। तीन दिनों तक लगातार यह सिलसिला चलता रहा। आखिरकार आपसी झगड़े के बाद दोनों ने उसे दिल्ली रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया।
कैसे पहुंची पुलिस तक पीड़िता
लड़की के घर न लौटने पर परिजनों ने 2 जुलाई को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। शुरुआत में पुलिस की कार्रवाई धीमी रही, लेकिन परिजनों ने डीजीपी और सीएम से गुहार लगाई तो जांच तेज हुई। सीसीटीवी फुटेज और पीड़िता के बयान के आधार पर आरोपियों की पहचान की गई। आखिरकार डेढ़ महीने बाद दोनों आरोपी अमन और अमित पुलिस के हत्थे चढ़ गए।
बच्चों के लिए सबक और माता-पिता के लिए संदेश
यह घटना केवल एक क्राइम स्टोरी नहीं है, बल्कि समाज और परिवारों के लिए चेतावनी भी है। छोटी-सी डांट पर रूठकर घर छोड़ना बच्चों की जिंदगी को खतरों में डाल सकता है। बाहरी दुनिया में शातिर लोग भोलेपन और कमजोरी का फायदा उठाने के लिए तैयार बैठे रहते हैं।
माता-पिता को चाहिए कि बच्चों को समझाएं, लेकिन प्यार और धैर्य से। वहीं बच्चों को भी यह सीख लेनी चाहिए कि गुस्से में घर छोड़ना या गलत संगत का शिकार होना जीवनभर का नुकसान करा सकता है।
सिरसा की यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि पारिवारिक संवाद, धैर्य और समझदारी ही बच्चों को खतरों से बचा सकती है। एक पल की नाराज़गी ने 15 वर्षीय लड़की को जीवन का सबसे दर्दनाक अनुभव दे दिया। अब ज़रूरत है कि हम सब मिलकर अपने बच्चों को समझाएं कि घर ही सबसे सुरक्षित जगह है और मुश्किल चाहे जैसी हो, घर छोड़कर भागना कभी समाधान नहीं।
👉 यह घटना केवल पुलिस केस नहीं, बल्कि समाज के लिए आईना है कि गुस्से में लिया गया गलत कदम बच्चों को नरक जैसी स्थिति में धकेल सकता है।

