दर्शन मात्र से पूरी हो जाती है मनोकामनाएं; चार धाम के मुख्य द्वार पर है नीलकंठ महादेव मंदिर

 
दर्शन मात्र से पूरी हो जाती है मनोकामनाएं; चार धाम के मुख्य द्वार पर है नीलकंठ महादेव मंदिर

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योग नगरी ऋषिकेश एक काफी खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जहां हर साल हजारों की संख्या में लोग घूमने आते हैं। पर्यटन स्थलों के साथ ही ऋषियों की पवित्र भूमि, एक पवित्र तीर्थस्थल भी है, जिसे चार धामों का मुख्य द्वार भी कहा जाता है। ऋषियों में अनेक प्राचीन व प्रामाणिक प्राप्त मंदिर स्थापित हैं। जापानी जापानी में से एक मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं जिसका नाम नीलकंठ महादेव है।   Also Read: Wheat Variety: गेहूं की इन किस्मों की करें बुआई, होगी प्रति हेक्टेयर 74 क्विंटल तक पैदावार   नीलकंठ महादेव ऋषि से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भगवान शिव का एक भव्य मंदिर है। लोक 18 के साथ हुई बातचीत के दौरान पुजारी जगदीश प्रपंचाचार्य ने कहा कि नीलकंठ महादेव की गिनती के प्रसिद्ध और प्राचीन तीर्थों में से एक है। इसी वजह से यहां दर्शन के लिए भक्तों की लाइन लगी रहती है। कई बार तो भीड़ ज्यादा होती है क्योंकि समर्थक बाहर से ही आशीर्वाद लेकर घर जाते हैं। वहीं सावन में महिने में सबसे ज्यादा भक्त कावड़ लेकर आते हैं।   Also Read:  एशियन पैरा गेम्स: एशियन पैरा गेम्स में हरियाणा का दबदबा, चार पदक और जीते… अब तक 11 पर किया कब्जा भगवान शिव ने 60000 वर्ष की थी तपस्या पुजारी जगदीश के अनुसार कहा जाता है कि समुद्रमंथ के दौरान भगवान शिव ने समुद्रमंथ से निकले विष काल कूट को अपने पत्थर पर मठकर पी लिया था। जिसके बाद उन्होंने अपनी शक्ति के प्रभाव से उस विष को अपने कंठ तक ही सीमित रखा और गले से नीचे नहीं जाने दिया। इन्हें नीलकंठ महादेव कहा जाता है। विष ग्रहण करने के बाद वे ऐसे स्थान की तलाश में थे, जहां उन्हें शीतल वायु मिले। सत्ये वे मणिकूट पर्वत क्षेत्र और वहां उन्हें शीतलता मिली जिसके बाद उन्होंने यहां करीब 60,000 वर्ष तक समाधि लगाई, इसलिए यह स्थान श्री नीलकंठ महादेव मंदिर के रूप में जाना जाता है।  

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