Fatehgarh Sahib: बलिदान सप्ताह-4 साहिबजादों की वीरता और बलिदान को याद करते हुए, जिन्होंने अपने धर्म परिवर्तन को प्रमाणित किया, बलिदान दिया लेकिन मुगल आक्रमणकारियों के सामने झुके नहीं।
Dec 19, 2023, 14:22 IST
Fatehgarh Sahib: गुरु गोविंद सिंह की तीन पत्नियां थीं। 21 जून, 1677 को 10 वर्ष की आयु में उनका विवाह मतो जीत के साथ आनंदपुर से 10 किमी दूर बसंतगढ़ में हुआ। उन दोनों के 3 पुत्रों का नाम था - जुझार सिंह, जोरावर सिंह, फतेह सिंह। 4 अप्रैल, 1684 को 17 वर्ष की आयु में उनका दूसरा विवाह माता सुंदरी के साथ आनंदपुर में हुआ। उनके एक बेटे का नाम अजीत सिंह था। 15 अप्रैल, 1700 को 33 वर्ष की आयु में उन्होंने माता साहिब देवन से विवाह किया। Aslo Read: बलिदान सप्ताह- याद कीजिए चार साहिबजादों की वीरता और बलिदान को, जिन्होंने धर्म-परिवर्तन को नकारा, बलिदान दिया लेकिन मुगल आक्रांताओं के सामने नहीं झुके साहिबजादे और जोरावर सिंह व फतेह सिंहजी को दीवारों में चुना गया Fatehgarh Sahib: खालसा पंथ की स्थापना के बाद मुगल शासकों, सरहिंद के सूबेदार वजीर खां के आक्रमण के बाद 20-21 दिसंबर 1704 को मुगल सेना से युद्ध करने के लिए गुरु गोबिंद सिंह जी ने परिवार सहित श्री आनंद पुर साहिब का किला स्थापित किया। सरसा नदी पर जब गुरु बिंद सिंह जी का परिवार जुदा हो रहा था, तो एक ओर जहां बड़े साहिबजादे गुरु जी के साथ चले गए, वहीं दूसरी ओर छोटे साहिबजादे जोर गोवार सिंह और श्रवण सिंह, माता गौरी जी के साथ रह गए। उनके साथ कोई सैनिक नहीं था और कोई उम्मीद नहीं थी कि वे मिल कैनी से वापस अपने परिवार के साथ मिलें। Aslo Read: Horoscope of 19 December 2023: कर्क व कन्या राशि वालों की बढ़ेगी आमदनी, पढ़ें अन्य राशिफल गंगू नौकर की गद्दारी Fatehgarh Sahib: अचानक रास्ते में उन्हें गंगू मिल गया, जो किसी समय गुरु महल की सेवा करता था। गंगू ने उन्हें यह सहायक कर्मचारी दिए कि वह उन्हें अपने परिवार से मिलाएंगे और तब तक के लिए वे लोग अपने घर में रुकेंगे। माता गूरी जी और साहिबजादे गंगू के घर चले गए लेकिन वे गंगू की असलियत से वाक़िफ़ नहीं थे। गंगू ने लालच में आकर तुरंत वजीर खां को गोविंद सिंह की माता और छोटे साहिबजादों के यहां होने की खबर दे दी, जिसके बदले में वजीर खां ने उन्हें सोने की मोहरें के बारे में बताया। Fatehgarh Sahib: वज़ीर खांड्रा प्रतादना Fatehgarh Sahib: खबर है वजीर खां के सिपाही माता गौरी और 7 साल के साहिबजादा जोरावर सिंह और 5 साल के साहिबजादा शहाबुद्दीन सिंह को गिरफ्तार करने गंगू के घर पहुंच गए। उन्हें ताज़ा कोल्ड बुर्ज़ में रखा गया और उस ठंडी ठंड से बचने के लिए कपड़ों का एक टुकड़ा तक ना दिया गया। रात भर ठंड में ठिठुरने के बाद सुबह ही दोनों साहिबजादों को वजीर खां के सामने पेश किया गया, जहां भरी सभा में उन्हें इस्लाम धर्म मानने की बात कही गई थी। कहते हैं सभा में नारियल ही बिना किसी ऊंची चोटी के साहिबजादों ने ज़ोर से जयकारा लगाया "जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल"। ये देख सब दंग रह गए, वजीर खान के पूछने पर कोई ऐसा करने की बात भी नहीं कर सकता लेकिन गुरु जी की नन्ही जिंदगियां ऐसा करती हैं एक पल के लिए भी ना डरें। मौजूद मुलाजिम ने साहिबजादों को वजीर खां के सामने सिर झुकाकर सभा की पेशकश को कहा था, लेकिन इस पर उन्होंने जो जवाब दिया सबने चुप्पी साध ली। Also Read: Rajasthan Weather Update: प्रदेश में ठंड बढ़ी, जानें 23 दिसंबर से मौसम में क्या होगा बदलाव sahibzada