Vijaya Ekadashi 2024: विजया एकादशी के दिन करें इन मंत्रों का जाप, मिलेगी सुख-शांति
Mar 3, 2024, 05:52 IST

Vijaya Ekadashi 2024: सनातन धर्म में जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा का अधिक महत्व है। हर महीने में श्री हरि की पूजा के लिए एकादशी व्रत किया जाता है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह तिथि फाल्गुन माह में 06 मार्च को है। इस विशेष अवसर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा और व्रत करने करने का विधान है।
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Vijaya Ekadashi 2024: सभी तरह की समस्याएं दूर
मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में आ रही सभी तरह की समस्याएं दूर हो जाती हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है।शास्त्रों में भगवान विष्णु को समर्पित कुछ विशेष मंत्रों का वर्णन किया गया है। इन मंत्रों का जाप एकादशी व्रत के दिन करने से श्री हरि प्रसन्न होते हैं और घर में सुख- शांति का आगमन होता है। आइए, विजया एकादशी के दिन जाप किए जाने वाले मंत्र जानते हैं।
Vijaya Ekadashi 2024: विजया एकादशी 2024 शुभ मुहूर्त
सनातन धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, विजया एकादशी तिथि की शुरुआत 06 मार्च को सुबह 06 बजकर 30 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 07 मार्च को सुबह 04 बजकर 13 मिनट पर तिथि का समापन होगा। ऐसे में विजया एकादशी व्रत 06 फरवरी को है। एकादशी व्रत के प्रभावशाली मंत्र Also Read: Hail in Haryana: हरियाणा में आफत की बारिश के साथ जमकर बरसे ओले, किसानों की फसलें हुई चौपटVijaya Ekadashi 2024: 1. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय।। 2. ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि । तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। 3. ॐ विष्णवे नम: 4. धन-समृद्धि मंत्र ॐ भूरिदा भूरि देहिनो , मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि । ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि ।Vijaya Ekadashi 2024: 5. लक्ष्मी विनायक मंत्र
दन्ता भये चक्र दरो दधानं, कराग्रगस्वर्णघटं त्रिनेत्रम्। धृता ब्जया लिंगितमब्धि पुत्रया, लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे।।Vijaya Ekadashi 2024: 6. विष्णु के पंचरूप मंत्र
ॐ अं वासुदेवाय नम:।। ॐ आं संकर्षणाय नम:।। ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।। ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:।। ॐ नारायणाय नम:।। ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।