Haryana: हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सरकारी कर्मचारियों को मिली बड़ी राहत
Haryana: हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
सरकारी कर्मचारियों को मिली राहत
हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि इमरजेंसी में ट्रीटमेंट के लिए अस्पताल की लिस्ट को प्राथमिकता देना गलत है। इसके बजाय, जीवन बचाने के फैसले को प्राथमिकता देनी चाहिए।
क्या था मामला?
करनाल के आरके गर्ग, हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड से रिटायर्ड एसडीओ, को जुलाई 2023 में मध्य प्रदेश के उज्जैन में रहते समय कार्डियक इमरजेंसी फेस करनी पड़ी। उन्हें इंदौर के एक सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया, जहां उनकी बाईपास सर्जरी में 22 लाख रुपये से ज्यादा का खर्च आया। हरियाणा कृषि विपणन बोर्ड ने केवल 5.36 लाख रुपये की छोटी सी राशि की प्रतिपूर्ति दी, जिसे आरके गर्ग ने कोर्ट में चैलेंज कर दिया।
कोर्ट की टिप्पणी
कोर्ट ने हरियाणा कृषि विपणन बोर्ड की नीति को रिजेक्ट करते हुए कहा कि इमरजेंसी की सिचुएशन में अस्पताल का चयन करना कर्मचारी के लिए व्यावहारिक नहीं है। जस्टिस जसगुरप्रीत सिंह पुरी ने अपने फैसले में कहा कि जीवन बचाने की स्थिति में अस्पताल की सूची पर ध्यान देना अमानवीय और अव्यावहारिक है।
संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला
जस्टिस पुरी ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए कहा कि जीवन का अधिकार सभी को प्राप्त है। इसे सीमित करने वाली नीतियां संविधान के खिलाफ हैं। उन्होंने साफ किया कि आपातकालीन स्थितियों में प्राथमिकता जीवन बचाने की होनी चाहिए, न कि अस्पताल की स्वीकृत सूची की जांच करने की।
सरकारी कर्मचारियों में संतोष
इस फैसले के बाद सरकारी कर्मचारियों में संतोष का माहौल है, क्योंकि यह उनके हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है। ऐसे में कर्मचारी को भविष्य में इमरजेंसी के दौरान किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।
निष्कर्ष
हरियाणा एवं पंजाब हाईकोर्ट का यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत है। यह फैसला सुनिश्चित करता है कि इमरजेंसी की स्थिति में जीवन बचाने की प्राथमिकता होनी चाहिए, न कि अस्पताल की सूची की जांच करने की।