Haryana News: हरियाणा के गुरुग्राम और नूंह में बनने वाली दुनिया की सबसे बड़ी अरावली जंगल सफारी अगले महीने आकार लेने की उम्मीद है। 10 हजार एकड़ में बन रही इस सफारी के लिए सर्वे का काम हो चुका है. पर्यटन विभाग ने इसके डिजाइन और लेआउट के लिए दो कंपनियों को काम सौंपा है। इसके ड्राफ्ट विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट और डिजाइन रूपरेखा के लिए एक महीने का समय दिया गया है. डीपीआर आने के बाद इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी. Haryana News: इस प्रोजेक्ट के आने के बाद 15 वर्ग किमी के लेपर्ड पार्क प्रोजेक्ट की रूपरेखा तैयार की गई है, जो गुरुग्राम और सोहना के वन क्षेत्र में बनाया जाना है. अरावली जंगल सफारी का निर्माण कई चरणों में किया जाना है।
Also Read: Haryana: हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने ग्रुप डी सीईटी पास करीब 56000 अभ्यर्थियों से मांगे विकल्प, जानें विस्तार से Haryana News: इसका पहला चरण दो साल में पूरा किया जाना है। इसमें पर्यटन विभाग, वन विभाग, वन्य जीव विभाग, चिड़ियाघर प्राधिकरण आदि सभी मिलकर काम करेंगे। अब तक जो रूपरेखा सामने आई है उसमें जंगल सफारी के सात हिस्से होंगे. इसमें शाकाहारी जंगली जानवर, बिल्ली प्रजाति जैसे तेंदुआ आदि, विदेशी जंगली जानवर, पक्षी पार्क, प्राकृतिक पथ, मनोरंजन स्थल और बायो होम आदि जैसे वर्ग बनाए जाने हैं। Haryana News: पर्यटन विभाग के प्रबंध निदेशक नीरज चड्ढा ने कहा कि यह तय करना होगा कि चिड़ियाघर प्राधिकरण बताएगा कि कौन से विदेशी जीव लाए जाने हैं और वे यहां की प्रकृति के अनुरूप ढल पाएंगे या नहीं।
Haryana News: तेंदुआ बाहुल्य क्षेत्रों में किया गया सर्वे
हाल ही में वन्य जीव विभाग ने वन्य जीव संस्थान से अरावली के जीवों का सर्वेक्षण कराया है। अतिरिक्त मुख्य वन संरक्षक महेंद्र सिंह मलिक ने बताया कि अरावली में कितने तेंदुए हैं, इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन किस क्षेत्र में तेंदुए ज्यादा हैं, इसकी रिपोर्ट तैयार की गई है। प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसमें वन्य जीव विभाग की भूमिका शुरू होगी। सरकार अरावली के बंधवाड़ी से सोहना के दमदमा तक लगभग 15 किमी जंगलों में तेंदुआ पार्क बनाकर तेंदुओं को संरक्षित करने की भी योजना बना रही है।जिला वन अधिकारी राजीव तेजायन के मुताबिक अरावली के जंगलों में 18वीं सदी में शेर पाए जाने की खबरें हैं. इसका मतलब है कि ये वन्यजीव इन क्षेत्रों में रह सकते हैं।
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जिन गांवों की जमीन ली जानी है उनमें गुरुग्राम के सकतपुर गैरतपुर वास, शिकोहपुर, भोंडसी, घामडौज, अलीपुर टिकली, अकलीमपुर, नौरंगपुर बड़गुजर शामिल हैं। इसी प्रकार नूंह जिले के कोटा, खंडेवला, गंगानी, मोहम्मदपुर अहीर, खरक, जलालपुर, भंगो, चलका गांव इस परियोजना में शामिल हैं। इसमें गुरुग्राम की 6000 एकड़ और नूंह की 4000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना है.
जंगल सफारी की जिम्मेदारी इन्हीं पर है
Haryana News: अरावली जंगल सफारी के डिजाइन लेआउट और कंसल्टेंसी की जिम्मेदारी टैगबिन और लॉजिक जू नाम की दो कंपनियों पर है। ये कंपनियां डिजाइन और डीपीआर तैयार कर रही हैं, जबकि लॉजिक जू वन्यजीवों के संबंध में सलाह देने वाली विदेशी कंपनी है। इसके अलावा देश के चिड़ियाघर अधिकारी इसमें अपनी सहायता प्रदान करेंगे। भारतीय चिड़ियाघर प्राधिकरण यह तय करेगा कि कौन से जंगली जानवर रखे जाएंगे और कौन से विदेशी जानवर लाए जाएंगे।अरावली सफारी के डिजाइन और लेआउट के पीछे की कंपनी टैगबिन एक विशेषज्ञ तकनीकी सहायता कंपनी है, जो इस परियोजना में परामर्श प्रदान कर रही है। अरावली जंगल सफारी की डीपीआर और डिजाइन एक माह के भीतर तैयार कराने का प्रयास किया जा रहा है। कागजी कार्रवाई के बाद इस पर जमीनी स्तर पर काम किया जाएगा। इसमें कितने हिस्से होंगे, इसमें लेपर्ड पार्क जोड़ा जाएगा या नहीं, यह सब डीपीआर और डिजाइन तय होने के बाद पता चलेगा। इसे एक विदेशी और एक भारतीय कंपनी मिलकर डिजाइन कर रही है। -नीरज चड्ढा, एमडी पर्यटन विभाग
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