हरियाणा में पुरानी दरों पर होगी जमीन की रजिस्ट्री: 8 जिलों में कलेक्टर रेट 20% बढ़ाने का था प्रस्ताव, विधानसभा चुनाव के मद्देनजर CM सैनी ने किया खारिज

हरियाणा के सीएम नायब सैनी ने जमीनों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सीएम ने राजस्व विभाग के कलेक्टर रेट में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। उन्होंने साफ निर्देश दिए हैं कि हरियाणा में जमीनों की रजिस्ट्री पुराने कलेक्टर रेट पर ही होगी।
 
हरियाणा में पुरानी दरों पर होगी जमीन की रजिस्ट्री: 8 जिलों में कलेक्टर रेट 20% बढ़ाने का था प्रस्ताव, विधानसभा चुनाव के मद्देनजर CM सैनी ने किया खारिज

हरियाणा के सीएम नायब सैनी ने जमीनों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। सीएम ने राजस्व विभाग के कलेक्टर रेट में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। उन्होंने साफ निर्देश दिए हैं कि हरियाणा में जमीनों की रजिस्ट्री पुराने कलेक्टर रेट पर ही होगी।

प्रदेश के पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर ने अपने कार्यकाल में निर्देश दिए थे कि कलेक्टर रेट बढ़ाने से पहले जिलों में बाजार मूल्य का पता लगाना जरूरी है।

उन्होंने ये निर्देश इसलिए भी दिए थे क्योंकि कई जिलों में ऐसी जमीनें हैं, जहां जमीन का बाजार मूल्य काफी ज्यादा है, लेकिन कलेक्टर रेट उससे काफी कम है। इससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालांकि पूर्व सीएम के निर्देशानुसार जिलों की ओर से कलेक्टर रेट बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन सीएम सैनी ने इसे लागू करने से इनकार कर दिया।

इन जिलों से आया 20 फीसदी बढ़ोतरी का प्रस्ताव
हरियाणा में कलेक्टर रेट बढ़ाने के सबसे ज्यादा प्रस्ताव एनसीआर में आने वाले जिलों से आए। इनमें रोहतक, गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, बहादुरगढ़, सोनीपत, करनाल, पानीपत जिले शामिल हैं। यहां जिला प्रशासन की ओर से कलेक्टर रेट में 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी के प्रस्ताव भेजे गए थे। इसका कारण यह बताया जा रहा है कि ये जिले एनसीआर में आते हैं, यहां राज्य सरकार और केंद्र सरकार लगातार इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम कर रही है।

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अप्रैल से लागू होने थे संशोधित रेट
हरियाणा में मार्च के बाद अप्रैल में संशोधित कलेक्टर रेट लागू हो जाते हैं, लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लग गई। इसके कारण कलेक्टर रेट लागू नहीं हो पाए। आचार संहिता हटते ही जिलों से संशोधित कलेक्टर रेट के प्रस्ताव राजस्व विभाग को भेजे गए, जिसकी मंजूरी के लिए फाइल सीएम सैनी के पास पहुंची, लेकिन सीएम सैनी ने कलेक्टर रेट बढ़ाने के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। साथ ही स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी जिलों में जमीनों की रजिस्ट्री पुराने रेट पर ही होगी।

जमीन संबंधी मामलों में कलेक्टर रेट अहम

जमीन खरीद-फरोख्त के लिए कलेक्टर रेट काफी अहम होता है। वैल्यू कमेटी अलग-अलग जगहों पर स्थिति और बाजार पर रिसर्च करने के बाद ही अपनी रिपोर्ट देती है। जिसके बाद रेट बढ़ाने का फैसला लिया जाता है। हालांकि इस पर अंतिम फैसला राज्य राजस्व विभाग और राज्य सरकार द्वारा लिया जाता है। रेट तय होने के बाद उससे कम पर जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो सकती है, यह रेट तय होने से पहले इसमें काफी गड़बड़झाला और खेल होता था। जिसे कलेक्टर रेट तय होने के बाद काफी हद तक रोक दिया गया है।

हर साल यह रेट तय करने का फैसला प्रदेश की राज्य सरकार ने लिया था। इससे पहले तत्कालीन सीएम मनोहर लाल ने अधिकारियों को पूरे प्रदेश में एक समान व्यवस्था बनाने को कहा था, जिसके बाद यह नीति लागू की जा रही है।

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