डायबिटीज समेत इन 5 बीमारियों में फायदेमंद है लीची, समझें पूरी जानकारी
गर्मी के मौसम में आम के साथ लीची भी बाजार में आती है। अपने स्वाद, मिठास और औषधीय गुणों के कारण यह लोगों का पसंदीदा फल है। कुछ लोग इसे पेड़ पर उगने वाला रसगुल्ला भी कहते हैं। हालांकि, इसकी मिठास के कारण शुगर के मरीज इसे खाने से बचते हैं, लेकिन कुछ विशेषज्ञ लिखते हैं कि लीची के सेवन से शुगर कंट्रोल करने में मदद मिलती है। लीची के पेड़ की छाल, पत्ते और बीज कई बीमारियों के इलाज में कारगर माने जाते हैं। आइए जानते हैं कि लीची किन पांच बीमारियों को ठीक करने में कारगर है।
दावा किया गया है कि लीची के बीजों में एंटी-टॉक्सिक और दर्द निवारक गुण होते हैं। मुंह के रोगों में फायदेमंद होने के अलावा लीची शुगर में भी फायदेमंद है। दरअसल, आयुर्वेद में लीची को न सिर्फ अपने अच्छे स्वाद बल्कि औषधीय गुणों के लिए भी जाना जाता है। लीची को गर्म तासीर वाला फल माना जाता है। कहा जाता है कि यह फल गठिया के दर्द, वात और पित्त दोष को कम करने में मदद करता है। इसके पत्तों में कीड़े-मकोड़ों के काटने पर मारने वाले गुण होते हैं। इस पेड़ की अलग-अलग चीजें अलग-अलग बीमारियों के इलाज में कारगर बताई जाती हैं। इसलिए इसे सिर्फ मीठा समझकर नजरअंदाज करने की जरूरत नहीं है। लीची के फायदे
लीची को वायरल रोगों में लाभकारी बताया जाता है। यह रोग तब होता है जब पाचन शक्ति कमजोर होने के कारण रोगों से लड़ने की शक्ति कम हो जाती है। लीची में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का गुण होता है। इसके साथ ही यह आपके पाचन को बेहतर बनाता है और आपके शरीर को इन रोगों से खुद ही लड़ने और स्वस्थ रहने में सक्षम बनाता है। इसलिए लीची का सेवन लाभकारी बताया जाता है।
मुंह के छालों में भी लीची के फायदे
अक्सर खान-पान में बदलाव या अन्य समस्याओं के कारण मुंह के छाले हो जाते हैं। इतना ही नहीं, कुछ लोगों को मुंह से दुर्गंध आने की समस्या भी होती है। इसके लिए लीची के पेड़ की छाल को बहुत लाभकारी बताया जाता है। लीची के पेड़ की जड़ या तने की छाल का काढ़ा बना लें। दावा किया जाता है कि इससे गरारे करने से मुंह के रोग दूर होते हैं।
तंत्र तंत्र रोग के कारण रोगी का अपने शरीर के अंगों पर नियंत्रण नहीं रहता। शरीर के अंग, जैसे हाथ, पैर, चेहरा आदि बिना किसी कारण के हिलने लगते हैं। दावा किया जाता है कि इसमें भी लीची लाभकारी है। तंत्रिका तंत्र विकारों के उपचार में लीची के बीजों का उपयोग किया जा सकता है। दावा किया जाता है कि इसके सेवन से लाभ मिलता है।
लीची का सेवन आंतों के लिए फायदेमंद होता है। आंतों के अस्वस्थ होने पर पेट में दर्द, एसिडिटी जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। इसके साथ ही अपच, दस्त, उल्टी आदि समस्याएं भी होने लगती हैं। ऐसे में लीची के फल, मज्जा या गूदे (2-4 ग्राम) को कांजी में पीस लें। इसका सेवन करने से पेट संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है।
मौसम में बदलाव के कारण कई बार गले में दर्द होता है, जिसके कारण बुखार भी आता है। इस बीमारी में लीची खाना फायदेमंद होता है। लीची के पेड़ की जड़, छाल और फूल का काढ़ा बना लें। इसे गुनगुना करके गरारे करें, इससे गले का दर्द ठीक हो जाता है। यानी गले के रोग के लिए भी लीची का सेवन फायदेमंद है।