वजन घटाने और स्वस्थ रहने के लिए चलना या सीढ़ियां चढ़ना, कौन ज्यादा फायदेमंद है?
चलना या सीढ़ियाँ चढ़ना, दोनों ही बहुत ज़रूरी और सेहतमंद वर्कआउट माने जाते हैं। इनके कई फ़ायदे हैं। दोनों ही शरीर के निचले हिस्से को मज़बूत बनाते हैं और मांसपेशियों को टोन करते हैं। बहुत से लोग सुबह या शाम को टहलते हैं, लेकिन बहुत कम लोग सीढ़ियाँ चढ़ने की अलग से एक्सरसाइज़ करते हैं।

चलना या सीढ़ियाँ चढ़ना, दोनों ही बहुत ज़रूरी और सेहतमंद वर्कआउट माने जाते हैं। इनके कई फ़ायदे हैं। दोनों ही शरीर के निचले हिस्से को मज़बूत बनाते हैं और मांसपेशियों को टोन करते हैं। बहुत से लोग सुबह या शाम को टहलते हैं, लेकिन बहुत कम लोग सीढ़ियाँ चढ़ने की अलग से एक्सरसाइज़ करते हैं।
हालांकि, बहुत से लोगों के मन में अक्सर यह सवाल रहता है कि वजन घटाने में क्या ज़्यादा कारगर है, चलना या सीढ़ियाँ चढ़ना? अगर आपके मन में भी अक्सर यह सवाल रहता है, तो आज हम आपको बताएंगे कि वजन घटाने के लिए दोनों में से कौन बेहतर है।
चलना या सीढ़ियाँ चढ़ना- कौन बेहतर है
चलते समय शरीर एक सीधी रेखा में चलता है, लेकिन सीढ़ियाँ चढ़ते समय शरीर खड़ा होकर एक कोण पर मुड़ता है, जिससे मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है और पैरों की मांसपेशियाँ स्थिर और मज़बूत हो जाती हैं। चढ़ते समय शरीर गुरुत्वाकर्षण के विपरीत जा रहा होता है। इससे पैरों की मांसपेशियों पर खिंचाव पड़ता है और वे मज़बूत और टोंड हो जाती हैं।
चलते समय सिर्फ़ पंजों पर दबाव पड़ता है। सीढ़ियाँ चढ़ते समय पैरों, पंजों, घुटनों, एड़ियों और दूसरे सभी अंगों पर दबाव पड़ता है और उनकी एक्सरसाइज़ होती है, जिससे पैरों की ताकत बढ़ती है।
सीढ़ियाँ चढ़ने के लिए चलने से ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जो इसे एक गहन कसरत बनाता है। इससे सहनशक्ति बढ़ती है और ऊर्जा बढ़ती है।
लोगों को शायद टहलने के लिए पार्क या खुली जगह पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है, लेकिन आप कहीं भी सीढ़ियाँ चढ़ सकते हैं, चाहे वह घर हो या ऑफ़िस या मॉल।
सीढ़ियाँ चढ़ने से चलने से ज़्यादा कैलोरी बर्न होती है और दिल, फेफड़े और मांसपेशियाँ भी मज़बूत होती हैं।
इन बातों से यह तो साफ़ है कि सीढ़ियाँ चढ़ना ज़्यादा फ़ायदेमंद है, लेकिन अगर आपको घुटने या सांस फूलने की किसी भी तरह की समस्या है, तो डॉक्टर के निर्देशानुसार ही सीढ़ियाँ चढ़ें।