हरियाणा की सभी 10 लोकसभा सीटों के लिए फलौदी सट्टा बाजार में बड़ा उलटफेर, अब कौन जीतेगा ये सीटें - भाजपा या कांग्रेस?
हरियाणा में लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं और 4 जून को मतगणना होनी है। लेकिन इससे पहले राजस्थान के मशहूर फलौदी सट्टा बाजार में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। फलौदी सट्टा बाजार ने भविष्यवाणी की है कि केंद्र में भाजपा 300 से ज्यादा सीटें जीतेगी, जबकि कांग्रेस को 60 से 70 सीटें मिलने की संभावना है।
फलौदी सट्टा बाजार ने हरियाणा की दस सीटों सिरसा, हिसार, रोहतक, सोनीपत, कुरुक्षेत्र, करनाल, अंबाला, गुड़गांव, फरीदाबाद, भिवानी पर भी अपनी संभावना जताई है। फलौदी सट्टा बाजार के मुताबिक हरियाणा में भाजपा 5 सीटें जीत सकती है, जबकि 5 सीटें कांग्रेस के खाते में जा सकती हैं।
इन सीटों में करनाल और गुड़गांव भाजपा के लिए सबसे सुरक्षित सीटें हैं, जबकि रोहतक और सिरसा कांग्रेस के लिए सबसे सुरक्षित सीटें मानी जा रही हैं। इसके अलावा भिवानी में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर है। इसके अलावा फरीदाबाद में भी मुकाबला कड़ा है। सोनीपत और अंबाला में भी मुकाबला दिलचस्प हो गया है। इसके अलावा कुरुक्षेत्र सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है। कौन सी सीट बीजेपी के लिए पक्की है
हरियाणा की करनाल और गुड़गांव सीट बीजेपी के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जा रही है। पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर करनाल सीट से चुनाव लड़ रहे हैं जबकि केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह गुड़गांव सीट से किस्मत आजमा रहे हैं। बताया जा रहा है कि यहां कोई कड़ा मुकाबला नहीं है और बीजेपी आसानी से जीत सकती है।
कांग्रेस के लिए सुरक्षित सीट
हरियाणा की सिरसा और रोहतक सीट कांग्रेस के लिए सबसे सुरक्षित सीट मानी जा रही है। सिरसा में पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा चुनावी मैदान में हैं जबकि रोहतक से राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस इन दोनों सीटों को अपने लिए मजबूत मान रही है।
इन सीटों पर कड़ी टक्कर
सोनीपत में बीजेपी के मोहन लाल बड़ौली और कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी के बीच कड़ी टक्कर है। फरीदाबाद में कंवरपाल गुर्जर और महेंद्र प्रताप के बीच कड़ी टक्कर है। भिवानी में धर्मबीर सिंह और राव दान सिंह के बीच कड़ी टक्कर है। अंबाला में बंतो कटारिया और वरुण चौधरी के बीच मुकाबला है, जबकि कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला है। लोकसभा चुनाव के लिए कल आखिरी चरण का मतदान होना है। मतदान के बाद सभी राज्यों के लोकसभा चुनाव के एग्जिट पोल सामने आएंगे, जिसके बाद इस बात का मोटा अनुमान लगना शुरू हो जाएगा कि किस पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती हैं।