हरियाणा में टिकट के दावेदार कांग्रेस हाईकमान के लिए बने सिरदर्दः हर विधानसभा में 10-15 दावेदार कर रहे उम्मीदवारी का दावा..

हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने में मात्र 3 महीने बचे हैं। चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार खुलकर कांग्रेस से टिकट मांग रहे हैं और खुद को दावेदार बता रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव की तरह इस बार कांग्रेस सर्वे के आधार पर टिकट दे रही है। ऐसे में सर्वे में अपनी रिपोर्ट अच्छी आए इसके लिए नेताओं ने फील्ड में रहना शुरू कर दिया है।
 
हरियाणा में टिकट के दावेदार कांग्रेस हाईकमान के लिए बने सिरदर्दः हर विधानसभा में 10-15 दावेदार कर रहे उम्मीदवारी का दावा..

हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने में मात्र 3 महीने बचे हैं। चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार खुलकर कांग्रेस से टिकट मांग रहे हैं और खुद को दावेदार बता रहे हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव की तरह इस बार कांग्रेस सर्वे के आधार पर टिकट दे रही है। ऐसे में सर्वे में अपनी रिपोर्ट अच्छी आए इसके लिए नेताओं ने फील्ड में रहना शुरू कर दिया है। वहीं कुछ नेता ऑनलाइन सर्वे करवाकर खुद को दूसरों से ज्यादा प्रभावी और मजबूत उम्मीदवार बता रहे हैं।

खास बात यह है कि इस बार कांग्रेस का टिकट पाने के लिए सबसे ज्यादा होड़ होने की संभावना है। कांग्रेस के पास हर विधानसभा में 10 से 15 दावेदार हैं। ऐसे में ये दावेदार कांग्रेस हाईकमान का सिरदर्द बढ़ाएंगे। कांग्रेस अगले महीने इन दावेदारों से आवेदन मांगना शुरू कर सकती है। अभी कांग्रेस का पहला सर्वे चल रहा है। दूसरा सर्वे शुरू होते ही कांग्रेस आवेदन मांगना शुरू कर देगी। जल्द ही कांग्रेस आवेदन के लिए घोषणा करने वाली है। ऐसे में टिकट पाने के इच्छुक लोगों ने अपना बायोडाटा तैयार करवाना शुरू कर दिया है। इसके अलावा कांग्रेस हलफनामा बनवाने की भी तैयारी कर रही है। हरियाणा कांग्रेस के नेताओं की दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात।

राहुल की बैठक के बाद बयानबाजी बंद

हरियाणा कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात के बाद बयानबाजी बंद। राहुल गांधी की नसीहत के बाद हुड्डा खेमे और शाहरुख गुट की ओर से कोई बयानबाजी नहीं आई है। लेकिन कांग्रेस की गुटबाजी जनता के सामने जगजाहिर है।

ऊपर से एकता का कितना भी संदेश दिया जाए, लेकिन जमीन पर दोनों गुटों के नेताओं के कार्यकर्ता आमने-सामने हैं। कांग्रेस के सम्मेलनों में गुटबाजी देखने को मिल रही है। जींद में हुए सम्मेलन में चौधरी बीरेंद्र सिंह नदारद रहे। उचाना में जयप्रकाश के कार्यक्रम से बृजेंद्र सिंह नदारद रहे।

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विधानसभा में कांग्रेस के पास 3 बड़ी बढ़त

1. सत्ता विरोधी लहर: हरियाणा में भाजपा सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है। हरियाणा में भाजपा की सरकार 10 साल से है। हरियाणा की जनता राज्य में बदलाव चाह रही है। हालांकि बीजेपी ने मुख्यमंत्री का चेहरा बदल दिया, लेकिन लोकसभा चुनाव में इसका कोई फायदा नहीं हुआ। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मोदी के नाम पर वोट जरूर मिले, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव की राह मुश्किल है।

2. जाट और एससी समुदाय की नाराजगी: बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती जाट और एससी समुदाय को खुश करना है। लोकसभा चुनाव में दोनों समुदायों ने एकजुट होकर बीजेपी के खिलाफ वोट किया था। इसका नतीजा यह हुआ कि बीजेपी उन विधानसभाओं में हार गई, जहां जाट समुदाय या एससी समुदाय का प्रभाव है।

3. किसान आंदोलन और अग्निवीर योजना: केंद्र सरकार की योजनाओं को लेकर बीजेपी लोगों से नाराज है। केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर लंबा आंदोलन चला। इसमें हरियाणा के किसानों ने अग्रणी भूमिका निभाई। हरियाणा सरकार ने किसानों के साथ कई मोर्चों पर बल प्रयोग किया और उनका साथ नहीं दिया। इससे किसान हरियाणा सरकार से नाराज हो गए। वहीं, हरियाणा के युवा, खासकर ग्रामीण इलाकों से आने वाले युवा केंद्र की अग्निवीर योजना से नाराज हैं। हरियाणा में बड़े पैमाने पर युवा सेना भर्ती की तैयारी करते हैं। कांग्रेस को इन चुनौतियों से पार पाना होगा

1. गुटबाजी
हरियाणा में कांग्रेस नेताओं की गुटबाजी जगजाहिर है और पार्टी को इसकी कीमत कम से कम 2 सीटें हारकर चुकानी पड़ी। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से पूर्व मंत्री किरण चौधरी और गुरुग्राम से पूर्व कैबिनेट मंत्री कैप्टन अजय यादव ने टिकट कटने के बाद खुलकर नाराजगी जताई।

इसी तरह हिसार सीट पर भी गुटबाजी देखने को मिली। सजेला समर्थकों ने जयप्रकाश के प्रचार से दूरी बनाए रखी। इससे हिसार में जीत का अंतर कम हो गया। विधानसभावार सीटों पर नजर डालें तो हिसार, कैथल, जींद, गुरुग्राम, करनाल, कुरुक्षेत्र, सिरसा लोकसभा जैसी विधानसभाओं में कांग्रेस को गुटबाजी से पार पाना होगा।

2. पार्टी के अंदर चौधरी की लड़ाई
कांग्रेस नेताओं के बीच चौधरी की लड़ाई लोकसभा चुनाव में भी जमकर देखने को मिली। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह शुरू से लेकर आखिर तक बांगर बेल्ट में हिसार प्रत्याशी जयप्रकाश जेपी को नीचा दिखाने की कोशिश करते नजर आए।

हालांकि चुनाव नतीजों में जेपी को सबसे बड़ी बढ़त बीरेंद्र सिंह के गढ़ उचाना से मिली। जयप्रकाश जेपी के हुड्डा खेमे से जुड़े होने के कारण शैलजा रणदीप सुरजेवाला ने हिसार में एक भी सभा नहीं की। शैलजा सिरसा तक ही सीमित रहीं, जबकि रणदीप सिरसा के अलावा कुरुक्षेत्र क्षेत्र में सक्रिय रहे।

3. कुरुक्षेत्र में गठबंधन को दी गई सीट का विधानसभा में होगा असर

कांग्रेस ने कुरुक्षेत्र सीट भारतीय जनता पार्टी गठबंधन के तहत आम आदमी पार्टी (आप) को दी थी। इसलिए यहां कांग्रेस का चुनाव चिह्न गायब था। इसका असर विधानसभा में भी पड़ना तय है। अगर वोट कांग्रेस और आप के बीच बंटते हैं तो

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