हरियाणा में INLD को लग सकता है बड़ा झटका, जा सकता है क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा, जानें विशेषज्ञ की राय

18वीं लोकसभा आम चुनाव के नतीजों में हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने कुल 10 में से 5-5 लोकसभा सीटें जीतीं, लेकिन जहां तक ​​राज्य की दो मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय पार्टियों - इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल) और जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) का सवाल है, तो उन्हें पूरे राज्य में सम्मानजनक वोट प्रतिशत भी नहीं मिला, कोई सीट जीतना तो दूर की बात है।
 
 हरियाणा में INLD को लग सकता है बड़ा झटका, जा सकता है क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा, जानें विशेषज्ञ की राय

Haryana News:  18वीं लोकसभा आम चुनाव के नतीजों में हरियाणा में सत्तारूढ़ भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने कुल 10 में से 5-5 लोकसभा सीटें जीतीं, लेकिन जहां तक ​​राज्य की दो मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय पार्टियों - इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल) और जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) का सवाल है, तो उन्हें पूरे राज्य में सम्मानजनक वोट प्रतिशत भी नहीं मिला, कोई सीट जीतना तो दूर की बात है।

भारत के चुनाव आयोग के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अधिवक्ता हेमंत कुमार ने बताया कि ताजा 18वीं लोकसभा चुनाव में हरियाणा में भाजपा का वोट प्रतिशत 46.11% रहा, जबकि कांग्रेस का 43.67% रहा।

इनेलो को 1.74% और जेजेपी को 0.87% वोट मिले। पिछले साल 2023 से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त आम आदमी पार्टी (आप) का राज्य में वोट प्रतिशत 3.94% रहा, हालांकि उसने केवल एक कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा था।

हालांकि, इन सबके बीच इनेलो और जेजेपी को क्षेत्रीय दल के रूप में मान्यता दिए जाने पर सवाल उठ रहे हैं और कहा जा रहा है कि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के कारण हरियाणा में क्षेत्रीय दल का दर्जा चुनाव आयोग द्वारा छीना जा सकता है।

इस बीच, वर्तमान में लागू कानूनी प्रावधानों का हवाला देते हुए हेमंत ने कहा कि चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश, 1968 के अनुसार किसी भी राजनीतिक दल को मान्यता प्राप्त राज्य (क्षेत्रीय) दल का दर्जा प्राप्त करने और बनाए रखने के लिए राज्य विधानसभा आम चुनाव में न्यूनतम 6 प्रतिशत वोट और कम से कम दो सीटें (यानी विधायक) जीतना आवश्यक है या विधानसभा में कुल सीटों की न्यूनतम तीन प्रतिशत सीटें या तीन सीटें, जो भी अधिक हो, जीतना आवश्यक है।

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इसके बदले में राज्य में लोकसभा आम चुनाव में कम से कम 6 प्रतिशत वोट और कम से कम एक सीट (यानी सांसद) जीतना आवश्यक है। इसके अलावा, कोई भी सीट जीते बिना भी कोई दल विधानसभा या लोकसभा आम चुनाव में डाले गए कुल वैध मतों का 8 प्रतिशत हासिल करके क्षेत्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त कर सकता है या बनाए रख सकता है।

26 साल पहले 1998 में 12वीं लोकसभा के आम चुनाव में हरियाणा में 4 लोकसभा सीटें जीतने के बाद इनेलो को क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा मिला था, जो आज तक जारी है। हालांकि, 5 साल पहले मई, 2019 में 17वीं लोकसभा के आम चुनाव में इनेलो को हरियाणा में सिर्फ 1.9% वोट मिले थे, जबकि वह कोई भी लोकसभा सीट नहीं जीत पाई थी। उसके बाद अक्टूबर, 2019 में हरियाणा विधानसभा के आम चुनाव में इनेलो को सिर्फ 2.44% वोट मिले और उसके एकमात्र विधायक अभय सिंह चौटाला ऐलनाबाद सीट से जीते।

चूंकि हरियाणा में क्षेत्रीय पार्टी इनेलो मई, 2019 में 17वीं लोकसभा के आम चुनाव, उसके बाद अक्टूबर, 2019 में हरियाणा विधानसभा के आम चुनाव तथा अब 18वीं लोकसभा के आम चुनाव में उपरोक्त सभी मापदंडों पर विफल रही है, इसलिए यह उचित है कि हरियाणा में इसका मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दल का दर्जा तथा आरक्षित चुनाव चिन्ह यानि चश्मा (चश्मा) चुनाव आयोग द्वारा छीन लिया जाए। हालांकि, यदि चुनाव आयोग इनेलो को किसी अन्य आम चुनाव में अपना प्रदर्शन सुधारने के लिए विशेष रियायत देना चाहता है, तो वह ऐसा कर सकता है।

हेमंत ने यह भी बताया कि अगस्त, 2016 में चुनाव आयोग ने उक्त 1968 के आदेश में संशोधन करते हुए उल्लेख किया था कि यदि कोई मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल किसी आम चुनाव में न्यूनतम मत/सीटें प्राप्त नहीं करता है, तो उसकी मान्यता प्राप्त स्थिति प्रभावित नहीं होगी।

लेकिन अगले आम चुनाव में इसकी मान्यता भी उन चुनावों में इसके प्रदर्शन यानि न्यूनतम सीट/वोट प्राप्त करने पर निर्भर करेगी। यह अब इनेलो पर लागू नहीं होगा, क्योंकि मई, 2019 और मई, 2024 में लगातार दो लोकसभा आम चुनावों के साथ-साथ अक्टूबर, 2019 के हरियाणा विधानसभा आम चुनाव में इनेलो का चुनावी प्रदर्शन निर्धारित मापदंडों के अनुरूप नहीं था।

जहां तक ​​जेजेपी को क्षेत्रीय दल के रूप में मान्यता देने का मामला है, तो चूंकि वर्ष 2019 में हरियाणा विधानसभा आम चुनाव में 10 सीटें जीतने तथा करीब 15 प्रतिशत वोट शेयर प्राप्त करने के कारण इसे यह दर्जा दिया गया है, इसलिए आगामी अक्टूबर, 2024 में होने वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव तक इसके क्षेत्रीय दल के दर्जे तथा चाबी के आरक्षित चुनाव चिन्ह को लेकर कोई विवाद नहीं है। इन सबके बीच पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अधिवक्ता हेमंत कुमार ने भारतीय चुनाव आयोग के रिकार्ड से समस्त आंकड़े एकत्रित कर उनका अध्ययन करने तथा वर्तमान चुनावी कानून प्रावधानों का हवाला देते हुए

बताया कि 22 वर्ष पूर्व फरवरी, 1998 में हुए लोकसभा आम चुनाव में हरियाणा की 10 में से 4 लोकसभा सीटें जीतने पर इनेलो पार्टी को प्रदेश में राज्य स्तरीय दल के रूप में मान्यता दी गई थी तथा इसके लिए चश्मा चुनाव चिन्ह आरक्षित किया गया था। उस समय इसका नाम हरियाणा लोकदल (राष्ट्रीय) था, जिसे अगस्त 1998 में बदलकर इनेलो कर दिया गया।

वैसे भी, वर्ष 1998 के बाद से अब तक पांच लोकसभा और विधानसभा आम चुनाव हो चुके हैं, जिनमें से सभी में इनेलो ने हरियाणा में चुनाव लड़ा है। अब देखना यह है कि चुनाव आयोग इस पर कोई फैसला लेता है या नहींक्या वर्ष 2024 के आम चुनावों तक इनेलो को राहत प्रदान की जाएगी?

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