Sirsa Lok Sabha: 1 सीट से 3 बार सांसद बनने वाली प्रदेश की पहली महिला बनीं शैलजा, दल-बदलु तंवर को मिली करारी हार

लोकसभा चुनाव में सिरसा सीट से चुनाव लड़ने वाली इंडिया अलायंस की प्रत्याशी कुमारी शैलजा को मतदाताओं ने भरपूर समर्थन दिया। 1991 और 96 के बाद अब शैलजा तीसरी बार सिरसा सीट से लोकसभा चुनाव जीती हैं। परिवार की परंपरागत सीट से टिकट की घोषणा के पहले दिन से ही कुमारी शैलजा भाजपा प्रत्याशी पर भारी पड़ रही थीं।
 
Sirsa Lok Sabha: 1 सीट से 3 बार सांसद बनने वाली प्रदेश की पहली महिला बनीं शैलजा, दल-बदलु  तंवर को मिली करारी हार

लोकसभा चुनाव में सिरसा सीट से चुनाव लड़ने वाली इंडिया अलायंस की प्रत्याशी कुमारी शैलजा को मतदाताओं ने भरपूर समर्थन दिया। 1991 और 96 के बाद अब शैलजा तीसरी बार सिरसा सीट से लोकसभा चुनाव जीती हैं। परिवार की परंपरागत सीट से टिकट की घोषणा के पहले दिन से ही कुमारी शैलजा भाजपा प्रत्याशी पर भारी पड़ रही थीं।

पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण इस सीट पर जिले के लोगों का शैलजा के साथ भावनात्मक लगाव देखने को मिला। वहीं, भाजपा प्रत्याशी डॉ. अशोक तंवर 15 साल सिरसा में रहने के बाद भी मतदाताओं के दिलों में जगह नहीं बना पाए। अधिकांश मतदाता उन्हें दल-बदलू मानते हैं। संगठनात्मक बदलाव के कारण पार्टी नेताओं में असंतोष ने भी नुकसान पहुंचाया।

सिरसा संसदीय सीट पर जेजेपी (जननायक जनता पार्टी) और इनेलो (इंडियन नेशनल लोकदल) का खिसकता जनाधार भी कांग्रेस के लिए फायदेमंद साबित हुआ। इनेलो का शहरी और ग्रामीण वोट बैंक कहीं न कहीं खिसककर कांग्रेस के समर्थन में आया। इससे कांग्रेस और मजबूत हुई। रतिया व टोहाना में आंदोलन का असर

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पंजाब में हुए बदलाव का असर सिरसा के कई इलाकों में देखने को मिल रहा है। इस चुनाव में सिरसा के किसानों ने पंजाब के किसानों के आंदोलन का समर्थन किया है। डबवाली, रानिया व कालांवाली में कांग्रेस प्रत्याशी को काफी वोट मिले। रतिया व टोहाना इलाके में भी आंदोलन प्रभावी रहा। आप (आम आदमी पार्टी) के समर्थन से भी कांग्रेस को फायदा हुआ है। इतना ही नहीं कैबिनेट मंत्री चौधरी रणजीत सिंह के हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने से भाजपा को बड़ा नुकसान हुआ। रानिया में 40 फीसदी वोट बैंक सीधे कांग्रेस के खाते में गया। वहीं डेरा सच्चा सौदा का अपने अनुयायियों को स्वतंत्र रूप से मतदान करने के लिए प्रेरित करना बदलाव का समर्थन कर रहा था।

योगी का दौरा नहीं कर सका कमाल
चुनाव से पहले भाजपा में हुए संगठनात्मक बदलाव का सीधा असर डॉ. अशोक तंवर के चुनाव पर पड़ा। पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल व सीएम नायब सैनी ने भले ही दो बार आकर संगठन को एकजुट करने का प्रयास किया, लेकिन वे सफल होते नहीं दिखे। भाजपा नेताओं की डेरा-डेरा परिक्रमा भी काम नहीं आई। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आखिरी समय में सिरसा में प्रचार के लिए आना भी कोई चमत्कार नहीं कर सका। हालांकि, कांग्रेस की वरिष्ठ महिला नेता और स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी के रोड शो को जनता का समर्थन मिला, जिसमें कांग्रेस नेताओं ने अपनी ताकत दिखाई।

कांग्रेस प्रत्याशी की जीत के तीन मुख्य कारण

1. जिले के लोगों का कुमारी शैलजा से भावनात्मक लगाव

2. इनेलो-जजपा प्रत्याशी का कमजोर होना

3. किसान आंदोलन का लोकसभा चुनाव पर बड़ा असर

भाजपा प्रत्याशी की हार के तीन मुख्य कारण

1. भाजपा प्रत्याशी डॉ. अशोक तंवर का बार-बार दल बदलना लोगों को पसंद नहीं आया

2. संगठन में बदलाव और अंदरूनी असंतोष का खामियाजा भुगतना पड़ा

3. गांव-गांव में किसानों का विरोध भारी पड़ा, आप के कांग्रेस को समर्थन देने से भी तंवर को नुकसान

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