Scrap Policy: पुराने वाहनों को सड़क पर चलाने के नियम तय, जानिए नए नियमों का अपडेट

 
Scrap Policy:  पुराने वाहनों को सड़क पर चलाने के नियम तय, जानिए नए नियमों का अपडेट
Scrap Policy:   देश में नई स्क्रैप पॉलिसी 1 अप्रैल 2023 से लागू हो गई है. इस स्क्रैप पॉलिसी के लागू होने के बाद निजी और कमर्शियल वाहन मालिकों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं. Scrap Policy:   पहला, क्या 10, 15 या 20 साल पुरानी कार, बाइक, स्कूटर या स्कूटी सड़क पर चलाई जा सकती है? दूसरा, क्या सरकार की नई स्क्रैप पॉलिसी कार और बाइक, स्कूटर या स्कूटर के लिए अलग है? तीसरा, क्या बाइक, स्कूटर या स्कूटी पर कारों की तुलना में कम सब्सिडी मिलती है? चौथा, क्या निजी और वाणिज्यिक वाहनों के लिए अलग-अलग स्क्रैप नीतियां हैं? अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल उठ रहे हैं तो आज हम उन सभी सवालों के जवाब देंगे, जिससे आपको स्क्रैप पॉलिसी के बारे में समझने में आसानी होगी। Scrap Policy:   सबसे पहले आपको बता दें कि अगर कोई भी व्यक्ति नई कार खरीदता है तो उसे परिवहन विभाग (आरटीओ) की ओर से 15 साल के लिए सड़क पर गाड़ी चलाने का लाइसेंस दिया जाता है। हालांकि, नई स्क्रैप पॉलिसी के तहत 15 साल बाद भी वह व्यक्ति 5 साल तक सड़क पर कार चला सकता है. बशर्ते गाड़ी की हालत ठीक हो और उसे एटीएस यानी ऑटोमैटिक व्हीकल फिटनेस टेस्टिंग स्टेशन से फिटनेस सर्टिफिकेट मिला हो। Scrap Policy:   15 साल पुरानी गाड़ी नई स्क्रैप पॉलिसीके तहत 15 साल चल चुकी कार, बाइक, स्कूटर या स्कूटी को अगले 5 साल और चलाने के लिए री-रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा. इसके लिए आपको ऑटोमेटिक व्हीकल फिटनेस टेस्टिंग स्टेशन (ATS) से फिटनेस सर्टिफिकेट लेकर आरटीओ में जमा कराना होगा. उदाहरण के लिए अगर आपकी बाइक 15 साल पुरानी है तो अगले पांच साल और चलाने के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट लेकर री- रजिस्ट्रेशन कराना होगा.     Scrap Policy:  फिटनेस सर्टिफिकेट री-रजिस्ट्रेशन से पहले आपको मान्यता प्राप्त एटीएस से फिटनेस सर्टिफिकेट लेकर आरटीओ में जमा कराना होगा और फिर आरटीओ 5 साल के लिए लाइसेंस जारी करेगी. इसके लिए गाड़ी को एटीएस सेंटर पर लेकर जाना होगा और फिर मैकनिकल इक्यूपमेंट के साथ फिटनेस सर्टिफिकेट बनेगा. एटीएस सेंटर पर आपके गाड़ी का फिटनेस सर्टिफिकेट लेने का मौका सिर्फ दो ही बार मिलेगा.     Scrap Policy:   फिटनेस सर्टिफिकेट अनिवार्य मान लीजिए, अगर आप पहली बार अपनी गाड़ी एटीएस सेंटर में लेकर गए और किसी कारण से आपकी गाड़ी का फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं बन पाया तो आपको एक और मौका मिलेगा. दूसरी बार भी आपकी गाड़ी में दिक्कत आ गई और आपके गाड़ी का फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं बन पाया तो फिर आपको अपनी गाड़ी स्क्रैप में देने का अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं बचेगा. अगर दूसरी बार में फिटनेस सर्टिफिकेट मिल जाता है तो आप उसे आप आरटीओ में जमा कर री-रजिस्टर करा सकते हैं. लेकिन, री-रजिस्टर होने के बाद सिर्फ 5 साल तक ही आपकी गाड़ी सड़क पर चल सकती है. Also Read: Crops cure fog: इन फसलों के लिए रामबाण है कोहरा, जमकर करेगा फायदा
    Scrap Policy:   बदल जाएगा नियम 1 अप्रैल 2023 के बाद 15 से 20 साल पुरानी गाड़ी आप खुद भी सरकार के मान्यता प्राप्त स्क्रैप सेंटर में जाकर स्क्रैप करा सकते हैं. लेकिन, यही नियम 1 जून 2024 से बदल जाएगा. 1 जून 2024 के बाद आपकी गाड़ी अगर सड़क पर चलती पकड़ी जाती है तो सीधे स्क्रैप सेंटर में भेज दिया जाएगा और आप पर जुर्माना भी लगेगा, और साथ में कोई सब्सिडी या छूट नहीं मिलेगी. ऐसे में अगर आप अपनी मर्जी से गाड़ी का स्क्रैप करा लेते हैं तो आपको सरकार की तरफ ये सारे फायदे मिलेंगे. Scrap Policy:   स्क्रैप कराने के फायदे पहला फायदा, आपकी गाड़ी का जो भी वैल्यू है, उस वैल्यू का 4 से 6 प्रतिशत आपको मिलेगा. मान लीजिए आपकी गाड़ी 1 लाख रुपये की है तो आपको 4000 से 6000 रुपये और मिलेंगे. दूसरा फायदा, स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट पर आपको नई गाड़ी के खरीदने पर उसके टोटल प्राइज पर 5 प्रतिशत छूट मिलेगी. तीसरा, नई गाड़ी खरीदने पर लगने वाला रजिस्ट्रेशन फीस भी नहीं देना पड़ेगा. चौथा, रोड टैक्स पर भी आपको छूट मिलेगी. रोड टैक्स पर प्राइवेट गाड़ियों पर 25 प्रतिशत की छूट और कमर्शियल गाड़ियों पर 15 प्रतिशत की छूट मिल रही है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने री-रजिस्ट्रेशन को लेकर भी एक नया नियम बनाया है. पहले प्राइवेट गाड़ियों केरी-रजिस्ट्रेशनके लिए 1000 रुपये देना पड़ता था, जिसे बढ़ाकर अब 5000 रुपये कर दिया गया है. इसी तरह प्राइवेट बाइक का रजिस्ट्रेशन फीस 300 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये कर दिया गया है. विदेशी गाड़ियों का री-रजिस्ट्रेशन के लिए पहले 15,000 रुपये लिया जाता था, जिसे बढ़ाकर अब 40,000 रुपये कर दिया गया है. Scrap Policy:   रजिस्ट्रेशन के नियम इसी तरह प्राइवेट गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन एक्सपायर होने के बाद लेट फीस 300 रुपये और कमर्शियल गाड़ियों का 600 रुपये प्रति महीना कर दिया गया है. इसी तरह ऑटो या टैक्सी के लिए पहले री-रजिस्ट्रेशन फीस 1000 रुपया लगता था, जिसे अब 7000 रुपया कर दिया है और बस-ट्रक के लिए 1500 रुपये से बढ़ाकर अब 12, 500 रुपये कर दिया गया है.

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