Nano Urea: नैनो यूरिया पर देश के अंदर और बाहर दोनों तरफ से सवाल उठाए जा रहे हैं. लेकिन, सरकार इस मामले में इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) के साथ खड़ी है, जिसने नैनो यूरिया बनाया है. इसकी पहली बड़ी वजह यह है कि यह भारत का प्रोडक्ट है और दूसरी बात यह है कि इस पर उर्वरक सब्सिडी नहीं है. सरकार को सबसे ज्यादा पैसा यूरिया सब्सिडी के तौर पर खर्च करना पड़ता है
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इसलिए अगर नैनो यूरिया की बिक्री बढ़ेगी तो सरकार पर आर्थिक बोझ कम होता जाएगा. पहले डेनमार्क के वैज्ञानिकों ने इसकी प्रभावकारिता (Efficacy) पर सवाल उठाए और उसके बाद पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) के विशेषज्ञों ने ऐसी ही बात कही है. इस पर उठ रहे सवालों के बावजूद उत्पादन क्षमता बढ़ाने का काम जारी है. इसके छह और प्लांट बनाए जाएंगे. जो लोग नैनो यूरिया के खिलाफ सवाल उठा रहे हैं सरकार उनको जवाब दे रही है.
Nano Urea: देश में 6 और नैनो यूरिया प्लांट बनाने का निर्णय
रसायन और उर्वरक मंत्री भगवंत खुबा ने कहा कि भारत सरकार नैनो यूरिया संयंत्रों की स्थापना में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं है. इफको द्वारा 17 करोड़ बोतल प्रति वर्ष की कुल संयुक्त क्षमता वाले कुल 3 नैनो यूरिया प्लांटों को कलोल, फूलपुर और आंवला में शुरू किया गया है. प्रत्येक बोतल 500 मिलीलीटर की है. इसके अलावा नैनो साइंस एंड रिसर्च सेंटर द्वारा 4.5 करोड़ बोतल प्रति वर्ष की क्षमता वाला एक प्लांट आणंद, गुजरात में स्थापित किया गया है. इसके अतिरिक्त उर्वरक कंपनियों ने सूचित किया है कि उन्होंने देश में 6 और नैनो यूरिया प्लांट बनाने का निर्णय लिया है.
Nano Urea: क्या फायदेमंद है नैनो यूरिया
केंद्र सरकार ने कहा है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) संस्थानों और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों (एसएयू) द्वारा कई स्थानों पर किए गए बायो इफिसिएंसी ट्रायल और बायो सेफ्टी टेस्ट के परिणामों के आधार पर कृषि विभाग ने नैनो यूरिया को उर्वरक नियंत्रण आदेश, 1985 में ‘नैनो नाइट्रोजन उर्वरक’ के रूप में नोटिफाइड किया था.
Nano Urea: उपज में वृद्धि का दावा
नैनो यूरिया के ये प्रायोगिक परीक्षण विभिन्न एग्रो क्लाइमेटिक क्षेत्रों में धान, गेहूं, सरसों, मक्का, टमाटर, पत्तागोभी, ककड़ी, शिमला मिर्च और प्याज जैसी विभिन्न फसलों पर किए गए थे. अध्ययन से पता चला कि नाइट्रोजन की अनुशंसित बेसल डोज के साथ टॉप-ड्रेसिंग के रूप में नैनो यूरिया के दो छिड़काव से नाइट्रोजन की पूर्ण अनुशंसित मात्रा के साथ प्राप्त उपज के बराबर उपज प्राप्त हुई. जिसमें 3-8% का उपज लाभ और विभिन्न फसलों में 25-50% की यूरिया की बचत हुई.
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केंद्र सरकार ने कहा है कि इफको नैनो यूरिया की कीमत 225 रुपये प्रति बोतल है जो पारंपरिक यूरिया की 45 किलोग्राम की बोरी की कीमत से 16 फीसदी कम है. दावा किया गया है कि नैनो यूरिया की 500 मिली की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है, जो सामान्य यूरिया के एक बैग के बराबर नाइट्रोजन प्रदान करता है.