'एस्कॉट' गर्मियों में घूमने के लिए एक खूबसूरत और भीड़-भाड़ वाली जगह है
अगर आप ट्रैवलर होने के साथ-साथ एडवेंचर के भी शौकीन हैं, तो आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आप अपने ये दोनों शौक पूरे कर सकते हैं। अगर आप दो से तीन दिन की छुट्टियां बिताने के लिए बजट डेस्टिनेशन की तलाश में हैं, तो उत्तराखंड के असकोट को अपने प्लान में शामिल कर सकते हैं। असकोट उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की डीडीहाट तहसील में स्थित है। पहाड़ों और नदियों से घिरा यह स्थान न केवल खूबसूरत है, बल्कि बेहद शांत भी है। उत्तराखंड की दूसरी जगहों की तरह यहां भीड़भाड़ नहीं होती, जिसकी वजह से आप यहां के नजारों का आराम से और करीब से मजा ले सकते हैं। असकोट शब्द का मतलब है अस्सी किले। माना जाता है कि किसी समय असकोट में 80 किले हुआ करते थे। कुछ किलों के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं।
अगर आप ट्रैवलर होने के साथ-साथ एडवेंचर के भी शौकीन हैं, तो आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां आप अपने ये दोनों शौक पूरे कर सकते हैं। अगर आप दो से तीन दिन की छुट्टियां बिताने के लिए बजट डेस्टिनेशन की तलाश में हैं, तो उत्तराखंड के असकोट को अपने प्लान में शामिल कर सकते हैं। असकोट उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की डीडीहाट तहसील में स्थित है। पहाड़ों और नदियों से घिरा यह स्थान न केवल खूबसूरत है, बल्कि बेहद शांत भी है। उत्तराखंड की दूसरी जगहों की तरह यहां भीड़भाड़ नहीं होती, जिसकी वजह से आप यहां के नजारों का आराम से और करीब से मजा ले सकते हैं। असकोट शब्द का मतलब है अस्सी किले। माना जाता है कि किसी समय असकोट में 80 किले हुआ करते थे। कुछ किलों के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं।
असकोट प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा का शुरुआती बिंदु भी है, तो देर किस बात की, आने वाले वीकेंड में इसे एक्सप्लोर करने का प्लान बनाइए। असकोट में घूमने की जगहें असकोट कस्तूरी मृग अभयारण्य असकोट अभयारण्य कस्तूरी मृगों को बचाने के लिए बनाया गया था। इसकी स्थापना 1986 में हुई थी। बर्फ से ढके पहाड़, खूबसूरत घाटियाँ और ग्लेशियर इस अभयारण्य की खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं, साथ ही इस अभयारण्य को जानवरों के रहने के लिए भी उपयुक्त बनाते हैं। यह अभयारण्य धौली और इकली नदियों का उद्गम स्थल भी है। कुमाऊँ के पहाड़ों के बीच स्थित इस अभयारण्य से पंचचूली और नौकना पर्वत भी देखे जा सकते हैं।
जौलजीबी
जौलजीबी में आप गोरी और काली गंगा नदियों का संगम देख सकते हैं। असकोट से इस जगह तक पहुँचने के लिए आपको 15 किलोमीटर का सफ़र तय करना होगा। यहाँ आकर आपको एक अलग तरह की शांति का एहसास होता है। जहाँ आप शांति से बैठकर नज़ारों का आनंद ले सकते हैं।
असकोट कब जाएँ
असकोट घूमने के लिए गर्मियों का मौसम सबसे अच्छा है। जब उत्तर भारत में भीषण गर्मी होती है, तो यहाँ का मौसम सुहाना होता है, लेकिन अगर आप बर्फबारी का मज़ा लेना चाहते हैं, तो आप सर्दियों में भी यहाँ आने का प्लान बना सकते हैं। मानसून में यहाँ आने से बचें।
असकोट कैसे पहुँचें
असकोट पहुँचने के दो रास्ते हैं। यहां पहुंचने के लिए ट्रेन और सड़क दोनों ही विकल्प हैं। अगर आप ट्रेन से आ रहे हैं, तो काठगोदाम सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जहां से आपको असकोट के लिए बस या टैक्सी मिल जाएगी।
अगर आप सड़क मार्ग से आना चाहते हैं, तो दिल्ली से नेशनल हाईवे 24 और 9 लेकर असकोट आसानी से पहुंचा जा सकता है।