Mandi Bhav: पिछले कुछ हफ्तों में सरसों की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। किसानों को सरसों के अच्छे दाम मिल रहे हैं. देश की अधिकांश मंडियों में सरसों की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक पर बिक रही है।
Mandi Bhav: सरसों के दाम बढ़े
तिलहन फसल की कीमतों में बढ़ोतरी जारी है. अपनी उपज के अच्छे दाम मिलने से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। इस बीच सरसों की कीमतें किसानों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई हैं. दरअसल, पिछले कुछ हफ्तों में सरसों की कीमत में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. किसानों को सरसों के अच्छे दाम मिल रहे हैं. देश की अधिकांश मंडियों में सरसों की फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक पर बिक रही है। सरसों को इतने अच्छे दाम मिल रहे हैं कि यह 9,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है. आइए आपको बताते हैं देश के अलग-अलग बाजारों में बिक रही सरसों का भाव।
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केंद्र सरकार ने सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 5,450 रुपये तय किया है. देश की ज्यादातर मंडियों में सरसों को ऊंचे दाम मिल रहे हैं। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के एगमार्कनेट पोर्टल के मुताबिक, शुक्रवार (15 दिसंबर) को देशभर के विभिन्न बाजारों में सरसों अच्छे दाम पर बिकी। कर्नाटक में बेंगलुरु की मंडी में सरसों को सबसे अच्छी कीमत मिली। जहां, सरसों 9 हजार रुपए क्विंटल बिकी।
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इसी तरह, कर्नाटक के शिमोगा बाजार में सरसों 8,800 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार कर रही थी। इसके अलावा, मध्य प्रदेश के मंदसौर बाजार में सरसों 7,079 रुपये प्रति क्विंटल, गुजरात के जामनगर बाजार में 6,900 रुपये प्रति क्विंटल और पश्चिम बंगाल में 6,550 रुपये प्रति क्विंटल थी। सरसों की कीमत उसकी गुणवत्ता पर भी निर्भर करती है। सरसों की किस्म जितनी अच्छी होगी कीमत भी उतनी ही अच्छी मिलेगी.
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सरसों रबी तिलहनों की एक प्रमुख फसल है। सीमित सिंचाई परिस्थितियों में भी सरसों अधिक लाभदायक फसल है। सरसों की फसल के लिए उन्नत तरीके अपनाने से उत्पादन और उत्पादकता में काफी वृद्धि होती है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरसों की बुआई सही समय पर की जाए तो फसल अच्छी होती है और उत्पादन बढ़ता है. सरसों की बुआई का सर्वोत्तम समय सितम्बर से नवम्बर तक है। फिलहाल देश में सरसों की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है. अब इसकी कटाई मार्च से अप्रैल माह में होगी।