कपास पर गुलाबी सुंर्डी का हमला हुआ शुरू, पंजाब के ये 3 जिले प्रभावित

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राजस्थान और हरियाणा की सीमा से सटे गांवों में उगाए जा रहे पौधों पर गुलाबी इल्ली देखी गई है। यही वजह है कि इसका असर पंजाब पर पड़ रहा है। इस समय राजस्थान के श्रीगंगानगर, अनूपगढ़ और हनुमानगढ़ जिलों में कपास की फसल पर गुलाबी इल्ली का हमला बढ़ गया है।
कुछ इलाकों में किसानों ने खेतों में कपास के पौधों की जुताई शुरू कर दी है। इनपुट कॉस्ट बढ़ेगी मानसा के खियाली चाहियावाली गांव के कपास किसान बलकार सिंह ने बताया कि उनके गांव के कुछ खेतों में गुलाबी इल्ली देखी गई है। उन्होंने बताया कि कपास के पौधों में अभी फूल नहीं आए हैं, लेकिन कीटों का हमला शुरू हो गया है। हालांकि, हम खेतों में दो बार कीटनाशक का छिड़काव कर चुके हैं। अब अगर हम दोबारा कीटनाशक का छिड़काव करेंगे तो हमारी लागत 2,000 रुपये प्रति एकड़ बढ़ जाएगी।
कीटों का हमला बढ़ा
किसान बलकार सिंह ने बताया कि मैं नौ एकड़ में कीटनाशक के छिड़काव पर पहले ही 18,000 रुपये अतिरिक्त खर्च कर चुका हूं। उन्होंने बताया कि उन्हें सफेद मक्खी का भी हमला झेलना पड़ रहा है। पिछले साल भी मालवा क्षेत्र में बड़ी संख्या में कपास उत्पादकों को गुलाबी इल्ली के हमले के कारण नुकसान उठाना पड़ा था।
उन्होंने मूंग की कटाई के तुरंत बाद कपास की खेती की थी। दरअसल, मूंग गुलाबी इल्ली का प्राकृतिक आवास है। इसलिए फलियों की कटाई के बाद यह कीट मिट्टी में ही रह गया और बाद में उन खेतों में बोई गई कपास की फसल पर हमला कर दिया। इसके बाद हुई भारी बारिश ने कीटों के हमले को और बढ़ा दिया।
रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल राज्य में कपास की करीब 60 फीसदी फसल खराब हो गई थी। 2021 में भी गुलाबी सुंडी ने कपास की फसल को नुकसान पहुंचाया था। कई विशेषज्ञों का मानना है कि कीटों के लगातार हमलों का समाधान किसानों को नए बीज देना और उन्हें पुराने बीजों का इस्तेमाल न करने देना है। अबोहर के पट्टी सादिक गांव में कपास की खेती कर रहे गुरप्रीत सिंह संधू ने बताया कि पिछले साल उनकी कपास की पैदावार 8-10 क्विंटल प्रति एकड़ से घटकर दो क्विंटल प्रति एकड़ रह गई है।
99720 हेक्टेयर में कपास की खेती
उन्होंने कहा कि इस साल फिर से फसल पर गुलाबी सुंडी ने हमला किया है और मैंने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की सिफारिश के अनुसार कई कीटनाशकों का छिड़काव शुरू कर दिया है। लेकिन इस साल भी संभावनाएं उज्ज्वल नहीं दिख रही हैं। भगवान का शुक्र है कि मैंने कपास का रकबा कम कर दिया था, नहीं तो मेरा नुकसान बहुत अधिक होता।
कपास की फसल के बार-बार खराब होने के कारण पंजाब के किसान इस फसल से परहेज करने लगे हैं। 2 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई के लक्ष्य के मुकाबले इस साल कपास की फसल केवल 99,720 हेक्टेयर में ही बोई गई है। इस क्षेत्र में से 60,000 हेक्टेयर क्षेत्र में कपास की फसल को कृषि विभाग द्वारा फील्ड ट्रायल के लिए अपनाया गया है तथा विभाग द्वारा सभी कीटनाशक उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।