आलू की ये बैंगनी किस्म बढ़ाएगी किसानों की आय, 350 क्विंटल/हेक्टेयर तक होगी पैदावार
कुफरी जामुनिया, सीआई क्लाइमेट-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान की एक विशेष रोमांचक खोज है, जिस आलू की हम बात कर रहे हैं वह भारतीय जलवायु के लिए विकसित पहली नंगे गूदे वाली आलू की किस्म है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कुफरी जामुनिया अपने स्मारकों और भव्य स्थानों के लिए जाना जाता है।
कुफरी जामुनिया के कंद घने और अवशेषी होते हैं। आलू के गूदे का आकर्षक रंग न केवल इसे देखने में आकर्षक बनाता है, बल्कि इसमें भरपूर मात्रा में एंथोसायनिन भी शामिल है।
कुफरी जामुनिया आलू की खेती से जुड़ी जानकारी निम्नलिखित है:
कुफरी जामुनिया आलू की एक मध्यम पकने वाली किस्म है, जो लगभग 90 दिन में तैयार हो जाती है।
यह किस्म बायोफोर्टिफाइड है, जिसका अर्थ है कि इसमें पोषक तत्वों की मात्रा अधिक है।
इसमें एंथोसायनिन की मात्रा अधिक होती है, जो इसके चमकीले बैंगनी मांस में पाए जाने वाले शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट हैं।
यह एक उच्च उपज देने वाली किस्म है, जिसकी औसत उपज 320-350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
कुफरी जामुनिया आलू को गुणवत्ता में महत्वपूर्ण कमी के बिना लंबे समय तक संग्रहीत किया जा सकता है, जिससे वे स्थानीय खपत और व्यावसायिक वितरण दोनों के लिए उपयुक्त हो जाते हैं।
यह किस्म भारत के उत्तरी, मध्य और पूर्वी मैदानों इलाकों में उगाई जाती है।
इसकी अनुकूलता इसे इन क्षेत्रों के किसानों के लिए एक बहुमुखी विकल्प बनाती है।
कुफरी जामुनिया आलू की खेती में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है।
इसका अनूठा बैंगनी मांस, जैव-सशक्त पोषण संबंधी लाभ, उच्च उपज और अच्छी भंडारण क्षमता इसे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनाती है।