zinc and sulfur be used together: किसी भी फसल में जिंक और सल्फर काफी महत्वपूर्ण होते हैं। दोनों का आपस में गहरा संबंध है. यदि आप जिंक का उपयोग कर रहे हैं और इसके साथ आपने सल्फर का उपयोग नहीं किया है। तो आपका जिंक पौधे को प्रभावित नहीं करेगा। इसका मुख्य कारण क्या है, इस लेख में आगे जानेंगे कि जिंक और सल्फर के बीच क्या संबंध है। और यह हमारी फसलों के लिए किस प्रकार फायदेमंद है।
zinc and sulfur be used together: कितना जिंक लेना चाहिए?
जिन खेतों में मिट्टी का पीएच 8 से ऊपर है। आपका केवल 15 से 20% जिंक उन क्षेत्रों में काम आता है। यदि आपकी मिट्टी का पीएच स्तर 5 से 7.5 के बीच है। तो जिंक के आपको अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे और आपके खेत में जिंक लगभग 60 से 70% काम करेगा। जिंक का प्रयोग मिट्टी के अनुसार करना चाहिए।
zinc sulfur
Also Read: White Stem Rot Disease Mustard: सरसों में तेजी से फ़ैलता जा रहा सफेद तना गलन रोग, जानें कैसे करें रोकथाम zinc and sulfur be used together: जिंक और सल्फर का प्रयोग एक साथ क्यों करना चाहिए?
सल्फर के बिना जिंक का उत्पादन कभी नहीं होता है, जब भी आप बाजार में जिंक का कोई उत्पाद देखते हैं तो उसमें सल्फर जरूर होता है। इसका मुख्य कारण यह है कि सल्फर आपकी मिट्टी के पीएच स्तर को कम कर देता है। जिससे जिंक पूरी तरह से आपके पौधों तक पहुंच सके। क्योंकि उच्च पीएच वाली मिट्टी में जिंक का संचार कम होता है। और पौधा इसे ठीक से नहीं उठा पाता। इससे किसानों को जिंक का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है। इसलिए कई बार जिंक डालने के बाद भी खेतों में जिंक की कमी पूरी नहीं हो पाती है.
zinc and sulfur be used together: कितनी मात्रा मे डाले
जब भी आप जिंक का प्रयोग करें। इसलिए इसके साथ 3 किलो पाउडर या 10 किलो दानेदार सल्फर का प्रयोग अवश्य करें। ताकि आपको जिंक का पूरा फायदा मिल सके. जिंक पौधे के हरे भाग को बढ़ाता है और सल्फर पौधे में प्रोटीन की मात्रा को बढ़ाता है। जिससे आपको इसके पौधे पर और भी अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। यदि आपकी मिट्टी का पीएच स्तर सही है तो आप बिना सल्फर के भी जिंक का उपयोग कर सकते हैं।
Also Read: Dhan Mandi Bhav 19 December 2023: जानें आज धान के भाव में क्या रहा उतार-चढ़ाव zinc and sulfur
zinc and sulfur be used together: जब आप सल्फर और जिंक मिलाते हैं तो क्या होता है?
सल्फर और जिंक मिलाने से पौधे को जिंक तेजी से ग्रहण करने में मदद मिलती है। इससे किसानों को जिंक का पूरा लाभ मिलता है।