Lahsun Ka Bhav: चीनी निर्यात से 7 हजार रुपए गिरा लहसुन का भाव, किसानों ने किया हंगामा, पढ़ें खबर
Lahsun Ka Bhav: इंदौर के चोइथराम मंडी में किसानों ने लहसुन की कीमतों में भारी गिरावट और चीन से लहसुन के आयात के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। किसानों ने मंडी के गेट बंद कर दिए और व्यापारियों तथा मंडी अधिकारियों पर मिलीभगत का आरोप लगाया। उनका कहना था कि अचानक लहसुन की कीमतें ₹5,000 से ₹7,000 प्रति क्विंटल तक गिर गईं, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा। किसानों ने चीन से लहसुन के आयात पर प्रतिबंध लगाने और निजी मंडियों को फिर से शुरू करने की मांग की।
निजी मंडियों की मांग
किसानों का तर्क है कि निजी और सरकारी मंडियों के बीच प्रतिस्पर्धा से उन्हें अपने उत्पाद का बेहतर मूल्य मिल सकता है, जबकि वर्तमान में व्यापारियों और अधिकारियों की मिलीभगत के कारण उचित मूल्य नहीं मिल रहा। प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी भी किसानों के बीच पहुंचे और उनकी समस्याओं को सुना।
कांग्रेस अध्यक्ष का बयान
जीतू पटवारी ने आरोप लगाया कि भारत सरकार की चीन के प्रति दोहरी नीति है। उन्होंने कहा, "चीन से सस्ता लहसुन आयात करके सरकार ने भारतीय किसानों को धोखा दिया है। किसान लगातार नुकसान उठा रहा है, और जब उसकी उपज बहुत कम कीमत पर बिकती है, तब कोई उसकी मदद नहीं करता। लेकिन जब किसानों को थोड़ी भी राहत मिलती है, तो सरकार उनके फायदे को नुकसान में बदल देती है।"
लहसुन के भाव में गिरावट
किसानों ने यह भी बताया कि अन्य मंडियों में लहसुन के भाव ₹500 से ₹700 तक घटते हैं, लेकिन इंदौर मंडी में एक ही दिन में ₹5,000 से ₹7,000 तक गिरावट आ जाती है। इस कारण किसानों को अपना माल वापस ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। कुछ किसानों ने भाजपा सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए आरोप लगाया कि सरकार के गलत निर्णयों के कारण उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल रहा।
प्रशासन का हस्तक्षेप
मंडी प्रशासन और स्थानीय अधिकारी मौके पर पहुंचे और किसानों को समझाने की कोशिश की, लेकिन किसानों की मुख्य मांग निजी मंडियों को फिर से शुरू करने की थी। उनका मानना है कि यदि यह किया जाता है तो वे व्यापारियों और अधिकारियों की मनमानी से बच सकते हैं और अपने उत्पाद का सही मूल्य प्राप्त कर सकते हैं।