धनतेरस भगवान धन्वंतरि की पूजा से पाएं स्वास्थ्य और समृद्धि
धनतेरस की पौराणिक कथा में भगवान धन्वंतरि की महत्वपूर्ण भूमिका है, जो देवताओं के वैद्य माने जाते हैं। समुद्र मंथन के दौरान, भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। मान्यता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अंशावतार हैं और संसार में चिकित्सा विज्ञान के विस्तार और प्रसार के लिए ही भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिया था
इस त्योहार को मनाने के पीछे एक और कथा भी जुड़ी हुई है। यह कथा राजा बलि और भगवान विष्णु के वामन अवतार से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर राजा बलि से तीन पग भूमि मांगी थी, जिससे राजा बलि को दान करने से रोकने के लिए शुक्राचार्य ने कमंडल में लघु रूप धारण करके प्रवेश किया था। इससे कमंडल से जल निकलने का मार्ग बंद हो गया था। भगवान वामन ने अपने हाथ में रखे हुए कुशा को कमण्डल में ऐसे रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख फूट गई। इसके बाद बलि ने तीन पग भूमि दान करने का संकल्प ले लिया और भगवान वामन ने अपने एक पैर से संपूर्ण पृथ्वी को नाप लिया और दूसरे पग से अंतरिक्ष को
धनतेरस के दिन कुछ विशेष कार्य करने का महत्व है:
- नए बर्तन खरीदना: अपने सामर्थ्य के अनुसार किसी भी रूप में चांदी एवं अन्य धातु खरीदना अति शुभ है।
- दीप दान: धन संपत्ति की प्राप्ति हेतु कुबेर देवता के लिए घर के पूजा स्थल पर दीप दान करें एवं मृत्यु देवता यमराज के लिए मुख्य द्वार पर भी दीप दान करें।
- भगवान धन्वंतरि की पूजा: धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से ताउम्र निरोगी रहने का आशीर्वाद मिलता है ¹।