Narak chaturdashi: नरक चतुर्दशी अकाल मृत्यु से मुक्ति के लिए जानें पूजन विधि
नरक चतुर्दशी 2024 में 31 अक्टूबर, गुरुवार को मनाई जाएगी ¹। इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है, जो दीपावली से ठीक एक दिन पहले आती है। नरक चतुर्दशी का महत्व पौराणिक कथाओं में निहित है, जिनमें राक्षस नरकासुर का वध और दैत्यराज बलि की कथा प्रमुख हैं
नरक चतुर्दशी का महत्व
नरक चतुर्दशी के दिन यमराज की पूजा का विधान है, जिसमें अकाल मृत्यु से मुक्ति और बेहतर स्वास्थ्य की कामना की जाती है ¹। इस दिन शाम के समय दीये जलाए जाते हैं, जिन्हें यम का दीपक कहा जाता है। यह दीपक घर के मुख्य द्वार से बाहर की ओर लगाया जाता है, जो मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित होता है
नरक चतुर्दशी पूजन विधि
नरक चतुर्दशी के दिन प्रात:काल सूर्य उदय से पहले स्नान करने का महत्व है, जिसमें तिल के तेल से शरीर की मालिश करनी चाहिए ¹। इसके बाद अपामार्ग यानि चिरचिरा को सिर के ऊपर से चारों ओर 3 बार घुमाना चाहिए। स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करनी चाहिए
नरक चतुर्दशी की रात क्यों जलाया जाता है यम का दीपक?
नरक चतुर्दशी की रात को यम का दीपक जलाया जाता है ताकि मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित किया जा सके ¹। यह दीपक घर के मुख्य द्वार से बाहर की ओर लगाया जाता है, जो अकाल मृत्यु से मुक्ति और बेहतर स्वास्थ्य की कामना के लिए होता है ¹।