Rudraksha significance: भगवान शिव से खास नाता है रुद्राक्ष का, जानें इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

 
Rudraksha significance: प्राचीन काल से ही रुद्राक्ष को अपनी दैवीय शक्तियों के कारण बहुत शुभ माना गया है। कहा जाता है कि इसे धारण करने का सौभाग्य केवल उन्हीं को मिलता है जिन पर देवों के देव महादेव की कृपा होती है। 'रुद्राक्ष' का अर्थ है रुद्र की धुरी या शिव के आंसू। इस आध्यात्मिक मोती की उत्पत्ति की कहानी बताती है कि इसे स्वयं शिव का आशीर्वाद क्यों माना जाता है। तो आइये जानते हैं इससे जुड़े कुछ रहस्य, जो इस प्रकार हैं - Rudraksha Benefits Rudraksha love Mahakal Shiva wearing it changes luck |  Rudraksha Benefits: महाकाल शिव को सबसे प्रिय है रुद्राक्ष, धारण करने से बदल  जाती है किस्मत | Hindi News, पटना Also Read: Health Tips: केला खाने के अनगिनत फायदे, सेहत के लिए है बेहद फायदेमंद
Rudraksha significance: रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई
रुद्राक्ष के बारे में कई कहानियाँ प्रचलित हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रिपुरासुर नाम का एक राक्षस था जिसके पास कई प्रकार की दैवीय शक्तियां थीं, जिसके कारण वह अत्यधिक अहंकारी हो गया और उसने देवताओं और ऋषियों को परेशान करना शुरू कर दिया। उससे परेशान होकर देवताओं ने भगवान शिव से उसे मारने की प्रार्थना की। देवताओं की पीड़ा सुनकर भगवान शिव अंतर्ध्यान हो गये। इसके बाद जब उन्होंने अपनी आंखें खोलीं तो उनकी आंखों से आंसू निकल पड़े। पृथ्वी पर जहां-जहां उनके आंसू गिरे, वहां-वहां रुद्राक्ष का पेड़ उग आया। साथ ही शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया और पूरे विश्व में शांति बहाल की।
Rudraksha significance: कितने मुखी रुद्राक्ष पाए जाते हैं?
रुद्राक्ष प्राकृतिक रूप से एक सूखा फल है, जो रुद्राक्ष के पेड़ पर उगता है। जप माला में सामान्यतः 108 रुद्राक्ष होते हैं। ये अलग-अलग रूपों में पाए जाते हैं, यानी एक मुखी से लेकर 27 मुखी तक। इन्हें धारण करने वाले साधकों को ब्रह्मा, विष्णु और महेश की कृपा प्राप्त होगी। SPIRITUALCART रुद्राक्ष माला बीड गहरे भूरे रंग की लाइन्स माला के साथ पूजा  के लिए : Amazon.in: घर और किचन Also Read: Which fertilizers moong: मूंग की बिजाई करने का सही समय और तरीका जानें यहाँ
Rudraksha significance: रुद्राक्ष पहनने के नियम और समय
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष को शुक्ल पक्ष की तिथि जैसे पूर्णिमा, अमावस्या, एकादशी आदि पर धारण करना चाहिए। साथ ही इसे पहनते समय समस पवित्रा का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। भोलेनाथ का ध्यान करते हुए 'ओम नम: शिवाय' मंत्र का जाप करते हुए रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

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