Cow knocking on the door: दरवाजे पर गाय की दस्तक एक भूली हुई परम्परा

वह दिन सचमुच यादगार थे जब दरवाजों पर गाय देती थी दस्तक। उस समय की सादगी और शांति अब नहीं रही। आधुनिकता और शहरीकरण के साथ, गायों की दस्तक अब एक दुर्लभ घटना हो गई है।
 
Cow knocking on the door: दरवाजे पर गाय की दस्तक एक भूली हुई परम्परा

वह दिन सचमुच यादगार थे जब दरवाजों पर गाय देती थी दस्तक। उस समय की सादगी और शांति अब नहीं रही। आधुनिकता और शहरीकरण के साथ, गायों की दस्तक अब एक दुर्लभ घटना हो गई है।

उस समय की यादें:

- सुबह की शुरुआत गाय की दस्तक से
- गाय के आने की आवाज सुनकर घर के लोग जाग जाते थे
- गाय को खाना खिलाने और प्यार करने का आनंद
- गाय की सादगी और वफादारी से सीखने का मौका

आज के समय में:

- शहरों में गायों की कमी
- आधुनिक जीवनशैली में गायों की अनुपस्थिति
- गायों के स्थान पर मशीनें और तकनीक

फिर भी, गायों की दस्तक की यादें हमारे दिल में बसी रहती हैं। वह समय सचमुच स्वर्णिम था, जब गायें हमारे जीवन का हिस्सा थीं।

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