मधुबनी पेंटिंग की कहानी पारंपरिक शैली और सांस्कृतिक महत्व

मधुबनी पेंटिंग दुनियाभर में अपनी अनोखी शैली और पारंपरिक महत्व के कारण मशहूर है। यह पेंटिंग बिहार की एक पारंपरिक लोककला है, जो मधुबनी जिले में विकसित हुई थी
मधुबनी पेंटिंग की विशेषताएं:
- प्राकृतिक रंगों का उपयोग: मधुबनी पेंटिंग में प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि चावल के पाउडर, हल्दी, चंदन, पराग, वर्णक, पौधों, गाय का गोबर, मिट्टी और अन्य प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त रंग ¹।
- परंपरागत ब्रश का उपयोग: मधुबनी पेंटिंग में परंपरागत ब्रश का उपयोग किया जाता है, जैसे कि पतली टहनी, माचिस, अंगुलियों और अन्य वस्तुओं का उपयोग ¹।
- पौराणिक कथाएं: मधुबनी पेंटिंग में पौराणिक कथाएं और ज्यामितिक आकार दिखाए जाते हैं ¹।
- सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व: मधुबनी पेंटिंग में सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व के विषय दिखाए जाते हैं, जैसे कि विवाह, उत्सव और अन्य सामाजिक कार्यक्रम
मधुबनी पेंटिंग की शैलियां:
- भरनी शैली: यह शैली मधुबनी पेंटिंग की सबसे पुरानी शैली है, जिसमें ज्यामितिक आकार और पौराणिक कथाएं दिखाई जाती हैं ¹।
- कचनी शैली: यह शैली मधुबनी पेंटिंग की एक अन्य प्रमुख शैली है, जिसमें प्राकृतिक दृश्य और ज्यामितिक आकार दिखाए जाते हैं ¹।
- तांत्रिक शैली: यह शैली मधुबनी पेंटिंग की एक विशेष शैली है, जिसमें तांत्रिक प्रतीक और ज्यामितिक आकार दिखाए जाते हैं
मधुबनी पेंटिंग की यह अनोखी शैली और पारंपरिक महत्व इसे दुनियाभर में मशहूर बनाती है।