हरियाणा में चौटाला के मंत्री बने रहने पर विवाद: निर्दलीय विधायक के तौर पर ली शपथ, अब विधायक पद से दे चुके हैं इस्तीफा, फिर भी मंत्री पद बरकरार
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के वकील हेमंत कुमार ने भी उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए राष्ट्रपति से शिकायत की है। जहां से हरियाणा के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने और इसकी जानकारी शिकायतकर्ता को भेजने को कहा गया है। रणजीत चौटाला को भाजपा ने लोकसभा चुनाव में हिसार सीट से मैदान में उतारा था, लेकिन वे कांग्रेस प्रत्याशी जयप्रकाश से हार गए थे।
यहां पढ़ें कब क्या हुआ...
हरियाणा में नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में बनी नई भाजपा सरकार ने 12 जून को अपना 3 महीने का कार्यकाल पूरा कर लिया है। 12 मार्च को मुख्यमंत्री नायब सैनी के साथ शपथ लेने वाले 5 कैबिनेट मंत्रियों में रणजीत सिंह भी शामिल थे, जो उस समय सिरसा जिले की रानिया विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक थे।
22 मार्च को रणजीत को ऊर्जा और जेल विभाग आवंटित किया गया था। हालांकि, वे पिछली मनोहर लाल खट्टर सरकार में भी इन विभागों के मंत्री रह चुके थे।
इसके बाद रणजीत सिंह 24 मार्च की शाम को भाजपा में शामिल हो गए। जिसके कुछ समय बाद ही उन्हें हिसार लोकसभा सीट से पार्टी का उम्मीदवार घोषित कर दिया गया। जिसके चलते रणजीत ने उसी दिन विधायक पद से इस्तीफा दे दिया।
इसलिए दिया रणजीत चौटाला ने इस्तीफा
चूंकि कोई भी व्यक्ति निर्दलीय विधायक रहते हुए किसी राजनीतिक पार्टी में शामिल नहीं हो सकता। अगर वह ऐसा करता है तो दलबदल विरोधी कानून के तहत उसे विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। हालांकि, विधायक पद से इस्तीफा देने के साथ ही रणजीत ने राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा नहीं दिया।
रानिया विधानसभा सीट से विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने इसे स्वीकार कर लिया।
नियुक्ति पर क्यों उठ रहे हैं सवाल
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार ने 2 मई को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को पत्र लिखकर उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए थे। पत्र में कहा गया था कि रणजीत सिंह 12 मार्च को मौजूदा 14वीं हरियाणा विधानसभा के सदस्य (विधायक) थे। इसी दिन उन्होंने सीएम नायब सैनी के साथ मंत्री पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी।
इसके बाद 24 मार्च 2024 तक विधायक पद से उनका इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया था। इसके बाद अब वे पूर्व विधायक या दूसरे शब्दों में गैर विधायक बन गए हैं।
मंत्री बने रहने के लिए दोबारा लेनी होगी शपथ
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 (4) के अनुसार कोई गैर विधायक अधिकतम 6 महीने तक मंत्री रह सकता है, लेकिन इसके लिए उसे हरियाणा के राज्यपाल द्वारा मंत्री के रूप में नए सिरे से पद एवं गोपनीयता की शपथ लेनी होगी। क्योंकि वह 24 मार्च 2024 से गैर विधायक है। तकनीकी सवाल यह भी है कि जब उसने मंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी, तब वह निर्दलीय विधायक था, लेकिन अब वह भाजपा में शामिल हो गया है, इसलिए गैर विधायक होने के कारण उसका मंत्री के रूप में नया कार्यकाल माना जाएगा।